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"हम बाहरी दुनिया में तब तक शांति प्राप्त नहीं कर सकते जब तक कि हम अपने भीतर शांति प्राप्त नहीं कर लेते।" – दलाई लामा (150 words) [UPSC 2021]
परिचय: दलाई लामा द्वारा कही गई यह पंक्ति शांति और आंतरिक संतुलन के महत्व पर बल देती है। जब तक व्यक्ति अपने भीतर शांति प्राप्त नहीं करता, तब तक वह बाहरी दुनिया में स्थायी शांति स्थापित करने में सक्षम नहीं होता। आंतरिक शांति से तात्पर्य मानसिक और भावनात्मक संतुलन से है, जो व्यक्ति के व्यवहार और दृष्टिRead more
परिचय:
दलाई लामा द्वारा कही गई यह पंक्ति शांति और आंतरिक संतुलन के महत्व पर बल देती है। जब तक व्यक्ति अपने भीतर शांति प्राप्त नहीं करता, तब तक वह बाहरी दुनिया में स्थायी शांति स्थापित करने में सक्षम नहीं होता। आंतरिक शांति से तात्पर्य मानसिक और भावनात्मक संतुलन से है, जो व्यक्ति के व्यवहार और दृष्टिकोण को नियंत्रित करता है।
आंतरिक शांति का महत्व:
निष्कर्ष:
व्यक्ति की आंतरिक शांति ही बाहरी दुनिया में शांति लाने का पहला कदम है। जब हम भीतर शांत होते हैं, तभी हम बाहरी संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान खोज सकते हैं।
See less"प्रत्येक कार्य की सफलता से पहले उसे सैकड़ों कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है। जो दृढ़निश्चयी हैं वे ही देर-सबेर प्रकाश को देख पाएँगे।" स्वामी विवेकानंद (150 words) [UPSC 2021]
स्वामी विवेकानंद का उद्धरण: कठिनाइयाँ और दृढ़निश्चय स्वामी विवेकानंद ने कहा, “प्रत्येक कार्य की सफलता से पहले उसे सैकड़ों कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है। जो दृढ़निश्चयी हैं वे ही देर-सबेर प्रकाश को देख पाएँगे।” इस उद्धरण में सफलता के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों और दृढ़ निश्चय के महत्व को व्यक्त कियाRead more
स्वामी विवेकानंद का उद्धरण: कठिनाइयाँ और दृढ़निश्चय
स्वामी विवेकानंद ने कहा, “प्रत्येक कार्य की सफलता से पहले उसे सैकड़ों कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है। जो दृढ़निश्चयी हैं वे ही देर-सबेर प्रकाश को देख पाएँगे।” इस उद्धरण में सफलता के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों और दृढ़ निश्चय के महत्व को व्यक्त किया गया है।
कठिनाइयाँ और सफलता
सफलता की राह में चुनौतियाँ अपरिहार्य होती हैं। इंदिरा गांधी, भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री, ने अपने राजनीतिक करियर में कई बाधाओं का सामना किया, लेकिन उनकी दृढ़ता और समर्पण ने उन्हें सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
दृढ़निश्चय का महत्व
दृढ़निश्चय ही किसी भी कठिनाई को पार करने की कुंजी है। स्टीव जॉब्स, जिन्होंने एप्पल को अपने दृष्टिकोण और संघर्ष के कारण सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाया, ने कई विफलताओं और चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उनकी दृढ़ता ने उन्हें अंततः विजय दिलाई।
निष्कर्ष
स्वामी विवेकानंद का उद्धरण हमें यह सिखाता है कि कठिनाइयाँ सफलता की प्रक्रिया का हिस्सा हैं और केवल दृढ़निश्चयी व्यक्ति ही अंततः सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
See less"कमज़ोर कभी माफ नहीं कर सकते; क्षमाशीलता तो ताकतवर का ही सहज गुण है।" (150 words) [UPSC 2015]
