प्रो० सत्येन्द्र नाथ बोस द्वारा किए गए ‘बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी’ के कार्य पर चर्चा कीजिए और दर्शाइए कि इसने किस प्रकार भौतिकी के क्षेत्र में क्रांति ला दी थी। (150 words) [UPSC 2018]
हड़प्पा सभ्यता (2600-1900 ईसा पूर्व) को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और नवाचार के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा सकता है। इस सभ्यता के लोग कई ऐसे वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगतियों के प्रवर्तक थे, जिनका प्रभाव आज भी देखा जा सकता है। निम्नलिखित उदाहरणों के माध्यम से इस बात की पुष्टि की जा सकती है: नगर नियोजन औरRead more
हड़प्पा सभ्यता (2600-1900 ईसा पूर्व) को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और नवाचार के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा सकता है। इस सभ्यता के लोग कई ऐसे वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगतियों के प्रवर्तक थे, जिनका प्रभाव आज भी देखा जा सकता है। निम्नलिखित उदाहरणों के माध्यम से इस बात की पुष्टि की जा सकती है:
- नगर नियोजन और जल प्रबंधन: हड़प्पा सभ्यता के शहरों, जैसे मोहनजोदड़ो और हड़प्पा, में उत्कृष्ट नगर नियोजन और जल प्रबंधन प्रणालियाँ थीं। उनके पास सुसंगठित ड्रेनेज सिस्टम, अंदरूनी नल और पाइपलाइन थे, जो जल निकासी और स्वच्छता को सुनिश्चित करते थे। शहरों की सड़कें और गलियाँ एक सुसंगठित ग्रिड सिस्टम में व्यवस्थित थीं, जो आधुनिक नगर नियोजन के अग्रदूत थे।
- वास्तुकला और निर्माण तकनीक: हड़प्पा सभ्यता ने पक्का निर्माण (ब्रिक निर्माण) की तकनीक को विकसित किया, जिसमें ईंटों को आकार में समान और मजबूत बनाया जाता था। यह निर्माण तकनीक उस समय के अन्य सभ्यताओं की तुलना में काफी उन्नत थी।
- माप और वजन की प्रणाली: हड़प्पा सभ्यता में मानकीकृत माप और वजन की प्रणाली थी, जिसमें ईंटों और अन्य वस्तुओं के लिए एक मानक आकार निर्धारित किया गया था। इससे व्यापार और विनिमय में आसानी हुई और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा मिला।
- लेखन प्रणाली: हड़प्पा सभ्यता की लेखन प्रणाली (जिसे हड़प्पा लिपि कहा जाता है) एक प्रारंभिक प्रयास थी जो व्यापार और प्रशासन के लिए उपयोग की जाती थी। हालांकि इस लिपि को पूरी तरह से डिकोड नहीं किया जा सका है, लेकिन इसके अस्तित्व से यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने जटिल अभिलेखों और संचार प्रणालियों का विकास किया था।
इन उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि हड़प्पा सभ्यता के लोग विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कई पहलुओं में अग्रणी थे। उनके नवाचार और तकनीकी उन्नति ने भारतीय उपमहाद्वीप की प्राचीन तकनीकी और वैज्ञानिक धरोहर को समृद्ध किया।
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प्रो० सत्येन्द्र नाथ बोस द्वारा बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी: प्रो० सत्येन्द्र नाथ बोस का योगदान: बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी का विकास: 1920 के दशक में, प्रो० सत्येन्द्र नाथ बोस ने एक सांख्यिकी ढांचा विकसित किया जो उन कणों का व्यवहार वर्णित करता है जो पारंपरिक सांख्यिकी का पालन नहीं करते। उनके 1924 में प्रRead more
प्रो० सत्येन्द्र नाथ बोस द्वारा बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी:
प्रो० सत्येन्द्र नाथ बोस का योगदान:
भौतिकी में क्रांति:
प्रो० बोस का यह अग्रणी काम भौतिकी के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने आधुनिक भौतिकी पर गहरा प्रभाव डाला।
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