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महात्मा गाँधी की सात पापों की संकल्पना की विवेचना कीजिए । (150 words) [UPSC 2016]
महात्मा गाँधी की सात पापों की संकल्पना 1. श्रम के बिना संपत्ति: व्याख्या: गाँधी ने संपत्ति अर्जित करने की आलोचना की, जब इसे बिना श्रम या सेवा के प्राप्त किया जाए। यह शोषण और अन्यायपूर्ण माना जाता है। उदाहरण: व्यापारी कर चोरी और मुनाफाखोरी का मामला इसमें आता है। 2. विवेक के बिना आनंद: व्याख्या: आनंदRead more
महात्मा गाँधी की सात पापों की संकल्पना
1. श्रम के बिना संपत्ति:
2. विवेक के बिना आनंद:
3. ज्ञान के बिना चरित्र:
4. नैतिकता के बिना व्यापार:
5. विज्ञान के बिना मानवता:
6. पूजा के बिना बलिदान:
7. नीति के बिना राजनीति:
निष्कर्ष: गाँधी की सात पापों की संकल्पना जीवन के विभिन्न पहलुओं में नैतिकता और ईमानदारी की आवश्यकता को उजागर करती है, और सामाजिक व व्यक्तिगत जीवन में नैतिक दिशानिर्देश प्रदान करती है।
See less“बड़ी महत्त्वाकांक्षा महान चरित्र का भावावेश (जुनून) है। जो इससे संपन्न हैं वे या तो बहुत अच्छे अथवा बहुत बुरे कार्य कर सकते हैं। ये सब कुछ उन सिद्धांतों पर आधारित है जिनसे वे निर्देशित होते हैं।" – नेपोलियन बोनापार्ट । उदाहरण देते हुए उन शासकों का उल्लेख कीजिए जिन्होंने (i) समाज व देश का अहित किया है, (ii) समाज व देश के विकास के लिए कार्य किया है। (150 words) [UPSC 2017]
महत्त्वाकांक्षा और इसके प्रभाव नेपोलियन बोनापार्ट का यह कथन दर्शाता है कि बड़ी महत्त्वाकांक्षा महान चरित्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, लेकिन इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कौन से सिद्धांत निर्देशित करते हैं। समाज और देश का अहित करने वाले शासक: अधोल्फ हिटलर की महत्त्वाकांक्षा ने नाजRead more
महत्त्वाकांक्षा और इसके प्रभाव
नेपोलियन बोनापार्ट का यह कथन दर्शाता है कि बड़ी महत्त्वाकांक्षा महान चरित्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, लेकिन इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कौन से सिद्धांत निर्देशित करते हैं।
समाज और देश का अहित करने वाले शासक:
अधोल्फ हिटलर की महत्त्वाकांक्षा ने नाजी जर्मनी को अत्यधिक विस्तारवादी और जातिवादी नीतियों की ओर प्रेरित किया। इसके परिणामस्वरूप द्वितीय विश्व युद्ध और होलोकॉस्ट हुए, जिससे करोड़ों लोगों की जानें गईं और पूरी दुनिया में विनाशकारी प्रभाव पड़ा।
किम जोंग उन, उत्तर कोरिया के वर्तमान शासक, की महत्त्वाकांक्षा ने देश को अत्यधिक दमनकारी शासन के तहत रखा है। उनकी नीतियों ने लाखों लोगों को भुखमरी और मानवाधिकार उल्लंघन का सामना कराया।
समाज और देश के विकास के लिए कार्य करने वाले शासक:
महींद्रा गांधी की महत्त्वाकांक्षा ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों के आधार पर भारतीय समाज में सामाजिक न्याय और आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया।
