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समुद्री पारिस्थितिकी पर 'मृतक्षेत्रों' (डैड ज़ोन्स) के विस्तार के क्या-क्या परिणाम होते हैं ? (150 words) [UPSC 2018]
समुद्री पारिस्थितिकी में 'मृतक्षेत्रों' के विस्तार के परिणाम निम्नलिखित हैं: जीवविविधता का नाश: मृतक्षेत्रों में जीवों की संख्या में कमी होती है, जिससे कई प्रजातियों के नाश की संभावना रहती है। मछली पालन का침: मृतक्षेत्रों से मछली की संख्या में कमी आती है, जिससे व्यापारिक और遊ग्रामिक मछली पालन के लिए आRead more
समुद्री पारिस्थितिकी में ‘मृतक्षेत्रों’ के विस्तार के परिणाम निम्नलिखित हैं:
इन परिणामों से पता चलता है कि मृतक्षेत्रों के लिए Pollution और जलवायु परिवर्तन जैसे根本 कारणों को हल करना महत्वपूर्ण है, ताकि समुद्र तटीय पारिस्थितिकी और इन पर निर्भर समुदायों की रक्षा की जा सके।
See lessमहासागरी धाराओं की उत्पत्ति के उत्तरदायी कारकों को स्पष्ट कीजिए। वे प्रादेशिक जलवायुओं, समुद्री जीवन तथा नौचालन को किस प्रकार प्रभावित करती हैं ? (200 words) [UPSC 2015]
महासागरी धाराएँ (Ocean Currents) महासागरों में निरंतर बहने वाली जलधाराएँ हैं, जो विभिन्न कारकों से उत्पन्न होती हैं। ये धाराएँ वैश्विक जलवायु, समुद्री जीवन, और नौचालन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। धाराओं की उत्पत्ति के उत्तरदायी कारक: वातावरणीय कारक: पवन: पवन की दिशा और गति महासागरी धाराओं को प्रभRead more
महासागरी धाराएँ (Ocean Currents) महासागरों में निरंतर बहने वाली जलधाराएँ हैं, जो विभिन्न कारकों से उत्पन्न होती हैं। ये धाराएँ वैश्विक जलवायु, समुद्री जीवन, और नौचालन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं।
धाराओं की उत्पत्ति के उत्तरदायी कारक:
वातावरणीय कारक:
पवन: पवन की दिशा और गति महासागरी धाराओं को प्रभावित करती हैं। विशेषकर ट्रेड विंड्स और वेस्टरलिज़ की भूमिका प्रमुख है, जो सतही धाराओं को संचालित करती हैं।
वातावरणीय दबाव: उच्च और निम्न दबाव क्षेत्र भी धाराओं के निर्माण में योगदान देते हैं।
सांस्कृतिक अंतर:
जल तापमान: महासागर की सतह का तापमान भी धाराओं को प्रभावित करता है। गर्म जल अधिक तैराक होता है और ठंडा जल अधिक घना होता है, जिससे धाराएँ उत्पन्न होती हैं।
लवणता: जल की लवणता (सालिनिटी) भी धाराओं के निर्माण में भूमिका निभाती है। उच्च लवणता वाले क्षेत्र ठंडे और घने जल का निर्माण करते हैं, जिससे धाराएँ बनती हैं।
पृथ्वी की घूर्णन:
कोरिओलिस प्रभाव: पृथ्वी के घूर्णन के कारण, धाराएँ पूर्व से पश्चिम की ओर झुकी होती हैं। यह प्रभाव धाराओं के मार्ग को मोड़ता है और घूर्णनशील धाराओं का निर्माण करता है।
प्रभाव:
प्रादेशिक जलवायु:
जलवायु परिवर्तन: महासागरी धाराएँ समुद्र के तापमान को नियंत्रित करती हैं, जिससे तटीय जलवायु में महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। उदाहरण के लिए, गोल्फ स्ट्रीम यूरोप के तटीय क्षेत्रों को गर्म बनाती है।
मौसमी पैटर्न: धाराएँ मौसमी जलवायु पैटर्न को प्रभावित करती हैं, जैसे मानसून की प्रणाली।
समुद्री जीवन:
पोषण चक्र: धाराएँ समुद्री पोषण (nutrient) चक्र को प्रभावित करती हैं, जो समुद्री जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं। उपसागर धाराएँ पोषक तत्वों को ऊपरी सतह पर लाती हैं, जिससे उत्पादकता बढ़ती है।
प्रवासन मार्ग: धाराएँ समुद्री जीवों के प्रवासन और वितरण को प्रभावित करती हैं।
नौचालन:
नौपरिवहन: महासागरी धाराएँ नौचालन को प्रभावित करती हैं, जिससे जहाजों की गति और दिशा में बदलाव आता है। धाराओं के अनुसार मार्ग योजना बनाना आवश्यक होता है।
See lessसमुद्री मौसम: धाराओं का प्रभाव समुद्री मौसम और मौसम पूर्वानुमान पर भी पड़ता है, जो नौचालन के लिए महत्वपूर्ण होता है।
