उत्तर लिखने के लिए रोडमैप 1. परिचय मुद्रा की परिभाषा: “मुद्रा एक ऐसा माध्यम है, जो वस्तुओं और सेवाओं के विनिमय, मूल्य मापन और मूल्य संचय में सहायक होता है।” मुद्रा का महत्व: इसे सभी प्रकार की आर्थिक गतिविधियों के लिए आधारभूत माना ...
मॉडल उत्तर प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा गणित और विज्ञान में किए गए महत्वपूर्ण योगदान प्राचीन भारतीय गणितज्ञों ने गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया: बौधायन (1वीं सहस्राब्दी ईसा पूर्व): इन्होंने शुल्व-सूत्र में त्रिभुज के क्षेत्रफल का सूत्र दिया, जिसे बाद में पाइथागोरस प्रमेय के रूप मेंRead more
मॉडल उत्तर
प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा गणित और विज्ञान में किए गए महत्वपूर्ण योगदान
प्राचीन भारतीय गणितज्ञों ने गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया:
- बौधायन (1वीं सहस्राब्दी ईसा पूर्व): इन्होंने शुल्व-सूत्र में त्रिभुज के क्षेत्रफल का सूत्र दिया, जिसे बाद में पाइथागोरस प्रमेय के रूप में जाना गया। इसके अलावा इन्होंने पाई का मान और दो अंक का वर्गमूल भी प्रदान किया।
- आर्यभट्ट (5वीं शताब्दी ईस्वी): इनकी कृति आर्यभट्टीयम् में दशमलव प्रणाली का परिचय दिया और पाई का मान भी लगभग सही प्रस्तुत किया। इन्होंने यह भी बताया कि पृथ्वी गोल है और अपनी धुरी पर घूमती है।
- ब्रह्मगुप्त: इन्होंने गणित में शून्य और ऋणात्मक संख्याओं का उपयोग किया। उनकी कृति ब्रह्मस्फुट सिद्धांत ने भारतीय गणित प्रणाली को पश्चिमी दुनिया में प्रस्तुत किया।
- भास्कराचार्य: इनकी कृति सिद्धांत शिरोमणि में चक्रीय विधि का उपयोग किया गया, जिसे यूरोपीय गणितज्ञों ने बाद में ‘Inverse Cycle Method’ कहा।
विज्ञान में योगदान
प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों ने विज्ञान के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण खोजें कीं:
- कणाद (6वीं शताब्दी): इन्होंने भौतिक ब्रह्मांड को परमाणुओं से बना बताया, जिन्हें नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता है और यह अविभाज्य हैं।
- वराहमिहिर (6वीं शताब्दी): इन्होंने भूचाल मेघ सिद्धांत का प्रतिपादन किया और भूचाल के विभिन्न कारणों पर चर्चा की।
- सुश्रुत (700 ईसा पूर्व): इन्होंने शल्य चिकित्सा की कई प्रक्रियाओं का आविष्कार किया, जैसे नाशिकासन्धान (नाक की शल्य चिकित्सा) और मोतियाबिंद का इलाज।
- चरक (2nd शताब्दी): इनकी कृति चरक संहिता में बीमारियों और उनके उपचार का वर्णन किया गया, और ये आनुवंशिकी के सिद्धांतों से अवगत थे।
इन योगदानों के बावजूद, प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों के कार्यों का प्रलेखन कमजोर था, और मध्यकाल में अनुसंधान कार्यों में रुकावट आई, जिसके कारण इनका योगदान विश्वभर में उतना नहीं फैल पाया जितना होना चाहिए था।
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मॉडल उत्तर मुद्रा के विभिन्न कार्य मुद्रा किसी भी अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके कार्य निम्नलिखित हैं: विनिमय का माध्यम: मुद्रा क्रेता और विक्रेता के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करती है। लेखा की इकाई: वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य निर्धारण मौद्रिक इकाइयों में किया जाता है। मूल्य संचय: भRead more
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मुद्रा के विभिन्न कार्य
मुद्रा किसी भी अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके कार्य निम्नलिखित हैं:
अन्य परिसंपत्तियों की तुलना में मुद्रा के लाभ
1. तरलता
मुद्रा को सबसे अधिक तरल परिसंपत्ति माना जाता है। यह तुरंत अन्य परिसंपत्तियों में परिवर्तित की जा सकती है। उदाहरण के लिए, भूमि या स्वर्ण जैसी परिसंपत्तियां तात्कालिक रूप से उपयोगी नहीं होती हैं।
2. स्वीकार्यताः
मुद्रा विधिक निविदा होने के कारण सार्वभौमिक रूप से स्वीकार्य होती है, जबकि अन्य परिसंपत्तियां जैसे स्वर्ण या संपत्ति सार्वभौमिक रूप से स्वीकार्य नहीं होतीं।
3. स्थायित्व
मुद्रा ह्रासमान वस्तुओं (जैसे अनाज या फल) की तुलना में अधिक स्थाई होती है। इसके स्थायित्व के कारण इसे भविष्य में भी उपयोग किया जा सकता है।
4. सुबाह्यता
मुद्रा को आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता है। उदाहरणस्वरूप, वस्तु विनिमय प्रणाली में वस्तुएं भारी और असुविधाजनक होती थीं।
5. स्थिरता
मुद्रा अन्य परिसंपत्तियों, जैसे क्रिप्टोकरेंसी, की तुलना में अधिक स्थिर होती है। इसका मूल्य समय के साथ सीमित रूप से ही बदलता है।
6. एकरूपता और प्रतिमोच्यता
विशेष मूल्यवर्ग की मुद्रा (जैसे 100 रुपये) एक समान होती है और आसानी से अन्य छोटे मूल्यवर्ग (जैसे 10 रुपये के 10 नोट) में बदली जा सकती है।
निष्कर्ष
मुद्रा अन्य परिसंपत्तियों की तुलना में अधिक तरल, स्थिर, और व्यावहारिक है। इसके विविध कार्य इसे हर अर्थव्यवस्था के लिए अपरिहार्य बनाते हैं।
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