नैस्लोन मंडेला की महत्त्वाकांक्षा ने दक्षिण अफ्रीका को अपार्थेड के बाद एक नई दिशा दी। उनकी समावेशिता और सुलह की नीतियों ने देश को लोकतंत्र और सामाजिक समानता की ओर अग्रसर किया।
ये उदाहरण दर्शाते हैं कि महत्त्वाकांक्षा का प्रभाव तब सकारात्मक या नकारात्मक होता है जब इसे किसी विशिष्ट नैतिक या सिद्धांतिक ढांचे से निर्देशित किया जाता है।
See lessनीतिशास्त्र केस स्टडी
a. अब्राहम लिंकन का उद्धरण “किसी भी बात को स्वीकार करने या अस्वीकार करने का निर्धारण करने में सही नियम यह नहीं है कि उसमें कोई बुराई है या नहीं; बल्कि यह है कि उसमें अच्छाई से अधिक बुराई है। ऐसे बहुत कम विषय होते हैं जो पूरी तरह बुरे या अच्छे होते हैं। लगभग सभी विषय, विशेषकर सरकारी नीति से संबंधित,Read more
a. अब्राहम लिंकन का उद्धरण
“किसी भी बात को स्वीकार करने या अस्वीकार करने का निर्धारण करने में सही नियम यह नहीं है कि उसमें कोई बुराई है या नहीं; बल्कि यह है कि उसमें अच्छाई से अधिक बुराई है। ऐसे बहुत कम विषय होते हैं जो पूरी तरह बुरे या अच्छे होते हैं। लगभग सभी विषय, विशेषकर सरकारी नीति से संबंधित, अच्छाई और बुराई दोनों के अविच्छेदनीय योग होते हैं; ताकि इन दोनों के बीच प्रधानता के बारे में हमारे सर्वोत्तम निर्णय की आवश्यकता हमेशा बनी रहती है।”
वर्तमान संदर्भ में, लिंकन का उद्धरण यह दर्शाता है कि अधिकांश सरकारी नीतियों में अच्छाई और बुराई का मिश्रण होता है। उदाहरण के लिए, नोटबंदी ने काले धन को रोकने में सहायता की लेकिन कई लोगों को आर्थिक संकट में डाल दिया। इस प्रकार के निर्णयों में, हमें कुल मिलाकर लाभ और हानि का मूल्यांकन करना होता है।
b. महात्मा गाँधी का उद्धरण
“क्रोध और असहिष्णुता सही समझ के शत्रु हैं।”
गांधी का उद्धरण यह बताता है कि संवाद और समझ के लिए धैर्य और सहिष्णुता आवश्यक हैं। वर्तमान में, राजनीतिक विवाद और सामाजिक मुद्दों पर बहसें अक्सर क्रोधित और असहिष्णु हो जाती हैं, जो सही समाधान तक पहुंचने में बाधक बनती हैं। उदाहरण के लिए, सीएए (सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट) के विरोध में कई बार गुस्से और असहिष्णुता ने संवाद के बजाय हिंसा को जन्म दिया।
c. तिरुक्कुरल का उद्धरण
“असत्य भी सत्य का स्थान ले लेता है यदि उसका परिणाम निष्कलंक सार्वजनिक कल्याण हो।”
तिरुक्कुरल का उद्धरण यह सुझाव देता है कि कभी-कभी समाज के भले के लिए सत्य को थोड़े से बदलने की अनुमति दी जा सकती है। वर्तमान में, संकट प्रबंधन जैसे परिदृश्यों में, सार्वजनिक सुरक्षा के लिए कुछ जानकारी को सीमित या नियंत्रित किया जाता है। उदाहरण के लिए, COVID-19 के दौरान, जानकारी को नियंत्रित किया गया ताकि अफवाहें न फैलें और सामाजिक व्यवस्था बनी रहे, यह समाज के व्यापक हित में किया गया।
See lessबुद्ध की कौन सी शिक्षाएँ आज सर्वाधिक प्रासंगिक हैं और क्यों ? विवेचना कीजिए। (150 words) [UPSC 2020]