इस प्रकार, महासागरी धाराएँ जलवायु, समुद्री जीवन, और नौचालन पर गहरा प्रभाव डालती हैं, और इनका अध्ययन विभिन्न समुद्री और जलवायु प्रक्रियाओं को समझने में महत्वपूर्ण है।
अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) से आप क्या समझते हैं? हाल ही में, AMOC के कमजोर पड़ने के लिए उत्तरदायी कारणों और इसके प्रभाव पर प्रकाश डालिए।। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) एक महत्वपूर्ण महासागरीय धारा प्रणाली है, जो अटलांटिक महासागर में गर्म और ठंडी जल धाराओं के आपसी आदान-प्रदान को नियंत्रित करती है। यह प्रणाली गर्म सतही पानी को उत्तरी अटलांटिक में ले जाती है, जहां यह ठंडा होकर डूबता है और फिर दक्षिणी अटलांटिक में वापस लौRead more
अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) एक महत्वपूर्ण महासागरीय धारा प्रणाली है, जो अटलांटिक महासागर में गर्म और ठंडी जल धाराओं के आपसी आदान-प्रदान को नियंत्रित करती है। यह प्रणाली गर्म सतही पानी को उत्तरी अटलांटिक में ले जाती है, जहां यह ठंडा होकर डूबता है और फिर दक्षिणी अटलांटिक में वापस लौटता है।
हाल ही में, AMOC के कमजोर पड़ने के प्रमुख कारणों में ग्लोबल वार्मिंग और आर्कटिक बर्फ का पिघलना शामिल हैं। इन कारणों से उत्तरी अटलांटिक में ठंडे और भारी पानी का प्रवाह कम हो गया है, जिससे AMOC की ताकत में कमी आई है।
इसके प्रभाव गंभीर हो सकते हैं:
इस प्रकार, AMOC की कमजोरी वैश्विक जलवायु और मौसम प्रणालियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है।
See lessद्वीपसमूह से आप क्या समझते हैं? इनके निर्माण में शामिल विभिन्न प्रक्रियाओं को उदाहरण सहित समझाइए। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
द्वीपसमूह एक ऐसी भौगोलिक संरचना है जिसमें कई छोटे-छोटे द्वीप एक समूह के रूप में स्थित होते हैं। ये द्वीप समुद्र, समुद्री झीलों, या अन्य जलाशयों में फैले हुए हो सकते हैं। द्वीपसमूहों के निर्माण में विभिन्न प्राकृतिक प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं: वोल्कैनिक गतिविधि: जैसे हवाई द्वीपसमूह, जो कि एक ज्वालामुRead more
द्वीपसमूह एक ऐसी भौगोलिक संरचना है जिसमें कई छोटे-छोटे द्वीप एक समूह के रूप में स्थित होते हैं। ये द्वीप समुद्र, समुद्री झीलों, या अन्य जलाशयों में फैले हुए हो सकते हैं। द्वीपसमूहों के निर्माण में विभिन्न प्राकृतिक प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं:
ये प्रक्रियाएँ द्वीपसमूहों को भौगोलिक और पारिस्थितिक दृष्टिकोण से विशिष्ट बनाती हैं।
See lessट्रिपल डिप ला नीना परिघटना क्या है? विश्व के विभिन्न क्षेत्रों पर इसके संभावित प्रभाव की विवेचना कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
**ट्रिपल डिप ला नीना** परिघटना वह स्थिति है जब ला नीना, एक ठंडी समुद्री सतह का तापमान परिघटना, लगातार तीन सर्दियों तक बनी रहती है। सामान्यतः, ला नीना हर कुछ वर्षों में एक बार होती है, लेकिन "ट्रिपल डिप" के मामले में यह असामान्य रूप से लंबी अवधि तक जारी रहती है। **प्रभाव:** 1. **अमेरिका:** दक्षिणी अमRead more
**ट्रिपल डिप ला नीना** परिघटना वह स्थिति है जब ला नीना, एक ठंडी समुद्री सतह का तापमान परिघटना, लगातार तीन सर्दियों तक बनी रहती है। सामान्यतः, ला नीना हर कुछ वर्षों में एक बार होती है, लेकिन “ट्रिपल डिप” के मामले में यह असामान्य रूप से लंबी अवधि तक जारी रहती है।
**प्रभाव:**
1. **अमेरिका:** दक्षिणी अमेरिका में सूखा और उत्तरी अमेरिका में ठंडी और गीली सर्दियां हो सकती हैं। कृषि और जल आपूर्ति प्रभावित हो सकती हैं।
2. **ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण-पूर्व एशिया:** भारी वर्षा और बाढ़ का खतरा बढ़ता है, जिससे फसलों को नुकसान हो सकता है और जनजीवन प्रभावित हो सकता है।
