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भारत का उत्तर-पूर्वीय प्रदेश बहुत लम्बे समय से विद्रोह ग्रसित है। इस प्रदेश में सशस्त्र विद्रोह की अतिजीविता के मुख्य कारणों का विश्लेषण कीजिए। (150 words) [UPSC 2017]
परिचय भारत का उत्तर-पूर्वीय क्षेत्र लंबे समय से सशस्त्र विद्रोहों का शिकार रहा है। विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कारण इन विद्रोहों की निरंतरता को बनाए रखते हैं। सशस्त्र विद्रोह की अतिजीविता के मुख्य कारण जातीय विविधता और पहचान की राजनीति इस क्षेत्र में कई जातीय समूह हैं, जिनकी अलग-अलग सांस्कृतRead more
परिचय
भारत का उत्तर-पूर्वीय क्षेत्र लंबे समय से सशस्त्र विद्रोहों का शिकार रहा है। विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कारण इन विद्रोहों की निरंतरता को बनाए रखते हैं।
सशस्त्र विद्रोह की अतिजीविता के मुख्य कारण
इस क्षेत्र में कई जातीय समूह हैं, जिनकी अलग-अलग सांस्कृतिक और भाषाई पहचान है। अधिक स्वायत्तता या स्वतंत्रता की मांग विद्रोह को बढ़ावा देती है, जैसे एनएससीएन (नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड) और उल्फा (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम) द्वारा।
उत्तर-पूर्व को भौगोलिक अलगाव और केंद्र सरकार द्वारा उपेक्षा का अहसास होता है। इससे अलगाव की भावना और स्वतंत्रता की मांग उत्पन्न होती है।
प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर होते हुए भी, इस क्षेत्र की आर्थिक स्थिति खराब है। आवश्यक आधारभूत संरचना और रोजगार की कमी विद्रोहियों के लिए एक मजबूत आधार बनाती है।
उत्तर-पूर्व की पारगम्य सीमाएं जैसे म्यांमार, बांग्लादेश, और चीन के साथ सशस्त्र विद्रोहियों को हथियारों की तस्करी और आसानी से आवाजाही की सुविधा देती हैं।
कुछ विद्रोही समूहों को पड़ोसी देशों से सहायता मिलती है, जिससे उन्हें हथियार, प्रशिक्षण, और वित्तीय सहायता प्राप्त होती है, जिससे विद्रोह की निरंतरता बनाए रहती है।
निष्कर्ष
See lessउत्तर-पूर्व के सशस्त्र विद्रोह की निरंतरता की जटिलता जातीय तनाव, ऐतिहासिक उपेक्षा, अविकास, और बाहरी समर्थन के कारण है। इसका समाधान आर्थिक विकास, समावेशी शासन, और सुरक्षा उपायों के समन्वित प्रयासों के माध्यम से किया जा सकता है।
पिछड़े क्षेत्रों में बड़े उद्योगों का विकास करने के सरकार के लगातार अभियानों का परिणाम जनजातीय जनता और किसानों, जिनको अनेक विस्थापनों का सामना करना पड़ता है, का विलगन (अलग करना) है । मल्कानगिरि और नक्सलबाड़ी पर ध्यान केंद्रित करते हुए, वामपंथी उग्रवादी विचारधारा से प्रभावित नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक संवृद्धि की मुख्यधारा में फिर से लाने की सुधारक रणनीतियों पर चर्चा कीजिए । (200 words) [UPSC 2015]
वामपंथी उग्रवाद और सुधारक रणनीतियाँ: मल्कानगिरि और नक्सलबाड़ी के संदर्भ में 1. पृष्ठभूमि: विकास अभियान और विलगन: पिछड़े क्षेत्रों में बड़े उद्योगों के विकास के प्रयासों ने जनजातीय लोगों और किसानों को विस्थापित किया है, जिससे उनके सामाजिक और आर्थिक जीवन में संकट आया है। यह स्थिति वामपंथी उग्रवाद (LWERead more
वामपंथी उग्रवाद और सुधारक रणनीतियाँ: मल्कानगिरि और नक्सलबाड़ी के संदर्भ में
1. पृष्ठभूमि:
2. मल्कानगिरि और नक्सलबाड़ी का प्रभाव:
3. सुधारक रणनीतियाँ:
a. समावेशी विकास:
b. सामाजिक और आर्थिक एकीकरण:
c. सुरक्षा और शासन:
d. पुनर्वास और पुनर्स्थापन:
4. हाल के उदाहरण:
निष्कर्ष: वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें समावेशी विकास, सामाजिक और आर्थिक एकीकरण, बेहतर शासन, और प्रभावी पुनर्वास योजनाएं शामिल हों। इन रणनीतियों के माध्यम से प्रभावित समुदायों को मुख्यधारा में लाने में मदद मिल सकती है और उग्रवाद को कम किया जा सकता है।
See lessनामपंगी उग्रनाद में अधोमुखी प्रवृत्ति दिखाई दे रही है, परंतु अभी भी देश के अनेक भाग इसरो प्रभावित हैं। बामपंथी उग्रवाद द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों का विरोध करने के लिए भारत सरकार के दृष्टिकोण को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए। (150 words) [UPSC 2018]
बामपंथी उग्रवाद (LWE) के विरोध में भारत सरकार का दृष्टिकोण: **1. सुरक्षा-केंद्रित रणनीति: सुरक्षा बलों की तैनाती: सरकार ने LWE प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी है। इसमें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPFs) जैसे CRPF और विशेष इकाइयाँ जैसे CoBRA (Commando Battalion for Resolute ActiRead more
बामपंथी उग्रवाद (LWE) के विरोध में भारत सरकार का दृष्टिकोण:
**1. सुरक्षा-केंद्रित रणनीति:
**2. विकासात्मक पहलकदमियाँ:
**3. समर्पण और पुनर्वास नीति:
**4. सामुदायिक सहभागिता:
इस प्रकार, भारत सरकार की बहुआयामी रणनीति सुरक्षा उपायों, विकासात्मक पहलकदमियों, पुनर्वास नीतियों और सामुदायिक सहभागिता के संयोजन के माध्यम से बामपंथी उग्रवाद के प्रभावी विरोध की दिशा में काम कर रही है।
See lessभारत के पूर्वी भाग में वामपंथी उग्रवाद के निर्धारक क्या हैं? प्रभावित क्षेत्रों में खतरों के प्रतिकारार्थ भारत सरकार, नागरिक प्रशासन एवं सुरक्षा बलों को किस सामरिकी को अपनाना चाहिए? (250 words) [UPSC 2020]
भारत के पूर्वी भाग में वामपंथी उग्रवाद के निर्धारक 1. सामाजिक और आर्थिक विषमताएँ: गरीबी और बेरोजगारी: झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में गरीबी और उच्च बेरोजगारी दर वामपंथी उग्रवाद को बढ़ावा देती हैं। छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में, अदिवासी जनसंख्या की आर्थिक और सामाजिक स्थRead more
भारत के पूर्वी भाग में वामपंथी उग्रवाद के निर्धारक
1. सामाजिक और आर्थिक विषमताएँ:
2. ऐतिहासिक बहिष्कार:
3. कमजोर प्रशासनिक संरचना:
4. राजनीतिक अस्थिरता:
प्रभावित क्षेत्रों में खतरों के प्रतिकारार्थ रणनीतियाँ
1. समन्वित सुरक्षा और विकास दृष्टिकोण:
2. सुधारित खुफिया और समन्वय:
3. समुदाय की भागीदारी और विकास:
4. भूमि और संसाधनों का न्यायसंगत वितरण:
5. शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण:
इन रणनीतियों को अपनाकर, भारत सरकार, नागरिक प्रशासन और सुरक्षा बल वामपंथी उग्रवाद के प्रभाव को प्रभावी ढंग से कम कर सकते हैं और प्रभावित क्षेत्रों में स्थिरता स्थापित कर सकते हैं।
See lessनक्सलवाद एक सामाजिक, आर्थिक और विकासात्मक मुद्दा है जो एक हिंसक आन्तरिक सुरक्षा ख़तरे के रूप में प्रकट होता है। इस संदर्भ में उभरते हुए मुद्दों की चर्चा कीजिए और नक्सलवाद के ख़तरे से निपटने की बहुस्तरीय रणनीति का सुझाव दीजिए। (250 words) [UPSC 2022]