आज की प्रासंगिक बुद्ध की शिक्षाएँ **1. सतर्कता (Mindfulness) a. वर्तमान प्रासंगिकता: बुद्ध की सतर्कता (सति) की शिक्षा वर्तमान समय में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह विचारशीलता और पूर्ण वर्तमान क्षण में होने की स्थिति को दर्शाता है। आजकल, माइंडफुलनेस आधारित तनाव प्रबंधन (MBSR) कार्यक्रमों में इसका उपयोग होRead more
आज की प्रासंगिक बुद्ध की शिक्षाएँ
**1. सतर्कता (Mindfulness)
a. वर्तमान प्रासंगिकता:
बुद्ध की सतर्कता (सति) की शिक्षा वर्तमान समय में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह विचारशीलता और पूर्ण वर्तमान क्षण में होने की स्थिति को दर्शाता है। आजकल, माइंडफुलनेस आधारित तनाव प्रबंधन (MBSR) कार्यक्रमों में इसका उपयोग होता है, जो मानसिक स्वास्थ्य और तनाव प्रबंधन में सहायक हैं।
**2. मध्यमार्ग (The Middle Way)
a. संतुलन और संयम:
मध्यमार्ग की शिक्षा अत्यधिक प्रासंगिक है, जो अत्यधिक भोग और कठोर संयम दोनों से बचने की बात करती है। आजकल के कॉर्पोरेट वेलनेस प्रोग्राम और स्वास्थ्य पहल संतुलित जीवन की अवधारणा को बढ़ावा देती हैं, जिससे व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में संतुलन बना रहे।
**3. करुणा और अहिंसा (Compassion and Non-Violence)
a. नैतिक जीवन:
करुणा और अहिंसा की शिक्षाएँ सामाजिक समरसता और संघर्ष समाधान के लिए महत्वपूर्ण हैं। हाल के उदाहरण में, महात्मा गांधी की अहिंसा की नीतियाँ वैश्विक नागरिक अधिकार आंदोलनों में प्रेरणास्त्रोत बनी हैं, जैसे ब्लैक लाइव्स मैटर।
**4. अनित्यत्व (Impermanence)
a. परिवर्तन की स्वीकृति:
अनित्यत्व की अवधारणा वर्तमान में तेजी से बदलते विश्व में अनुकूलन में मदद करती है। इस शिक्षा से परिवर्तन और अनिश्चितता को स्वीकारना आसान होता है, जैसे कोविड-19 महामारी के दौरान जीवनशैली में बदलाव।
निष्कर्ष:
See lessबुद्ध की शिक्षाएँ—सतर्कता, मध्यमार्ग, करुणा, और अनित्यत्व—आज की दुनिया में मानसिक शांति, संतुलित जीवन, सामाजिक सद्भाव, और परिवर्तन के साथ सामंजस्य के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं।
महान विचारकों के तीन उद्धरण नीचे दिए गए हैं। वर्तमान संदर्भ में प्रत्येक उद्धरण आपको क्या संप्रेषित करता है ? (150 words)[UPSC 2023]
महात्मा गाँधी का उद्धरण: “दयालुता के सबसे सरल कार्य प्रार्थना में एक हज़ार बार झुकने वाले सिरों से कहीं अधिक शक्तिशाली हैं।” वर्तमान संदर्भ में, यह उद्धरण हमें बताता है कि सच्ची दयालुता और मानवता के कार्य आध्यात्मिक अनुष्ठानों से अधिक प्रभावी होते हैं। आज के समय में, जब सामाजिक समस्याओं और संकटों काRead more
महात्मा गाँधी का उद्धरण: “दयालुता के सबसे सरल कार्य प्रार्थना में एक हज़ार बार झुकने वाले सिरों से कहीं अधिक शक्तिशाली हैं।”
वर्तमान संदर्भ में, यह उद्धरण हमें बताता है कि सच्ची दयालुता और मानवता के कार्य आध्यात्मिक अनुष्ठानों से अधिक प्रभावी होते हैं। आज के समय में, जब सामाजिक समस्याओं और संकटों का सामना किया जा रहा है, दयालुता जैसे सरल और व्यावहारिक कार्य समाज को वास्तविक रूप से सशक्त और समर्थनकारी बना सकते हैं।
