भारत में वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने में प्रधानमंत्री जन-धन योजना की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
समावेशी संवृद्धि की रणनीति: समावेशिता और धारणीयता का समन्वय 1. समावेशी संवृद्धि का आशय: समावेशी संवृद्धि एक ऐसी रणनीति है जिसका उद्देश्य सभी सामाजिक और आर्थिक वर्गों को विकास की धारा में शामिल करना है। इसका लक्ष्य केवल आर्थिक वृद्धि नहीं है, बल्कि सामाजिक समानता और धारणीयता को भी सुनिश्चित करना है।Read more
समावेशी संवृद्धि की रणनीति: समावेशिता और धारणीयता का समन्वय
1. समावेशी संवृद्धि का आशय:
- समावेशी संवृद्धि एक ऐसी रणनीति है जिसका उद्देश्य सभी सामाजिक और आर्थिक वर्गों को विकास की धारा में शामिल करना है। इसका लक्ष्य केवल आर्थिक वृद्धि नहीं है, बल्कि सामाजिक समानता और धारणीयता को भी सुनिश्चित करना है। इसका मतलब है कि विकास का लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंचना चाहिए और विकास की प्रक्रिया भी पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण से स्थायी होनी चाहिए।
2. समावेशिता की दिशा:
- आर्थिक अवसर: समावेशी संवृद्धि का मतलब है कि गरीब, पिछड़े समुदाय, और अन्य सामाजिक रूप से हाशिए पर पड़े समूहों को आर्थिक अवसर प्रदान किए जाएं। भारत सरकार ने प्रधानमंत्री जन धन योजना और मनरेगा जैसी योजनाओं के माध्यम से इस दिशा में प्रयास किए हैं।
3. धारणीयता की दिशा:
- पर्यावरणीय संरक्षण: धारणीयता का आशय है कि विकास की प्रक्रिया पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना संचालित हो। सौर ऊर्जा और स्वच्छ ऊर्जा की योजनाएं, जैसे प्रधानमंत्री अवास योजना और स्वच्छ भारत मिशन, इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
4. प्रासंगिक उदाहरण:
- स्वस्थ भारत: स्वास्थ्य और शिक्षा में समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए आयुष्मान भारत योजना और सार्वजनिक स्कूल सुधार कार्यक्रम लागू किए गए हैं।
- जलवायु कार्रवाई: जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत ने राष्ट्रीय जलवायु योजना और पेरिस समझौते के तहत अपने आदर्श निर्धारित किए हैं।
5. चुनौतियाँ और समाधान:
- चुनौतियाँ: समावेशिता और धारणीयता को सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि अक्सर विकास की प्रक्रिया में सामाजिक असमानता और पर्यावरणीय क्षति का सामना करना पड़ता है।
- समाधान: इसके लिए संविधानिक और कानूनी ढांचे को मजबूत करना और सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा देना आवश्यक है।
समावेशी संवृद्धि की रणनीति समाज और पर्यावरण दोनों की धारणीयता को सुनिश्चित करने के लिए समाज के सभी वर्गों को विकास की धारा में शामिल करने की दिशा में एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करती है।
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प्रधानमंत्री जन-धन योजना , जो 2014 में शुरू की गई थी, भारत में वित्तीय समावेशन को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इस योजना का उद्देश्य बैंकिंग सेवाओं की पहुँच को सभी भारतीय नागरिकों तक विस्तारित करना है, विशेषकर उन लोगों तक जो वित्तीय सेवाओं से वंचित हैं। प्रधानमंत्री जन-धन योजना की भूमिRead more
प्रधानमंत्री जन-धन योजना , जो 2014 में शुरू की गई थी, भारत में वित्तीय समावेशन को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इस योजना का उद्देश्य बैंकिंग सेवाओं की पहुँच को सभी भारतीय नागरिकों तक विस्तारित करना है, विशेषकर उन लोगों तक जो वित्तीय सेवाओं से वंचित हैं।
प्रधानमंत्री जन-धन योजना की भूमिका का मूल्यांकन:
बैंक खाता खोलना: योजना के तहत लाखों लोगों को बिना किसी न्यूनतम बैलेंस के बैंक खाते खोलने की सुविधा मिली है। इससे वित्तीय सेवा की पहुँच में सुधार हुआ है।
वित्तीय साक्षरता: योजना ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में वित्तीय शिक्षा को बढ़ावा दिया है, जिससे लोग बैंकिंग सेवाओं और उत्पादों के लाभ को समझने लगे हैं।
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT): जन-धन खातों के माध्यम से सरकारी सब्सिडी और लाभ सीधे खाताधारकों के खातों में ट्रांसफर किए जाते हैं, जिससे वित्तीय पारदर्शिता और भ्रष्ट्राचार में कमी आई है।
बीमा और पेंशन योजनाएँ: योजना के अंतर्गत खाता धारकों को दुर्घटना बीमा और जीवन बीमा जैसे लाभ मिलते हैं, जिससे सामाजिक सुरक्षा में सुधार हुआ है।
डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा: जन-धन खातों को आधार से लिंक कर डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित किया गया है, जिससे वित्तीय समावेशन में वृद्धि हुई है।
कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री जन-धन योजना ने भारत में वित्तीय समावेशन को व्यापक रूप से बढ़ावा दिया है, और इससे आर्थिक और सामाजिक स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान मिला है।
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