नक्सलवाद: उभरते मुद्दे और बहुस्तरीय रणनीति **1. उभरते मुद्दे: सामाजिक असंतोष: नक्सलवाद मुख्यतः आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों में गहराते सामाजिक असंतोष से उभरता है। छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे क्षेत्रों में भ्रष्टाचार, सामाजिक विषमताएँ और शासन की कमी इस समस्या को बढ़ावा देती हैं। उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़Read more
नक्सलवाद: उभरते मुद्दे और बहुस्तरीय रणनीति
**1. उभरते मुद्दे:
**2. नक्सलवाद से निपटने के लिए बहुस्तरीय रणनीति:
निष्कर्ष: नक्सलवाद एक जटिल सामाजिक, आर्थिक, और विकासात्मक मुद्दा है जो एक हिंसात्मक आंतरिक सुरक्षा खतरा उत्पन्न करता है। इसे प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एक बहुस्तरीय रणनीति की आवश्यकता है, जिसमें सामाजिक और आर्थिक विकास, सुरक्षा उपाय, मानवाधिकार सम्मान, और जन जागरूकता शामिल होनी चाहिए। इस प्रकार की रणनीति नक्सलवाद के प्रभाव को कम कर सकती है और स्थिरता सुनिश्चित कर सकती है।
See lessक्या आप इस विचार से सहमत हैं कि 'हाइब्रिड मिलिटेंट' और 'ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs)' जैसे पद उग्रवाद के बदलते स्वरूप को दर्शाते हैं? (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
हाँ, 'हाइब्रिड मिलिटेंट' और 'ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs)' जैसे पद उग्रवाद के बदलते स्वरूप को दर्शाते हैं। हाइब्रिड मिलिटेंट्स उन व्यक्तियों को संदर्भित करते हैं जो कभी-कभार उग्रवादी गतिविधियों में शामिल होते हैं, लेकिन आमतौर पर सामान्य जीवन जीते हैं। यह बदलती रणनीति उग्रवादियों को सुरक्षा बलों की निगRead more
हाँ, ‘हाइब्रिड मिलिटेंट’ और ‘ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs)’ जैसे पद उग्रवाद के बदलते स्वरूप को दर्शाते हैं।
हाइब्रिड मिलिटेंट्स उन व्यक्तियों को संदर्भित करते हैं जो कभी-कभार उग्रवादी गतिविधियों में शामिल होते हैं, लेकिन आमतौर पर सामान्य जीवन जीते हैं। यह बदलती रणनीति उग्रवादियों को सुरक्षा बलों की निगरानी से बचने और जाँच-पड़ताल के दौरान कम संदेह उत्पन्न करने में मदद करती है।
ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) वे लोग होते हैं जो उग्रवादी समूहों के लिए समर्थन, संसाधन और खुफिया जानकारी प्रदान करते हैं, लेकिन सीधे हिंसक गतिविधियों में शामिल नहीं होते। ये कार्यकर्ता उग्रवादी नेटवर्क की ताकत को बढ़ाते हैं और उनके संचालन को सुविधाजनक बनाते हैं।
इन पदों का उपयोग उग्रवादियों द्वारा उनकी गतिविधियों को अधिक प्रभावी और कम जोखिमपूर्ण बनाने के लिए किया जाता है, जिससे उग्रवाद की रणनीति और खतरे की प्रकृति में बदलाव आ रहा है।
See lessभारत में जनजातीय विकास पर चरमपंथ के प्रभाव की विवेचना कीजिए। इस समस्या का समाधान करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत में जनजातीय विकास पर चरमपंथ का प्रभाव गंभीर है। चरमपंथी समूह अक्सर जनजातीय क्षेत्रों में अशांति और हिंसा को बढ़ावा देते हैं, जो विकासात्मक परियोजनाओं को बाधित करता है और जनजातीय समुदायों के सामाजिक और आर्थिक विकास को प्रभावित करता है। इन समूहों के द्वारा विस्थापन, डर और हिंसा के चलते, स्थानीय जRead more
