क्या उच्चतम न्यायालय का निर्णय (जुलाई 2018) दिल्ली के उप-राज्यपाल और निर्वाचित सरकार के बीच राजनैतिक कशमकश को निपटा सकता है? परीक्षण कीजिए। (250 words) [UPSC 2018]
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय: समालोचनात्मक परीक्षण राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम, 2014 का उद्देश्य भारत की उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया को पारदर्शी और व्यावसायिक बनाना था। अधिनियम के तहत एक आयोग गठित कियाRead more
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय: समालोचनात्मक परीक्षण
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम, 2014 का उद्देश्य भारत की उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया को पारदर्शी और व्यावसायिक बनाना था। अधिनियम के तहत एक आयोग गठित किया गया जिसमें प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, और विधायी प्रतिनिधि शामिल थे, जो न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए जिम्मेदार थे।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस अधिनियम को असंवैधानिक घोषित कर दिया। न्यायालय ने तर्क किया कि NJAC अधिनियम न्यायपालिका की स्वतंत्रता और स्वायत्तता को कमजोर करता है। कोर्ट ने कहा कि आयोग में कार्यपालिका की अधिकतम भागीदारी न्यायपालिका के स्वतंत्र निर्णय लेने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर सकती है, जो संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है।
इस निर्णय ने न्यायपालिका की स्वायत्तता की रक्षा की और Collegium प्रणाली को बनाए रखा, जो न्यायाधीशों की नियुक्ति में पारदर्शिता और स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है। हालांकि, इस प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर विवाद जारी है।
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उच्चतम न्यायालय का जुलाई 2018 का निर्णय: दिल्ली के उप-राज्यपाल और निर्वाचित सरकार के बीच राजनैतिक कशमकश पृष्ठभूमि: जुलाई 2018 में, उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के उप-राज्यपाल (LG) और दिल्ली सरकार के बीच अधिकार क्षेत्र और कार्यक्षेत्र को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय दिया। यह मामला मुख्यतः दिल्ली सरकार और उप-रRead more
उच्चतम न्यायालय का जुलाई 2018 का निर्णय: दिल्ली के उप-राज्यपाल और निर्वाचित सरकार के बीच राजनैतिक कशमकश
पृष्ठभूमि: जुलाई 2018 में, उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के उप-राज्यपाल (LG) और दिल्ली सरकार के बीच अधिकार क्षेत्र और कार्यक्षेत्र को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय दिया। यह मामला मुख्यतः दिल्ली सरकार और उप-राज्यपाल के बीच सत्ता संघर्ष से संबंधित था, जिसमें दोनों पक्षों के बीच विभिन्न मुद्दों पर विवाद था, विशेष रूप से नीति निर्माण, प्रशासनिक अधिकार और कार्यक्षेत्र की सीमाओं को लेकर।
निर्णय की मुख्य बातें:
प्रभाव और विश्लेषण:
उपसंहार: उच्चतम न्यायालय का जुलाई 2018 का निर्णय दिल्ली के उप-राज्यपाल और निर्वाचित सरकार के बीच अधिकार विवाद को स्पष्ट रूप से सुलझाने में महत्वपूर्ण था। इसने सरकार की स्वायत्तता को मान्यता दी और उप-राज्यपाल की भूमिका को सीमित किया, लेकिन संविधानिक विवादों को पूरी तरह समाप्त नहीं किया। यह निर्णय एक दिशा निर्देश प्रदान करता है, लेकिन भविष्य में उत्पन्न होने वाले विवादों को सुलझाने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की संभावना बनी रहती है।
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