उत्तर लेखन के लिए रोडमैप 1. परिचय वास्तविकता की व्याख्या: निर्धनता के सामान्य परिभाषा का उल्लेख करें और इसे आय आधारित प्रणालियों से कैसे परे देखा जाता है। बहुआयामी निर्धनता का परिचय: बहुआयामी निर्धनता की अवधारणा को संक्षेप में प्रस्तुत करें। 2. बहुआयामी निर्धनता ...
गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ और उनकी प्रासंगिकता आज के युवाओं के लिए भारत की धार्मिक और आध्यात्मिक धारा में गुरु नानक देव जी का योगदान अनमोल है। उनकी शिक्षाएँ आज भी समाज में व्याप्त कई समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करती हैं, विशेषकर आज के युवाओं के लिए जो भेदभाव, असहिष्णुता और भौतिकवादी संस्कृति से जूRead more
गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ और उनकी प्रासंगिकता आज के युवाओं के लिए
भारत की धार्मिक और आध्यात्मिक धारा में गुरु नानक देव जी का योगदान अनमोल है। उनकी शिक्षाएँ आज भी समाज में व्याप्त कई समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करती हैं, विशेषकर आज के युवाओं के लिए जो भेदभाव, असहिष्णुता और भौतिकवादी संस्कृति से जूझ रहे हैं। गुरु नानक देव जी की कुछ प्रमुख शिक्षाएँ निम्नलिखित हैं:
समानता
गुरु नानक देव जी ने सभी मनुष्यों को एक समान मानने की शिक्षा दी। उनके अनुसार, धर्म, जाति, रंग और आर्थिक स्थिति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए। यह शिक्षा आज के समाज में विशेष रूप से प्रासंगिक है, जहाँ भेदभाव और असहिष्णुता प्रचलित हैं।
करुणा और प्रेम
गुरु नानक जी ने यह सिखाया कि प्रेम और करुणा से ही हम समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। कठोर से कठोर व्यक्तियों के हृदय को भी प्रेम और करुणा के माध्यम से परिवर्तित किया जा सकता है।
निःस्वार्थ सेवा
आज के भौतिकवादी समाज में, जहां हर काम में कोई न कोई लाभ देखने की प्रवृत्ति है, गुरु नानक देव जी की निःस्वार्थ सेवा की शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने सिखाया कि बिना किसी प्रतिफल की आशा के सेवा करने से आत्मिक संतोष प्राप्त होता है और यह व्यक्ति को ईश्वर के समीप ले जाता है।
अंधविश्वास का विरोध
गुरु नानक देव जी ने अंधविश्वास और अंधानुकरण की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि जीवन में कोई भी कदम उठाने से पहले उसे तार्किक दृष्टिकोण से समझना चाहिए। यह शिक्षा आज भी युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान करती है।
पाँच बुराइयों का परित्याग
गुरु नानक देव जी के अनुसार, अहंकार, क्रोध, लोभ, मोह और वासना जैसे दोषों का त्याग करना चाहिए। यह न केवल व्यक्ति के जीवन को सुधारता है, बल्कि उसे सद्गुणों की ओर भी प्रेरित करता है।
गुरु नानक देव जी की ये शिक्षाएँ आज के युवाओं के लिए न केवल मार्गदर्शक हैं, बल्कि उन्हें एक उद्देश्यपूर्ण और संतुष्ट जीवन जीने के लिए प्रेरित भी करती हैं।
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मॉडल उत्तर
बहुआयामी निर्धनता की परिभाषा और भारत में उठाए गए कदम
बहुआयामी निर्धनता की परिभाषा
बहुआयामी निर्धनता आय के मानदंड से परे जाकर किसी निर्धन व्यक्ति द्वारा तीन प्रमुख क्षेत्रों—जीवन स्तर, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल में एक साथ सामना की जाने वाली तीव्र वंचना को मापती है। हाल ही में, नीति आयोग ने ‘राष्ट्रीय बहुआयामी निर्धनता सूचकांक: बेसलाइन रिपोर्ट और डैशबोर्ड’ जारी किया, जो इस सूचकांक के महत्व को दर्शाता है (स्रोत: नीति आयोग)।
भारत में उठाए गए कदम
भारत सरकार ने बहुआयामी निर्धनता को कम करने हेतु विभिन्न महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं:
1. बाल मृत्यु दर में कमी
2. पोषण
3. शिक्षा
4. जीवन स्तर
इन पहलों के माध्यम से भारत सरकार बहुआयामी निर्धनता को समाप्त करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। इसके अलावा, आर्थिक विकास, कृषि विकास, और मानव संसाधन के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए ताकि भारत सतत विकास लक्ष्य 1 (हर जगह से निर्धनता को समाप्त करना) को पूरा कर सके (स्रोत: संयुक्त राष्ट्र)।
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