क्या बाज़ार अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत समावेशी विकास संभव है ? भारत में आर्थिक विकास की प्राप्ति के लिए वित्तीय समावेश के महत्त्व का उल्लेख कीजिए। (150 words)[UPSC 2022]
मानव बस्तियों का पुनर्वास: विवाद और समाधान परिचय बड़ी परियोजनाओं के नियोजन के दौरान मानव बस्तियों का पुनर्वास एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिक संघात होता है, जो अक्सर विवाद का कारण बनता है। इस संघात को कम करने के लिए प्रभावी उपायों की आवश्यकता होती है। उपाय सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन: परियोजना से पूर्व व्यापRead more
मानव बस्तियों का पुनर्वास: विवाद और समाधान
परिचय बड़ी परियोजनाओं के नियोजन के दौरान मानव बस्तियों का पुनर्वास एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिक संघात होता है, जो अक्सर विवाद का कारण बनता है। इस संघात को कम करने के लिए प्रभावी उपायों की आवश्यकता होती है।
उपाय
- सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन: परियोजना से पूर्व व्यापक सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन (SIA) किया जाना चाहिए। जैसे कि अमरेली जिले में सौर ऊर्जा परियोजना के लिए सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन ने प्रभावित समुदायों की समस्याओं को समझने में मदद की।
- हितधारकों की भागीदारी: प्रभावित समुदायों को योजना में शामिल करना आवश्यक है। नर्मदा बचाओ आंदोलन ने प्रभावित लोगों की भागीदारी की आवश्यकता को उजागर किया, जो पुनर्वास को अधिक प्रभावी बनाता है।
- पुनर्वास और पुनर्स्थापन योजना: एक ठोस पुनर्वास और पुनर्स्थापन योजना तैयार करना महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय पुनर्वास और पुनर्स्थापन नीति, 2007 के तहत प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा, आवास, और आजीविका सहायता प्रदान की जाती है।
- मुआवजा और आजीविका समर्थन: उचित मुआवजा और वैकल्पिक आजीविका के अवसर प्रदान करना आवश्यक है। महाराष्ट्र राज्य खनिज नीति 2011 के अंतर्गत विस्थापित समुदायों को मुआवजा और आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
- पर्यावरणीय पुनर्स्थापन: पुनर्वास के पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने के लिए पर्यावरणीय पुनर्स्थापन के उपाय अपनाना आवश्यक है। हिमालय पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापन परियोजनाएं बड़े पैमाने पर परियोजनाओं से प्रभावित क्षेत्रों के पर्यावरणीय पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
निष्कर्ष मानव बस्तियों के पुनर्वास के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों को कम करने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है, जिसमें गहन मूल्यांकन, समुदाय की भागीदारी, और प्रभावी पुनर्वास योजनाएं शामिल हैं।
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क्या बाज़ार अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत समावेशी विकास संभव है? बाज़ार अर्थव्यवस्था और समावेशी विकास: बाज़ार अर्थव्यवस्था में समावेशी विकास संभव है, लेकिन इसके लिए सही नीतियों और नियामक ढांचे की आवश्यकता होती है। समावेशी विकास का मतलब है कि आर्थिक विकास का लाभ सभी समाज के वर्गों तक पहुंचे, न कि केवल कुछRead more
क्या बाज़ार अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत समावेशी विकास संभव है?
बाज़ार अर्थव्यवस्था और समावेशी विकास:
बाज़ार अर्थव्यवस्था में समावेशी विकास संभव है, लेकिन इसके लिए सही नीतियों और नियामक ढांचे की आवश्यकता होती है। समावेशी विकास का मतलब है कि आर्थिक विकास का लाभ सभी समाज के वर्गों तक पहुंचे, न कि केवल कुछ विशेष समूहों तक सीमित रहे।
हाल के उदाहरण:
इन पहलों से यह स्पष्ट होता है कि बाज़ार अर्थव्यवस्था के अंतर्गत समावेशी विकास संभव है, बशर्ते कि नीति निर्धारण और कार्यक्रमों का ध्यान सभी समाज के वर्गों की जरूरतों पर केंद्रित हो।
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