प्रस्तावना यह उद्धरण हमें क्षमा के गुण की गहराई को समझाता है। कमज़ोरी और क्षमता के बीच का संबंध इस विचार को उजागर करता है कि वास्तविक शक्ति में दूसरों को माफ करने की क्षमता होती है। क्षमा का महत्व समाज में, क्षमा न केवल व्यक्तिगत संबंधों को मजबूत बनाती है, बल्कि सामूहिक विकास में भी सहायक होती है। उRead more
प्रस्तावना
यह उद्धरण हमें क्षमा के गुण की गहराई को समझाता है। कमज़ोरी और क्षमता के बीच का संबंध इस विचार को उजागर करता है कि वास्तविक शक्ति में दूसरों को माफ करने की क्षमता होती है।
क्षमा का महत्व
समाज में, क्षमा न केवल व्यक्तिगत संबंधों को मजबूत बनाती है, बल्कि सामूहिक विकास में भी सहायक होती है। उदाहरण के लिए, महात्मा गांधी ने अपने जीवन में कई बार अपने विरोधियों को क्षमा किया, जिससे उन्होंने सामाजिक बदलाव को संभव बनाया।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य
हाल के उदाहरणों में, नागालैंड में सामाजिक मेलजोल और क्षमा की पहल ने स्थानीय समुदायों के बीच तनाव को कम किया है। यहाँ के लोगों ने अपने ऐतिहासिक विवादों को छोड़कर एक नई शुरुआत की है।
निष्कर्ष
See lessइस प्रकार, क्षमा केवल एक नैतिक गुण नहीं, बल्कि मानवता और सामाजिक स्थिरता के लिए आवश्यक तत्व है। ताकतवर वही हैं जो दूसरों को माफ करने का साहस दिखाते हैं।
"हम बच्चे को आसानी से माफ कर सकते हैं, जो अंधेरे से डरता है; जीवन की वास्तविक विडंबना तो तब है जब मनुष्य प्रकाश से डरने लगते हैं।" (150 words) [UPSC 2015]
प्रस्तावना इस उद्धरण का आशय यह है कि डर एक स्वाभाविक भावना है, लेकिन जब इंसान प्रकाश (ज्ञान, सच्चाई) से डरने लगता है, तो यह गंभीर समस्या बन जाती है। ज्ञान का महत्व आज के युग में, सूचना का युग कहा जाता है, जहां ज्ञान की शक्ति अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, कोविड-19 के दौरान लोगों ने बहुत से मिRead more
प्रस्तावना
इस उद्धरण का आशय यह है कि डर एक स्वाभाविक भावना है, लेकिन जब इंसान प्रकाश (ज्ञान, सच्चाई) से डरने लगता है, तो यह गंभीर समस्या बन जाती है।
ज्ञान का महत्व
आज के युग में, सूचना का युग कहा जाता है, जहां ज्ञान की शक्ति अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, कोविड-19 के दौरान लोगों ने बहुत से मिथकों और गलतफहमियों का सामना किया। ऐसे में, वैज्ञानिक तथ्यों और ज्ञान को स्वीकार करने में हिचकिचाहट ने संकट को बढ़ा दिया।
सामाजिक चुनौतियाँ
भारत में, कई लोग धार्मिक अंधविश्वास और सामाजिक पूर्वाग्रह के कारण सच्चाई से दूर रहते हैं। हाल के उदाहरणों में, गौ हत्या कानून की चर्चा में कई लोग विज्ञान और तर्क को नजरअंदाज करते हैं।
निष्कर्ष
See lessइस उद्धरण से यह स्पष्ट है कि ज्ञान और सत्य का सामना करने में हिचकिचाहट से मानवता को नुकसान पहुँचता है। इसलिए, हमें प्रकाश से डरने की बजाय, उसे अपनाना चाहिए।
"मनुष्यों के साथ सदैव उनको, अपने-आप में 'लक्ष्य' मानकर व्यवहार करना चाहिए, कभी भी उनको केवल 'साधन' नहीं मानना चाहिए।" आधुनिक तकनीकी आर्थिक समाज में इस कथन के निहितार्थों का उल्लेख करते हुए इसका अर्थ और महत्त्व स्पष्ट कीजिए।(150 words) [UPSC 2014]
कथन का अर्थ और महत्त्व "मनुष्यों के साथ सदैव उनको, अपने-आप में 'लक्ष्य' मानकर व्यवहार करना चाहिए, कभी भी उनको केवल 'साधन' नहीं मानना चाहिए" का तात्पर्य है कि हर व्यक्ति की अंतर्निहित मूल्य और सम्मान है। यह विचारक इमैनुएल कांट की नैतिकता पर आधारित है, जिसमें व्यक्ति को स्वयं में पूर्णता के रूप में देRead more
कथन का अर्थ और महत्त्व