जवाहरलाल नेहरू का उद्धरण: “लोगों को जागरूक करने के लिए महिलाओं को जागृत होना चाहिए। जैसे ही वे आगे बढ़ती हैं, परिवार आगे बढ़ता है, गाँव आगे बढ़ता है, देश आगे बढ़ता है।”
यह उद्धरण वर्तमान में महिलाओं के सशक्तिकरण की महत्वपूर्णता को दर्शाता है। जब महिलाएं शिक्षा, स्वास्थ्य और समान अवसरों में आगे बढ़ती हैं, तो इसका सकारात्मक प्रभाव परिवार, समुदाय और राष्ट्र पर व्यापक रूप से पड़ता है, जिससे सामाजिक और आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलता है।
स्वामी विवेकानंद का उद्धरण: “किसी से घृणा मत कीजिए, क्योंकि जो घृणा आपसे उत्पन्न होगी वह निश्चित ही एक अंतराल के बाद आप तक लौट आएगी। यदि आप प्रेम करेंगे, तो वह प्रेम चक्र को पूरा करता हुआ आप तक वापस आएगा।”
See lessवर्तमान संदर्भ में, यह उद्धरण यह सिखाता है कि नफरत और नकारात्मकता केवल बुरे परिणाम लाते हैं, जबकि प्रेम और सहानुभूति से सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। व्यक्तिगत और सामाजिक रिश्तों में प्रेम और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने से समाज में अमन और समझदारी को बढ़ावा मिलता है।
निम्नलिखित में से प्रत्येक उद्धरण का आपके विचार से क्या अभिप्राय है?
(a) डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का उद्धरण यह दर्शाता है कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान प्रदान करना नहीं है, बल्कि एक ऐसा स्वतंत्र और रचनात्मक व्यक्ति तैयार करना भी है जो चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना कर सके। शिक्षा को सिखाने के बजाय समस्याओं का समाधान निकालने, स्व-निर्णय लेने, और प्राकृतिक और सामRead more
(a) डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का उद्धरण यह दर्शाता है कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान प्रदान करना नहीं है, बल्कि एक ऐसा स्वतंत्र और रचनात्मक व्यक्ति तैयार करना भी है जो चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना कर सके। शिक्षा को सिखाने के बजाय समस्याओं का समाधान निकालने, स्व-निर्णय लेने, और प्राकृतिक और सामाजिक कठिनाइयों से लड़ने की क्षमता को बढ़ावा देना चाहिए।
(b) मार्टिन लूथर किंग, जूनियर का उद्धरण यह इंगित करता है कि क्षमा एक क्षणिक कार्य नहीं, बल्कि एक स्थायी मानसिकता है। क्षमा को आदत और मानसिकता के रूप में अपनाया जाना चाहिए, जिससे व्यक्तिगत और सामाजिक संबंधों में स्थायी शांति और समझ बनी रहे।
(c) रोनाल्ड रीगन का उद्धरण नेतृत्व के महत्व को रेखांकित करता है। एक प्रभावी नेता वह नहीं होता जो केवल व्यक्तिगत उपलब्धियां हासिल करता है, बल्कि वह होता है जो दूसरों को प्रेरित करता है और उन्हें उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है। एक महान नेता अपनी टीम की क्षमता को पहचानता है और उन्हें महान कार्य करने के लिए सक्षम बनाता है।
