“बड़ी महत्त्वाकांक्षा महान चरित्र का भावावेश (जुनून) है। जो इससे संपन्न हैं वे या तो बहुत अच्छे अथवा बहुत बुरे कार्य कर सकते हैं। ये सब कुछ उन सिद्धांतों पर आधारित है जिनसे वे निर्देशित होते हैं।” – नेपोलियन बोनापार्ट ...
स्वामी विवेकानंद का उद्धरण: कठिनाइयाँ और दृढ़निश्चय स्वामी विवेकानंद ने कहा, “प्रत्येक कार्य की सफलता से पहले उसे सैकड़ों कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है। जो दृढ़निश्चयी हैं वे ही देर-सबेर प्रकाश को देख पाएँगे।” इस उद्धरण में सफलता के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों और दृढ़ निश्चय के महत्व को व्यक्त कियाRead more
स्वामी विवेकानंद का उद्धरण: कठिनाइयाँ और दृढ़निश्चय
स्वामी विवेकानंद ने कहा, “प्रत्येक कार्य की सफलता से पहले उसे सैकड़ों कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है। जो दृढ़निश्चयी हैं वे ही देर-सबेर प्रकाश को देख पाएँगे।” इस उद्धरण में सफलता के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों और दृढ़ निश्चय के महत्व को व्यक्त किया गया है।
कठिनाइयाँ और सफलता
सफलता की राह में चुनौतियाँ अपरिहार्य होती हैं। इंदिरा गांधी, भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री, ने अपने राजनीतिक करियर में कई बाधाओं का सामना किया, लेकिन उनकी दृढ़ता और समर्पण ने उन्हें सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
दृढ़निश्चय का महत्व
दृढ़निश्चय ही किसी भी कठिनाई को पार करने की कुंजी है। स्टीव जॉब्स, जिन्होंने एप्पल को अपने दृष्टिकोण और संघर्ष के कारण सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाया, ने कई विफलताओं और चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उनकी दृढ़ता ने उन्हें अंततः विजय दिलाई।
निष्कर्ष
स्वामी विवेकानंद का उद्धरण हमें यह सिखाता है कि कठिनाइयाँ सफलता की प्रक्रिया का हिस्सा हैं और केवल दृढ़निश्चयी व्यक्ति ही अंततः सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
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महत्त्वाकांक्षा और इसके प्रभाव नेपोलियन बोनापार्ट का यह कथन दर्शाता है कि बड़ी महत्त्वाकांक्षा महान चरित्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, लेकिन इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कौन से सिद्धांत निर्देशित करते हैं। समाज और देश का अहित करने वाले शासक: अधोल्फ हिटलर की महत्त्वाकांक्षा ने नाजRead more
महत्त्वाकांक्षा और इसके प्रभाव
नेपोलियन बोनापार्ट का यह कथन दर्शाता है कि बड़ी महत्त्वाकांक्षा महान चरित्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, लेकिन इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कौन से सिद्धांत निर्देशित करते हैं।
समाज और देश का अहित करने वाले शासक:
अधोल्फ हिटलर की महत्त्वाकांक्षा ने नाजी जर्मनी को अत्यधिक विस्तारवादी और जातिवादी नीतियों की ओर प्रेरित किया। इसके परिणामस्वरूप द्वितीय विश्व युद्ध और होलोकॉस्ट हुए, जिससे करोड़ों लोगों की जानें गईं और पूरी दुनिया में विनाशकारी प्रभाव पड़ा।
किम जोंग उन, उत्तर कोरिया के वर्तमान शासक, की महत्त्वाकांक्षा ने देश को अत्यधिक दमनकारी शासन के तहत रखा है। उनकी नीतियों ने लाखों लोगों को भुखमरी और मानवाधिकार उल्लंघन का सामना कराया।
समाज और देश के विकास के लिए कार्य करने वाले शासक:
महींद्रा गांधी की महत्त्वाकांक्षा ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों के आधार पर भारतीय समाज में सामाजिक न्याय और आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया।
नैस्लोन मंडेला की महत्त्वाकांक्षा ने दक्षिण अफ्रीका को अपार्थेड के बाद एक नई दिशा दी। उनकी समावेशिता और सुलह की नीतियों ने देश को लोकतंत्र और सामाजिक समानता की ओर अग्रसर किया।
ये उदाहरण दर्शाते हैं कि महत्त्वाकांक्षा का प्रभाव तब सकारात्मक या नकारात्मक होता है जब इसे किसी विशिष्ट नैतिक या सिद्धांतिक ढांचे से निर्देशित किया जाता है।
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