“मनुष्यों के साथ सदैव उनको, अपने-आप में ‘लक्ष्य’ मानकर व्यवहार करना चाहिए, कभी भी उनको केवल ‘साधन’ नहीं मानना चाहिए” का तात्पर्य है कि हर व्यक्ति की अंतर्निहित मूल्य और सम्मान है। यह विचारक इमैनुएल कांट की नैतिकता पर आधारित है, जिसमें व्यक्ति को स्वयं में पूर्णता के रूप में देखा जाता है, न कि केवल किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक साधन के रूप में।
आधुनिक तकनीकी आर्थिक समाज में निहितार्थ
आज के डिजिटल युग में, प्राइवेसी और डेटा सुरक्षा जैसे मुद्दे महत्वपूर्ण हैं। कंपनियों जैसे अमेज़न और ट्विटर अक्सर उपयोगकर्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी का व्यापार करते हैं, जो कभी-कभी उन्हें केवल डेटा के संसाधन के रूप में मानते हैं। यह सिद्धांत यहां लोगों की निजता और अधिकारों की रक्षा की आवश्यकता को दर्शाता है, ताकि वे केवल व्यापारिक लाभ के साधन न बनें।
वहीं, गिग इकोनॉमी में फ्रीलांसर और कॉन्ट्रैक्टर के अधिकार भी अक्सर नजरअंदाज होते हैं। इनके साथ सम्मानजनक व्यवहार, उचित वेतन और सुरक्षा प्रदान करना यह सुनिश्चित करता है कि ये श्रमिक केवल काम के साधन नहीं, बल्कि स्वतंत्र और सम्मानित व्यक्ति हैं।
इस प्रकार, इस सिद्धांत का पालन करके हम एक अधिक नैतिक और मानवतावादी समाज की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं।
See less"ज्ञान के बिना ईमानदारी कमज़ोर और व्यर्थ है, परन्तु ईमानदारी के बिना ज्ञान ख़तरनाक और भयानक होता है।" इस कथन से आप क्या समझते हैं? आधुनिक सन्दर्भ से उदाहरण लेते हुए अपने अभिमत को स्पष्ट कीजिए।(150 words) [UPSC 2014]
कथन की समझ यह कथन ईमानदारी और ज्ञान के आपसी संबंध को स्पष्ट करता है। ईमानदारी के बिना ज्ञान व्यर्थ हो सकता है क्योंकि इसे सही तरीके से लागू नहीं किया जा सकता। वहीं, ज्ञान के बिना ईमानदारी खतरनाक हो सकती है क्योंकि इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। ईमानदारी के बिना ज्ञान जब ज्ञान के साथ ईमानदारी नहीं होRead more
कथन की समझ
यह कथन ईमानदारी और ज्ञान के आपसी संबंध को स्पष्ट करता है। ईमानदारी के बिना ज्ञान व्यर्थ हो सकता है क्योंकि इसे सही तरीके से लागू नहीं किया जा सकता। वहीं, ज्ञान के बिना ईमानदारी खतरनाक हो सकती है क्योंकि इसका दुरुपयोग किया जा सकता है।
ईमानदारी के बिना ज्ञान
जब ज्ञान के साथ ईमानदारी नहीं होती, तो इसका दुरुपयोग हो सकता है। उदाहरण के लिए, डेटा साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में गोपनीयता का उल्लंघन और भ्रष्टाचार हो सकता है। Cambridge Analytica कांड में डेटा का दुरुपयोग कर जनमत को प्रभावित किया गया, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर खतरा पैदा हुआ।
ज्ञान के बिना ईमानदारी
ईमानदारी बिना ज्ञान के भी असफल हो सकती है। उदाहरण के लिए, स्वच्छता अभियानों में बहुत अच्छा इरादा होने के बावजूद, प्रभावी योजना और कार्यान्वयन के बिना ये अभियानों की सफलता सीमित हो जाती है।
आधुनिक सन्दर्भ
COVID-19 वैक्सीनेशन एक अच्छा उदाहरण है। वैज्ञानिक ज्ञान के बिना, वैक्सीन विकसित नहीं की जा सकती थी, लेकिन ईमानदारी से किए गए परीक्षण और वितरण ने इस प्रक्रिया को सुरक्षित और प्रभावी बनाया।
इस प्रकार, ज्ञान और ईमानदारी का सामंजस्यपूर्ण संयोजन आवश्यक है, ताकि दोनों का सकारात्मक उपयोग किया जा सके और समाज को लाभ हो।