See lessयह आवश्यक नहीं है कि सबसे महान नेता वही हो जो महानतम कार्य करता है। यह वह व्यक्ति होता है जो लोगों से महानतम कार्य करवाता है।" रोनाल्ड रीगन (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
रोनाल्ड रीगन का उद्धरण, "यह आवश्यक नहीं है कि सबसे महान नेता वही हो जो महानतम कार्य करता है। यह वह व्यक्ति होता है जो लोगों से महानतम कार्य करवाता है," नेतृत्व की सारगर्भिता को स्पष्ट करता है। इस उद्धरण का अर्थ है कि एक प्रभावशाली नेता की पहचान उसकी व्यक्तिगत उपलब्धियों से नहीं, बल्कि उसकी क्षमता सेRead more
रोनाल्ड रीगन का उद्धरण, “यह आवश्यक नहीं है कि सबसे महान नेता वही हो जो महानतम कार्य करता है। यह वह व्यक्ति होता है जो लोगों से महानतम कार्य करवाता है,” नेतृत्व की सारगर्भिता को स्पष्ट करता है।
इस उद्धरण का अर्थ है कि एक प्रभावशाली नेता की पहचान उसकी व्यक्तिगत उपलब्धियों से नहीं, बल्कि उसकी क्षमता से होती है कि वह दूसरों को प्रेरित और सक्षम बना सके। एक उत्कृष्ट नेता वह होता है जो टीम या समूह के सदस्यों की ताकत और क्षमताओं को समझता है और उन्हें अपनी पूर्ण संभावनाओं तक पहुँचने के लिए प्रेरित करता है।
ऐसे नेता अपने दृष्टिकोण, सामर्थ्य और समर्थन के माध्यम से दूसरों को उत्कृष्ट कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। वे न केवल स्वयं सफलता प्राप्त करते हैं, बल्कि दूसरों को भी उस दिशा में मार्गदर्शित करते हैं, जिससे समूह या संगठन के समग्र लक्ष्यों को हासिल किया जा सके। इस प्रकार, नेतृत्व का असली मापदंड लोगों की सफलता और उनकी प्रेरणा के माध्यम से देखा जाता है।
See lessक्षमा कोई कभी-कभार किया जाने वाला कार्य नहीं है। यह एक स्थायी अभिवृत्ति है।" मार्टिन लूथर किंग, जूनियर (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
मार्टिन लूथर किंग, जूनियर का उद्धरण, "क्षमा कोई कभी-कभार किया जाने वाला कार्य नहीं है। यह एक स्थायी अभिवृत्ति है," यह इंगित करता है कि क्षमा केवल एक अवसर पर किया गया कार्य नहीं होता, बल्कि यह एक गहरी और निरंतर मानसिकता है। इसका तात्पर्य है कि क्षमा एक आदत और मानसिकता का हिस्सा होना चाहिए, न कि सिर्फRead more
मार्टिन लूथर किंग, जूनियर का उद्धरण, “क्षमा कोई कभी-कभार किया जाने वाला कार्य नहीं है। यह एक स्थायी अभिवृत्ति है,” यह इंगित करता है कि क्षमा केवल एक अवसर पर किया गया कार्य नहीं होता, बल्कि यह एक गहरी और निरंतर मानसिकता है।
इसका तात्पर्य है कि क्षमा एक आदत और मानसिकता का हिस्सा होना चाहिए, न कि सिर्फ एक अस्थायी प्रतिक्रिया। यह समाज में सद्भाव और समझ को प्रोत्साहित करता है, क्योंकि जब क्षमा एक स्थायी अभिवृत्ति बन जाती है, तो लोग निरंतर दूसरों की गलतियों को समझने और माफ करने की कोशिश करते हैं।
इस दृष्टिकोण से, क्षमा केवल व्यक्तिगत संबंधों में ही नहीं बल्कि सामूहिक स्तर पर भी समाज में सामंजस्य और शांति को बढ़ावा देती है। स्थायी रूप से क्षमाशील होना न केवल हमें व्यक्तिगत शांति प्रदान करता है बल्कि समाज को भी एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने में मदद करता है।