भारत में जनजातीय विकास पर चरमपंथ का प्रभाव गंभीर है। चरमपंथी समूह अक्सर जनजातीय क्षेत्रों में अशांति और हिंसा को बढ़ावा देते हैं, जो विकासात्मक परियोजनाओं को बाधित करता है और जनजातीय समुदायों के सामाजिक और आर्थिक विकास को प्रभावित करता है। इन समूहों के द्वारा विस्थापन, डर और हिंसा के चलते, स्थानीय जनजातीय लोग संसाधनों और बुनियादी सेवाओं से वंचित रह जाते हैं।
समाधान के लिए उठाए गए कदम:
इन उपायों के माध्यम से, भारत ने चरमपंथ से प्रभावित जनजातीय क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने और सुरक्षा स्थिति को सुधारने का प्रयास किया है।
See lessभारत में वामपंथी उग्रवाद (LWE) में हुई कमी में किन कारकों ने योगदान दिया है? क्या आपको लगता है कि यह कमी निकट भविष्य में LWE की समस्या के संभावित अंत का संकेत देती है?(250 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में वामपंथी उग्रवाद (Left-Wing Extremism, LWE) में हुई कमी के पीछे कई महत्वपूर्ण कारक हैं। सबसे पहले, सरकार द्वारा उठाए गए कड़े सुरक्षा उपायों ने इस समस्या पर काबू पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। केंद्रीय और राज्य पुलिस बलों के बीच बेहतर समन्वय, खुफिया जानकारी का प्रभावी उपयोग, और आधुनिक तRead more
भारत में वामपंथी उग्रवाद (Left-Wing Extremism, LWE) में हुई कमी के पीछे कई महत्वपूर्ण कारक हैं। सबसे पहले, सरकार द्वारा उठाए गए कड़े सुरक्षा उपायों ने इस समस्या पर काबू पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। केंद्रीय और राज्य पुलिस बलों के बीच बेहतर समन्वय, खुफिया जानकारी का प्रभावी उपयोग, और आधुनिक तकनीक का अपनाना LWE के खिलाफ अभियान में मददगार साबित हुआ है।
दूसरा, सरकार द्वारा आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों में विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना भी एक प्रमुख कारक है। सड़क निर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और आजीविका के साधनों में सुधार ने इन क्षेत्रों में लोगों के जीवन को बेहतर बनाया है। इससे स्थानीय जनता का समर्थन उग्रवादियों से हटकर सरकार की ओर स्थानांतरित हुआ है।
तीसरा, उग्रवादियों के आत्मसमर्पण को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा चलाए गए पुनर्वास कार्यक्रम भी इस कमी में योगदानकारी रहे हैं। इन कार्यक्रमों ने उग्रवादियों को मुख्यधारा में वापस लाने और समाज के पुनर्निर्माण में शामिल होने के लिए प्रेरित किया है।
हालांकि, यह कहना कि LWE की समस्या का निकट भविष्य में पूरी तरह से अंत हो जाएगा, शायद समयपूर्व होगा। LWE का प्रभाव भले ही घट रहा हो, लेकिन इसके जड़ें अभी भी कई क्षेत्रों में मौजूद हैं। सरकार को सतत् विकास, सामाजिक न्याय, और सुरक्षा बलों के प्रभावी संचालन को बनाए रखना होगा ताकि LWE का प्रभाव पूरी तरह समाप्त हो सके। निकट भविष्य में LWE की समस्या को समाप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि सरकार अपनी रणनीति में निरंतरता बनाए रखे और नए उभरते खतरों के प्रति सतर्क रहे।
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