क्या आप इस विचार से सहमत हैं कि ‘हाइब्रिड मिलिटेंट’ और ‘ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs)’ जैसे पद उग्रवाद के बदलते स्वरूप को दर्शाते हैं? (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत के पूर्वी भाग में वामपंथी उग्रवाद के निर्धारक 1. सामाजिक और आर्थिक विषमताएँ: गरीबी और बेरोजगारी: झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में गरीबी और उच्च बेरोजगारी दर वामपंथी उग्रवाद को बढ़ावा देती हैं। छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में, अदिवासी जनसंख्या की आर्थिक और सामाजिक स्थRead more
भारत के पूर्वी भाग में वामपंथी उग्रवाद के निर्धारक
1. सामाजिक और आर्थिक विषमताएँ:
- गरीबी और बेरोजगारी: झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में गरीबी और उच्च बेरोजगारी दर वामपंथी उग्रवाद को बढ़ावा देती हैं। छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में, अदिवासी जनसंख्या की आर्थिक और सामाजिक स्थिति ने उग्रवादी गतिविधियों को जन्म दिया है।
2. ऐतिहासिक बहिष्कार:
- भूमि और संसाधनों का शोषण: आदिवासियों की भूमि अधिकारों और संसाधनों पर नियंत्रण को लेकर लंबे समय से असंतोष है। उदाहरण के लिए, नियमगिरी हिल्स में बॉक्साइट खनन विवाद ने उग्रवाद को बढ़ावा दिया।
3. कमजोर प्रशासनिक संरचना:
- अप्रभावी प्रशासन और अवसंरचना की कमी उग्रवादियों के लिए एक अनुकूल वातावरण प्रदान करती है। छत्तीसगढ़ और झारखंड में, प्रशासनिक विफलताएँ उग्रवाद के फैलाव में सहायक रही हैं।
4. राजनीतिक अस्थिरता:
- राजनीतिक अस्थिरता और भ्रष्टाचार ने उग्रवादियों को स्थानीय जनसंख्या में समर्थन प्राप्त करने में मदद की है। पश्चिम बंगाल में राजनीतिक अस्थिरता ने उग्रवादी समूहों को अवसर प्रदान किया।
प्रभावित क्षेत्रों में खतरों के प्रतिकारार्थ रणनीतियाँ
1. समन्वित सुरक्षा और विकास दृष्टिकोण:
- सुरक्षा और विकास का संयोजन: सरकार को सुरक्षा बलों और विकास योजनाओं को एकीकृत करना चाहिए। उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़ में सशस्त्र बल और विकास कार्यक्रमों के संयोजन से स्थानीय स्थिति में सुधार हुआ है।
2. सुधारित खुफिया और समन्वय:
- सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय और खुफिया जानकारी की सटीकता महत्वपूर्ण है। एकीकृत कमांड संरचना ने उग्रवादी गतिविधियों पर बेहतर नियंत्रण स्थापित किया है।
3. समुदाय की भागीदारी और विकास:
- स्थानीय विकास परियोजनाओं और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना चाहिए। नरेगा जैसी योजनाओं ने स्थानीय रोजगार और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
4. भूमि और संसाधनों का न्यायसंगत वितरण:
- भूमि अधिकार और संसाधनों का उचित प्रबंधन आवश्यक है। वन अधिकार अधिनियम (2006) ने आदिवासियों को भूमि अधिकार प्रदान कर, सामाजिक असंतोष को कम किया है।
5. शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण:
- शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए ताकि युवाओं को वैकल्पिक आजीविका मिल सके। आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा के प्रयास ने नकारात्मक प्रभाव को कम करने में मदद की है।
इन रणनीतियों को अपनाकर, भारत सरकार, नागरिक प्रशासन और सुरक्षा बल वामपंथी उग्रवाद के प्रभाव को प्रभावी ढंग से कम कर सकते हैं और प्रभावित क्षेत्रों में स्थिरता स्थापित कर सकते हैं।
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हाँ, 'हाइब्रिड मिलिटेंट' और 'ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs)' जैसे पद उग्रवाद के बदलते स्वरूप को दर्शाते हैं। हाइब्रिड मिलिटेंट्स उन व्यक्तियों को संदर्भित करते हैं जो कभी-कभार उग्रवादी गतिविधियों में शामिल होते हैं, लेकिन आमतौर पर सामान्य जीवन जीते हैं। यह बदलती रणनीति उग्रवादियों को सुरक्षा बलों की निगRead more
हाँ, ‘हाइब्रिड मिलिटेंट’ और ‘ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs)’ जैसे पद उग्रवाद के बदलते स्वरूप को दर्शाते हैं।
हाइब्रिड मिलिटेंट्स उन व्यक्तियों को संदर्भित करते हैं जो कभी-कभार उग्रवादी गतिविधियों में शामिल होते हैं, लेकिन आमतौर पर सामान्य जीवन जीते हैं। यह बदलती रणनीति उग्रवादियों को सुरक्षा बलों की निगरानी से बचने और जाँच-पड़ताल के दौरान कम संदेह उत्पन्न करने में मदद करती है।
ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) वे लोग होते हैं जो उग्रवादी समूहों के लिए समर्थन, संसाधन और खुफिया जानकारी प्रदान करते हैं, लेकिन सीधे हिंसक गतिविधियों में शामिल नहीं होते। ये कार्यकर्ता उग्रवादी नेटवर्क की ताकत को बढ़ाते हैं और उनके संचालन को सुविधाजनक बनाते हैं।
इन पदों का उपयोग उग्रवादियों द्वारा उनकी गतिविधियों को अधिक प्रभावी और कम जोखिमपूर्ण बनाने के लिए किया जाता है, जिससे उग्रवाद की रणनीति और खतरे की प्रकृति में बदलाव आ रहा है।
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