महान विचारकों के तीन उद्धरण नीचे दिए गए हैं। वर्तमान संदर्भ में प्रत्येक उद्धरण आपको क्या संप्रेषित करता है ? (150 words)[UPSC 2023] a. “दयालुता के सबसे सरल कार्य प्रार्थना में एक हज़ार बार झुकने वाले सिरों से कहीं अधिक शक्तिशाली ...
भारत के संदर्भ में सामाजिक न्याय की जॉन रॉल्स की संकल्पना 1. न्याय का सिद्धांत: व्याख्या: जॉन रॉल्स का सिद्धांत "न्याय को समानता के रूप में" प्रस्तुत करता है, जिसमें दो प्रमुख सिद्धांत होते हैं: समान मूलभूत स्वतंत्रताएँ और समान अवसरों की निष्पक्षता, साथ ही फर्क सिद्धांत जो आर्थिक असमानताओं की अनुमतिRead more
भारत के संदर्भ में सामाजिक न्याय की जॉन रॉल्स की संकल्पना
1. न्याय का सिद्धांत:
- व्याख्या: जॉन रॉल्स का सिद्धांत “न्याय को समानता के रूप में” प्रस्तुत करता है, जिसमें दो प्रमुख सिद्धांत होते हैं: समान मूलभूत स्वतंत्रताएँ और समान अवसरों की निष्पक्षता, साथ ही फर्क सिद्धांत जो आर्थिक असमानताओं की अनुमति देता है अगर वे सबसे कमजोर वर्ग के हित में हों।
- भारतीय संदर्भ: भारतीय संविधान में इन सिद्धांतों का अनुसरण करते हुए, मूलभूत अधिकार और समानता की गारंटी दी गई है, और आरक्षण जैसे उपाय असमानता को दूर करने का प्रयास करते हैं।
2. समान मूलभूत स्वतंत्रताएँ:
- व्याख्या: रॉल्स का मानना है कि सभी व्यक्तियों को समान बुनियादी स्वतंत्रताएँ प्राप्त होनी चाहिए, जैसे कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
- भारतीय संदर्भ: भारतीय संविधान के तहत अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) इस सिद्धांत का पालन करते हैं।
3. समान अवसरों की निष्पक्षता:
- व्याख्या: सभी व्यक्तियों को समान अवसर प्राप्त होना चाहिए, चाहे उनका सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि कोई भी हो।
- भारतीय संदर्भ: शिक्षा और रोजगार में आरक्षण अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए समान अवसर प्रदान करने का प्रयास है।
4. फर्क सिद्धांत:
- व्याख्या: रॉल्स असमानताओं की अनुमति देते हैं यदि वे समाज के सबसे कमजोर वर्ग के लाभ के लिए हों।
- भारतीय संदर्भ: मनरेगा जैसे कार्यक्रम गरीबों के लिए रोजगार और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, जो इस सिद्धांत को दर्शाते हैं।
निष्कर्ष: जॉन रॉल्स की सामाजिक न्याय की संकल्पना भारतीय संविधान और नीतियों में समानता, स्वतंत्रता, और कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए प्रयुक्त होती है।
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महात्मा गाँधी का उद्धरण: “दयालुता के सबसे सरल कार्य प्रार्थना में एक हज़ार बार झुकने वाले सिरों से कहीं अधिक शक्तिशाली हैं।” वर्तमान संदर्भ में, यह उद्धरण हमें बताता है कि सच्ची दयालुता और मानवता के कार्य आध्यात्मिक अनुष्ठानों से अधिक प्रभावी होते हैं। आज के समय में, जब सामाजिक समस्याओं और संकटों काRead more
महात्मा गाँधी का उद्धरण: “दयालुता के सबसे सरल कार्य प्रार्थना में एक हज़ार बार झुकने वाले सिरों से कहीं अधिक शक्तिशाली हैं।”
वर्तमान संदर्भ में, यह उद्धरण हमें बताता है कि सच्ची दयालुता और मानवता के कार्य आध्यात्मिक अनुष्ठानों से अधिक प्रभावी होते हैं। आज के समय में, जब सामाजिक समस्याओं और संकटों का सामना किया जा रहा है, दयालुता जैसे सरल और व्यावहारिक कार्य समाज को वास्तविक रूप से सशक्त और समर्थनकारी बना सकते हैं।
जवाहरलाल नेहरू का उद्धरण: “लोगों को जागरूक करने के लिए महिलाओं को जागृत होना चाहिए। जैसे ही वे आगे बढ़ती हैं, परिवार आगे बढ़ता है, गाँव आगे बढ़ता है, देश आगे बढ़ता है।”
यह उद्धरण वर्तमान में महिलाओं के सशक्तिकरण की महत्वपूर्णता को दर्शाता है। जब महिलाएं शिक्षा, स्वास्थ्य और समान अवसरों में आगे बढ़ती हैं, तो इसका सकारात्मक प्रभाव परिवार, समुदाय और राष्ट्र पर व्यापक रूप से पड़ता है, जिससे सामाजिक और आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलता है।
स्वामी विवेकानंद का उद्धरण: “किसी से घृणा मत कीजिए, क्योंकि जो घृणा आपसे उत्पन्न होगी वह निश्चित ही एक अंतराल के बाद आप तक लौट आएगी। यदि आप प्रेम करेंगे, तो वह प्रेम चक्र को पूरा करता हुआ आप तक वापस आएगा।”
See lessवर्तमान संदर्भ में, यह उद्धरण यह सिखाता है कि नफरत और नकारात्मकता केवल बुरे परिणाम लाते हैं, जबकि प्रेम और सहानुभूति से सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। व्यक्तिगत और सामाजिक रिश्तों में प्रेम और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने से समाज में अमन और समझदारी को बढ़ावा मिलता है।