See lessनिम्नलिखित में से प्रत्येक उद्धरण का आपके लिए क्या अर्थ है?(a) "बुद्धिमानी से कार्य करने के लिए बुद्धिमत्ता से अधिक की आवश्यकता होती है।" – पोचोर दोस्तोवेमकी (150 शब्दों में उत्तर दें)
पोचोर दोस्तोवेमकी का उद्धरण, "बुद्धिमानी से कार्य करने के लिए बुद्धिमत्ता से अधिक की आवश्यकता होती है," यह दर्शाता है कि किसी भी कार्य को सही ढंग से और प्रभावी रूप से करने के लिए केवल अकादमिक या तर्कशील बुद्धिमत्ता ही पर्याप्त नहीं होती। इसके लिए एक विशेष प्रकार की समझ, अनुभव, और सूझ-बूझ की भी आवश्यRead more
पोचोर दोस्तोवेमकी का उद्धरण, “बुद्धिमानी से कार्य करने के लिए बुद्धिमत्ता से अधिक की आवश्यकता होती है,” यह दर्शाता है कि किसी भी कार्य को सही ढंग से और प्रभावी रूप से करने के लिए केवल अकादमिक या तर्कशील बुद्धिमत्ता ही पर्याप्त नहीं होती। इसके लिए एक विशेष प्रकार की समझ, अनुभव, और सूझ-बूझ की भी आवश्यकता होती है, जिसे हम ‘बुद्धिमानी’ के रूप में पहचानते हैं।
बुद्धिमत्ता, ज्ञान और तथ्यों की समझ है, जबकि बुद्धिमानी का मतलब है कि इस ज्ञान का सही और सारगर्भित तरीके से उपयोग कैसे किया जाए। जीवन में समस्याओं का समाधान और निर्णय लेने के लिए हमें केवल जानकारी नहीं चाहिए, बल्कि हमें यह भी जानना होता है कि उस जानकारी को किस प्रकार लागू किया जाए। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो गणित में बहुत अच्छा है, वह संभवतः एक पेचीदा गणितीय समस्या को हल कर सकता है, लेकिन उसे सामाजिक या व्यावसायिक समस्याओं को सही तरीके से सुलझाने के लिए मानसिक तत्परता और व्यावहारिक बुद्धिमत्ता की भी आवश्यकता होगी।
इसलिए, इस उद्धरण का मुख्य संदेश यह है कि सही निर्णय लेने और प्रभावी कार्य करने के लिए हमें ज्ञान के साथ-साथ अनुभव और सूझ-बूझ भी चाहिए, जो कि हमें बुद्धिमानी से प्राप्त होती है।
See lessचरित्र को अनुनय का लगभग सबसे प्रभावी साधन कहा जा सकता है।" अरस्तू (150 शब्दों में उत्तर दें)
अरस्तू का यह उद्धरण बताता है कि चरित्र, यानी एक व्यक्ति की नैतिक गुणवत्ता और अखंडता, अनुनय (प्रेरणा और मनाने की कला) का सबसे प्रभावी साधन हो सकता है। चरित्र की भूमिका: विश्वसनीयता और विश्वास: एक मजबूत और नैतिक चरित्र व्यक्ति को विश्वसनीय बनाता है, जिससे उसके विचार और प्रस्ताव अधिक प्रभावी ढंग से स्वRead more
अरस्तू का यह उद्धरण बताता है कि चरित्र, यानी एक व्यक्ति की नैतिक गुणवत्ता और अखंडता, अनुनय (प्रेरणा और मनाने की कला) का सबसे प्रभावी साधन हो सकता है।
चरित्र की भूमिका:
अनुनय का प्रभाव:
अरस्तू का यह विचार इस बात को रेखांकित करता है कि चरित्र और नैतिकता के आधार पर अनुनय की शक्ति को बेहतर तरीके से समझा और लागू किया जा सकता है, जो समाज और व्यक्तिगत संबंधों में सकारात्मक प्रभाव डालता है।
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