“सत्यनिष्ठा ऐसा मूल्य है, जो मनुष्य को सशक्त बनाता है।” उपयुक्त दृष्टांत सहित औचित्य सिद्ध कीजिए। (150 words) [UPSC 2021]
वर्तमान समय में नैतिक मूल्यों का संकट और सद्-जीवन की संकीर्ण धारणा वर्तमान समय में नैतिक मूल्यों का संकट अक्सर सद्-जीवन की संकीर्ण धारणा से जुड़ा हुआ है, जहाँ व्यक्तिगत लाभ और भौतिक सुख की ओर अत्यधिक ध्यान केंद्रित किया जाता है। इस सीमित दृष्टिकोण में वस्त्रधारण और भौतिक समृद्धि को ही जीवन की सफलताRead more
वर्तमान समय में नैतिक मूल्यों का संकट और सद्-जीवन की संकीर्ण धारणा
वर्तमान समय में नैतिक मूल्यों का संकट अक्सर सद्-जीवन की संकीर्ण धारणा से जुड़ा हुआ है, जहाँ व्यक्तिगत लाभ और भौतिक सुख की ओर अत्यधिक ध्यान केंद्रित किया जाता है। इस सीमित दृष्टिकोण में वस्त्रधारण और भौतिक समृद्धि को ही जीवन की सफलता मान लिया जाता है, जबकि सामूहिक भलाई और दीर्घकालिक नैतिकता की अनदेखी की जाती है।
भौतिकवाद और उपभोक्तावाद: आज की उपभोक्तावादी संस्कृति, जहां समृद्धि और विलासिता को सुख की मापदंड माना जाता है, इस संकीर्ण दृष्टिकोण का उदाहरण है। उदाहरण स्वरूप, गिग इकोनॉमी में असुरक्षित रोजगार और अनुचित कामकाजी परिस्थितियाँ उभर कर सामने आई हैं, जो लाभ की प्रवृत्ति को नैतिक जिम्मेदारियों से ऊपर मानती हैं।
व्यक्तिगतता: व्यक्तिगत सफलता को सामूहिक उन्नति पर प्राथमिकता देना नैतिक गिरावट का कारण बनता है। डेटा प्राइवेसी स्कैंडल्स जैसे हालिया उदाहरण, जिसमें व्यक्तिगत या कॉर्पोरेट लाभ के लिए नैतिकता की अनदेखी की गई, इस संकीर्ण दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।
इस संकट का समाधान सद्-जीवन की व्यापक धारणा को अपनाने में है, जो नैतिक जिम्मेदारियों और सामूहिक भलाई को प्रमुखता देती है।
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सत्यनिष्ठा और सशक्तिकरण परिचय सत्यनिष्ठा, जो ईमानदारी और नैतिकता पर आधारित है, मनुष्य को सशक्त बनाती है और समाज में विश्वास पैदा करती है। सशक्तिकरण के माध्यम 1. विश्वास और विश्वसनीयता: सत्यनिष्ठा से विश्वास पैदा होता है। महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन का उदाहरण लें। गांधीजी की सत्यनिष्ठा और अहिंसRead more
सत्यनिष्ठा और सशक्तिकरण
परिचय
सत्यनिष्ठा, जो ईमानदारी और नैतिकता पर आधारित है, मनुष्य को सशक्त बनाती है और समाज में विश्वास पैदा करती है।
सशक्तिकरण के माध्यम
1. विश्वास और विश्वसनीयता: सत्यनिष्ठा से विश्वास पैदा होता है। महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन का उदाहरण लें। गांधीजी की सत्यनिष्ठा और अहिंसा के प्रति प्रतिबद्धता ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया और लोगों को एकजुट किया, जिससे वे एक सशक्त और स्वतंत्र भारत की ओर बढ़े।
2. नैतिक नेतृत्व: ऐसे नेता जो सत्यनिष्ठ होते हैं, वे अधिक प्रभावशाली होते हैं। अरुण जेटली, पूर्व केंद्रीय मंत्री, ने अपने करियर में सच्चाई और नैतिकता को प्राथमिकता दी, जिसने उनके नेतृत्व को और अधिक प्रभावशाली और विश्वासनीय बना दिया।
3. समाज में आदर्श स्थापित करना: डॉ. ए. पी. जे. Abdul Kalam ने अपनी सच्चाई और ईमानदारी से युवाओं के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया, जिससे समाज में नैतिक मूल्यों को प्रोत्साहन मिला।
निष्कर्ष
See lessसत्यनिष्ठा न केवल व्यक्तिगत सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में विश्वास और नैतिकता को भी बढ़ावा देती है, जिससे एक सशक्त और समृद्ध समाज की नींव रखी जाती है।