3. **पूर्वी अफ्रीका:** सूखा और खाद्यान्न की कमी की संभावना होती है, जिससे खाद्य सुरक्षा पर संकट उत्पन्न हो सकता है।
4. **भारत:** मॉनसून पर असर पड़ सकता है, जिससे कृषि उत्पादन में उतार-चढ़ाव हो सकता है।
ट्रिपल डिप ला नीना वैश्विक जलवायु पैटर्न को प्रभावित करती है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में मौसम संबंधी असामान्यताएं उत्पन्न होती हैं।
See lessमहासागरीय लवणता में विभिन्नताओं के कारण बताइए तथा इसके बहु-आयामी प्रभावों की विवेचना कीजिए । (250 words) [UPSC 2017]
महासागरीय लवणता (ocean salinity) समुद्र के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न होती है, और इसके विभिन्न कारण हैं जिनका गहरा प्रभाव समुद्री पारिस्थितिकी और वैश्विक जलवायु पर पड़ता है। लवणता में विविधताओं के कारण: वृष्टि और वाष्पीकरण: उच्च तापमान वाले क्षेत्रों में वाष्पीकरण की दर अधिक होती है, जिससे समRead more
महासागरीय लवणता (ocean salinity) समुद्र के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न होती है, और इसके विभिन्न कारण हैं जिनका गहरा प्रभाव समुद्री पारिस्थितिकी और वैश्विक जलवायु पर पड़ता है।
लवणता में विविधताओं के कारण:
बहु-आयामी प्रभाव:
इस प्रकार, महासागरीय लवणता में विविधताएँ समुद्री पारिस्थितिकी, वैश्विक जलवायु, और तटीय मौसम पर गहरा प्रभाव डालती हैं, और इनका अध्ययन महत्वपूर्ण है ताकि समुद्री और जलवायु प्रबंधन में बेहतर निर्णय लिए जा सकें।
See lessमहासागर धाराएँ और जल राशियाँ समुद्री जीवन और तटीय पर्यावरण पर अपने प्रभावों में किस-किस प्रकार परस्पर भिन्न हैं ? उपयुक्त उदाहरण दीजिए। (250 words) [UPSC 2019]
महासागर धाराएँ और जल राशियाँ: समुद्री जीवन और तटीय पर्यावरण पर प्रभाव परिचय: महासागर धाराएँ और जल राशियाँ (ocean currents and water masses) समुद्री जीवन और तटीय पर्यावरण पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। ये धाराएँ और जल राशियाँ पृथ्वी की जलवायु, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र, और तटीय पर्यावरण को प्रभावितRead more
महासागर धाराएँ और जल राशियाँ: समुद्री जीवन और तटीय पर्यावरण पर प्रभाव
परिचय: महासागर धाराएँ और जल राशियाँ (ocean currents and water masses) समुद्री जीवन और तटीय पर्यावरण पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। ये धाराएँ और जल राशियाँ पृथ्वी की जलवायु, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र, और तटीय पर्यावरण को प्रभावित करती हैं, लेकिन उनके प्रभाव में विभिन्न प्रकार की परस्पर भिन्नताएँ होती हैं।
महासागर धाराओं के प्रभाव:
जल राशियों के प्रभाव:
हाल की घटनाएँ: हाल ही में, “प्रशांत ओसियन में एलेनिन” (El Niño) और “लॉस नीños” जैसी जलवायु घटनाओं ने महासागर धाराओं और जल राशियों के प्रभाव को बदल दिया है, जिससे वैश्विक मौसम और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र में व्यापक परिवर्तन हुए हैं।
निष्कर्ष: महासागर धाराएँ और जल राशियाँ समुद्री जीवन और तटीय पर्यावरण पर भिन्न-भिन्न प्रभाव डालती हैं। ये प्रभाव पारिस्थितिक तंत्र की संरचना, जलवायु, और आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करते हैं। इसलिए, इनकी गतिशीलता और परिवर्तनशीलता को समझना आवश्यक है ताकि समुद्री और तटीय प्रबंधन नीतियों को उचित तरीके से लागू किया जा सके।
See lessमहासागरीय जल धाराएं जलवायु को नियंत्रित करने और पृथ्वी पर समुद्री जीवन को समर्थन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। चर्चा कीजिए। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