See lessमैक्स वैबर ने कहा था कि जिस प्रकार के नैतिक प्रतिमानों को हम व्यक्तिगत अंतरात्मा के मामलों पर लागू करते हैं, उस प्रकार के नैतिक प्रतिमानों को लोक प्रशासन पर लागू करना समझदारी नहीं है। इस बात को समझ लेना महत्त्वपूर्ण है कि हो सकता है कि राज्य के अधिकारीतंत्र के पास अपनी स्वयं की स्वतंत्र अधिकारीतंत्रीय नैतिकता हो।" इस कथन का समालोचनापूर्वक विश्लेषण कीजिए । (150 words) [UPSC 2016]
मैक्स वैबर के कथन का समालोचनात्मक विश्लेषण 1. व्यक्तिगत और अधिकारीतंत्रीय नैतिकता का अंतर व्यक्तिगत नैतिकता बनाम अधिकारीतंत्रीय नैतिकता: मैक्स वैबर ने कहा कि व्यक्तिगत नैतिक मानदंडों को लोक प्रशासन में लागू करना उपयुक्त नहीं है। अधिकारीतंत्र का अपना स्वतंत्र नैतिक ढांचा होता है, जो दक्षता और नियमोंRead more
मैक्स वैबर के कथन का समालोचनात्मक विश्लेषण
1. व्यक्तिगत और अधिकारीतंत्रीय नैतिकता का अंतर
व्यक्तिगत नैतिकता बनाम अधिकारीतंत्रीय नैतिकता: मैक्स वैबर ने कहा कि व्यक्तिगत नैतिक मानदंडों को लोक प्रशासन में लागू करना उपयुक्त नहीं है। अधिकारीतंत्र का अपना स्वतंत्र नैतिक ढांचा होता है, जो दक्षता और नियमों की पालना पर केंद्रित होता है। उदाहरण के लिए, सरकारी नियमों और प्रक्रियाओं की पालन में व्यक्तिगत नैतिक विचारों का समावेश मुश्किल हो सकता है।
2. दक्षता की प्राथमिकता
प्रशासनिक दक्षता पर जोर: अधिकारीतंत्र का उद्देश्य नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार काम करना है, जिससे संस्थागत दक्षता सुनिश्चित होती है। उदाहरण के लिए, जाँच और फाइल की प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता और समयबद्धता की आवश्यकता होती है, जो व्यक्तिगत नैतिकता से भिन्न हो सकती है।
3. वास्तविकता में लागू समस्याएँ
नैतिक दुविधाएँ और भ्रष्टाचार: कई बार, प्रशासनिक नियम व्यक्तिगत नैतिक मानदंडों के खिलाफ हो सकते हैं, जिससे नैतिक दुविधाएँ उत्पन्न होती हैं। हाल में भ्रष्टाचार और अनियमितता की घटनाएँ दर्शाती हैं कि अधिकारीतंत्र की नैतिकता के कारण प्रशासनिक प्रक्रियाएँ व्यक्तिगत नैतिकता से मेल नहीं खातीं।
4. नैतिकता और प्रशासन में संतुलन
नैतिक सुधार और पारदर्शिता: हालांकि अधिकारीतंत्रीय नैतिकता पर जोर दिया जाता है, नैतिकता को प्रशासनिक ढाँचे में एकीकृत करना भी महत्वपूर्ण है। पारदर्शिता और जवाबदेही जैसे सुधार उपाय इस संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं।
निष्कर्ष
वैबर का कथन यह दर्शाता है कि अधिकारीतंत्र की नैतिकता व्यक्तिगत नैतिक मानदंडों से अलग होती है, जो दक्षता और नियमों की पालना पर आधारित होती है। हालांकि, व्यक्तिगत नैतिकता और प्रशासनिक नैतिकता के बीच संतुलन बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है ताकि लोक प्रशासन समाज की नैतिक अपेक्षाओं के अनुरूप कार्य कर सके।
See less“भ्रष्टाचार सरकारी राजकोष का दुरुपयोग, प्रशासनिक अदक्षता एवं राष्ट्रीय विकास के मार्ग में बाधा उत्पन्न करता है।" कौटिल्य के विचारों की विवेचना कीजिए । (150 words) [UPSC 2016]
कौटिल्य के भ्रष्टाचार पर विचार 1. सरकारी राजकोष का दुरुपयोग: व्याख्या: कौटिल्य की अर्थशास्त्र में भ्रष्टाचार को राज्य के संसाधनों के दुरुपयोग के रूप में देखा गया है। भ्रष्ट अधिकारी सरकारी धन का उपयोग व्यक्तिगत लाभ के लिए करते हैं, जिससे राज्य को वित्तीय हानि होती है। उदाहरण: 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला जैRead more
कौटिल्य के भ्रष्टाचार पर विचार
1. सरकारी राजकोष का दुरुपयोग:
2. प्रशासनिक अदक्षता:
3. राष्ट्रीय विकास में बाधा:
निष्कर्ष: कौटिल्य के विचार दर्शाते हैं कि भ्रष्टाचार न केवल सरकारी धन के दुरुपयोग और प्रशासनिक दक्षता को प्रभावित करता है, बल्कि यह राष्ट्रीय विकास की गति को भी रोकता है। इसका प्रभाव व्यापक और विनाशकारी होता है।
See lessभारत के संदर्भ में सामाजिक न्याय की जॉन रॉल्स की संकल्पना का विश्लेषण कीजिए । (150 words) [UPSC 2016]
भारत के संदर्भ में सामाजिक न्याय की जॉन रॉल्स की संकल्पना 1. न्याय का सिद्धांत: व्याख्या: जॉन रॉल्स का सिद्धांत "न्याय को समानता के रूप में" प्रस्तुत करता है, जिसमें दो प्रमुख सिद्धांत होते हैं: समान मूलभूत स्वतंत्रताएँ और समान अवसरों की निष्पक्षता, साथ ही फर्क सिद्धांत जो आर्थिक असमानताओं की अनुमतिRead more
भारत के संदर्भ में सामाजिक न्याय की जॉन रॉल्स की संकल्पना
1. न्याय का सिद्धांत:
2. समान मूलभूत स्वतंत्रताएँ:
3. समान अवसरों की निष्पक्षता:
4. फर्क सिद्धांत:
निष्कर्ष: जॉन रॉल्स की सामाजिक न्याय की संकल्पना भारतीय संविधान और नीतियों में समानता, स्वतंत्रता, और कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए प्रयुक्त होती है।
See less"जहाँ हृदय में शुचिता है, वहाँ चरित्र में सुन्दरता है। जब चरित्र में सौन्दर्य है, तब घर में समरसता है। जब घर में समरसता है, तब राष्ट्र में सुव्यवस्था है। जब राष्ट्र में सुव्यवस्था है, तब विश्व में शांति है।" – ए. पी. जे. अब्दुल कलाम (150 words) [UPSC 2019]
हृदय की शुचिता और इसके प्रभाव हृदय में शुचिता: हृदय में शुचिता, यानी नैतिकता और ईमानदारी, एक व्यक्ति के चरित्र को सशक्त बनाती है। मालाला यूसुफज़ई की शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के प्रति प्रतिबद्धता, उनके शुद्ध हृदय की पुष्टि करती है, जिसने उन्हें वैश्विक स्तर पर आदर्श बना दिया है। चरित्र में सौंदर्य:Read more
हृदय की शुचिता और इसके प्रभाव
हृदय में शुचिता:
हृदय में शुचिता, यानी नैतिकता और ईमानदारी, एक व्यक्ति के चरित्र को सशक्त बनाती है। मालाला यूसुफज़ई की शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के प्रति प्रतिबद्धता, उनके शुद्ध हृदय की पुष्टि करती है, जिसने उन्हें वैश्विक स्तर पर आदर्श बना दिया है।
चरित्र में सौंदर्य:
जब चरित्र में सौंदर्य होता है, तो व्यक्ति ईमानदारी, सहानुभूति, और समर्पण दिखाता है। गौरव गुप्ता, एक भारतीय उद्यमी, ने अपने व्यवसाय में ईमानदारी और सामाजिक जिम्मेदारी को महत्व दिया, जिससे उन्होंने अपने क्षेत्र में सकारात्मक प्रभाव डाला।
घर में समरसता:
एक सुंदर चरित्र के कारण घर में समरसता और सहयोग होता है। नैस्लोन मंडेला ने अपने परिवार और समाज में समरसता को बढ़ावा दिया, जिससे दक्षिण अफ्रीका में सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों में सुधार हुआ।
राष्ट्र में सुव्यवस्था:
घर में समरसता के परिणामस्वरूप, राष्ट्र में सुव्यवस्था और स्थिरता आती है। भूटान का ग्रोस नेशनल हैप्पीनेस मॉडल, जो सामाजिक समरसता और शांति को बढ़ावा देता है, इसके उदाहरण हैं।
विश्व में शांति:
जब राष्ट्र में सुव्यवस्था होती है, तो वैश्विक स्तर पर शांति और सहयोग संभव होता है। पेरिस जलवायु समझौता जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रयास, जो वैश्विक पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान खोजते हैं, इस सुव्यवस्था की पुष्टि करते हैं।
यह कड़ी प्रक्रिया हृदय की शुचिता से लेकर वैश्विक शांति तक एक नैतिक और व्यवस्थित समाज के निर्माण को दर्शाती है।
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