महासागरीय जल धाराएं पृथ्वी के जलवायु और समुद्री जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये धाराएं गर्म और ठंडे पानी को भूमध्य रेखा से ध्रुवों तक और ध्रुवों से भूमध्य रेखा की ओर ले जाती हैं, जिससे वैश्विक तापमान का संतुलन बना रहता है। उदाहरण के लिए, गल्फ स्ट्रीम उत्तर-पश्चिमी यूरोप को अपेक्षाकृत गर्म रखतीRead more
महासागरीय जल धाराएं पृथ्वी के जलवायु और समुद्री जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये धाराएं गर्म और ठंडे पानी को भूमध्य रेखा से ध्रुवों तक और ध्रुवों से भूमध्य रेखा की ओर ले जाती हैं, जिससे वैश्विक तापमान का संतुलन बना रहता है। उदाहरण के लिए, गल्फ स्ट्रीम उत्तर-पश्चिमी यूरोप को अपेक्षाकृत गर्म रखती है, जबकि कैलिफोर्निया धारा पश्चिमी अमेरिका को ठंडा करती है।
जल धाराएं महासागरीय पोषक तत्वों का वितरण भी सुनिश्चित करती हैं, जिससे समुद्री जीवन को आवश्यक पोषण मिलता है। ये धाराएं प्लवक, मछलियों और अन्य समुद्री जीवों के आवास क्षेत्रों में पोषक तत्वों की आपूर्ति करती हैं, जिससे मछली पालन और जैव विविधता को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा, महासागरीय धाराएं कार्बन डाइऑक्साइड के अवशोषण में भी सहायक होती हैं, जो वैश्विक जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। इस प्रकार, महासागरीय जल धाराएं पृथ्वी के पर्यावरण और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
See lessपरि-प्रशान्त क्षेत्र के भू-भौतिकीय अभिलक्षणों का विवेचन कीजिए। (150 words)[UPSC 2020]
परि-प्रशान्त क्षेत्र के भू-भौतिकीय अभिलक्षण भौगोलिक स्थिति और सीमा: परि-प्रशान्त क्षेत्र (Pacific Ring of Fire) एक भूगर्भीय क्षेत्र है जो प्रशान्त महासागर के चारों ओर स्थित है। यह क्षेत्र ध्रुवीय आर्कटिक से लेकर दक्षिणी अमेरिका तक फैला हुआ है और इसे विवर्तनशील भू-गर्भीय गतिविधियाँ के लिए जाना जाता हRead more
परि-प्रशान्त क्षेत्र के भू-भौतिकीय अभिलक्षण
भौगोलिक स्थिति और सीमा: परि-प्रशान्त क्षेत्र (Pacific Ring of Fire) एक भूगर्भीय क्षेत्र है जो प्रशान्त महासागर के चारों ओर स्थित है। यह क्षेत्र ध्रुवीय आर्कटिक से लेकर दक्षिणी अमेरिका तक फैला हुआ है और इसे विवर्तनशील भू-गर्भीय गतिविधियाँ के लिए जाना जाता है।
भू-भौतिकीय अभिलक्षण:
हाल के उदाहरण:
निष्कर्ष:
परि-प्रशान्त क्षेत्र के भू-भौतिकीय अभिलक्षण, जैसे कि भूकंप क्षेत्रों, ज्वालामुखीय गतिविधियाँ, और सुनामी उत्पत्ति, इस क्षेत्र की भौगोलिक और भूकंपीय प्रकृति को स्पष्ट करते हैं। ये अभिलक्षण वैश्विक भू-गर्भीय प्रक्रियाओं और प्राकृतिक आपदाओं के अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
See lessसमुद्री धाराओं को प्रभावित करने वाली शक्तियाँ कौन सी हैं? विश्व के मत्स्य उद्योग में इनके योगदान का वर्णन करें। (250 words) [UPSC 2022]
समुद्री धाराओं को प्रभावित करने वाली शक्तियाँ और विश्व के मत्स्य उद्योग में उनके योगदान समुद्री धाराओं को प्रभावित करने वाली शक्तियाँ: पारंपरिक और कोरियोलिस प्रभाव: समुद्री धाराओं की दिशा पर पारंपरिक और कोरियोलिस प्रभाव महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण, उत्तरी गोलार्ध में धRead more
समुद्री धाराओं को प्रभावित करने वाली शक्तियाँ और विश्व के मत्स्य उद्योग में उनके योगदान
समुद्री धाराओं को प्रभावित करने वाली शक्तियाँ:
विश्व के मत्स्य उद्योग में योगदान:
निष्कर्ष: समुद्री धाराएँ विभिन्न प्राकृतिक शक्तियों द्वारा प्रभावित होती हैं, जो मत्स्य जीवन और विश्व मत्स्य उद्योग पर गहरा असर डालती हैं। धाराओं की दिशा और विशेषताएँ मत्स्य विविधता, पारिस्थितिक संतुलन, और आर्थिक योगदान को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती हैं।
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