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वर्तमान समाज व्यापक विश्वास-न्यूनता से ग्रसित है। इस स्थिति के व्यक्तिगत कल्याण और सामाजिक कल्याण के सन्दर्भ में क्या परिणाम हैं? आप अपने को विश्वसनीय बनाने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर क्या कर सकते हैं?(150 words) [UPSC 2014]
वर्तमान समाज में विश्वास-न्यूनता वर्तमान समाज में व्यापक विश्वास-न्यूनता एक गंभीर समस्या बन गई है, जिसका व्यक्तिगत और सामाजिक कल्याण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह स्थिति न केवल व्यक्तिगत संबंधों को प्रभावित करती है, बल्कि समाज की स्थिरता और समृद्धि को भी कमजोर करती है। व्यक्तिगत कल्याण पर परिणामRead more
वर्तमान समाज में विश्वास-न्यूनता
वर्तमान समाज में व्यापक विश्वास-न्यूनता एक गंभीर समस्या बन गई है, जिसका व्यक्तिगत और सामाजिक कल्याण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह स्थिति न केवल व्यक्तिगत संबंधों को प्रभावित करती है, बल्कि समाज की स्थिरता और समृद्धि को भी कमजोर करती है।
व्यक्तिगत कल्याण पर परिणाम
सामाजिक कल्याण पर परिणाम
व्यक्तिगत स्तर पर विश्वसनीयता बनाने के कदम
इन गुणों को अपनाकर, एक व्यक्ति व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर विश्वास-निर्माण में योगदान कर सकता है।
See lessमानव जीवन में नैतिकता किस बात की प्रोन्नति करने की चेष्टा करती है? लोक-प्रशासन में यह और भी अधिक महत्त्वपूर्ण क्यों है?(150 words) [UPSC 2014]
मानव जीवन में नैतिकता की प्रोन्नति नैतिकता सच्चाई, न्याय, और सामाजिक कल्याण की प्रोन्नति करती है। यह व्यक्ति को सही और गलत के बीच अंतर समझने में मदद करती है और एक मूल्य आधारित जीवन जीने की प्रेरणा देती है। उदाहरण के लिए, सच्चाई और ईमानदारी से भरा जीवन व्यक्ति के व्यक्तिगत और पेशेवर संबंधों में विश्वRead more
मानव जीवन में नैतिकता की प्रोन्नति
नैतिकता सच्चाई, न्याय, और सामाजिक कल्याण की प्रोन्नति करती है। यह व्यक्ति को सही और गलत के बीच अंतर समझने में मदद करती है और एक मूल्य आधारित जीवन जीने की प्रेरणा देती है। उदाहरण के लिए, सच्चाई और ईमानदारी से भरा जीवन व्यक्ति के व्यक्तिगत और पेशेवर संबंधों में विश्वास और सम्मान को बढ़ाता है।
लोक-प्रशासन में नैतिकता का महत्व
इस प्रकार, नैतिकता लोक-प्रशासन में विश्वास, पारदर्शिता, और न्याय की प्रमुख भूमिका निभाती है, जो कुशल और प्रभावी शासन के लिए आवश्यक है।
See less"सामाजिक मूल्य, आर्थिक मूल्यों की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण हैं।" राष्ट्र की समावेशी संवृद्धि के संदर्भ में उपरोक्त कथन पर उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिए। (150 words) [UPSC 2015]
सामाजिक मूल्य बनाम आर्थिक मूल्य सामाजिक मूल्य और आर्थिक मूल्य दोनों महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सामाजिक मूल्य अक्सर अधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं क्योंकि ये समावेशी संवृद्धि को सुनिश्चित करते हैं। सामाजिक मूल्य की महत्ता: उदाहरण: भारत की स्वच्छ भारत मिशन (2014) ने सामाजिक मूल्य जैसे स्वच्छता और स्वास्थ्य कोRead more
सामाजिक मूल्य बनाम आर्थिक मूल्य
सामाजिक मूल्य और आर्थिक मूल्य दोनों महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सामाजिक मूल्य अक्सर अधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं क्योंकि ये समावेशी संवृद्धि को सुनिश्चित करते हैं।
सामाजिक मूल्य की महत्ता: उदाहरण: भारत की स्वच्छ भारत मिशन (2014) ने सामाजिक मूल्य जैसे स्वच्छता और स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया। इससे केवल पर्यावरण की स्थिति में सुधार नहीं हुआ, बल्कि समाज में स्वच्छता के प्रति जागरूकता भी बढ़ी, जिससे आर्थिक और सामाजिक दोनों दृष्टिकोण से समावेशी विकास को बल मिला।
आर्थिक मूल्य की सीमा: उदाहरण: एक्सपोर्ट-ओरिएंटेड नीति के तहत, 2023 में भारत ने आर्थिक विकास को प्रोत्साहित किया, लेकिन इसके साथ ही गरीब और आदिवासी क्षेत्रों की अनदेखी की। इसने विकास के लाभ को पूरी तरह से समाज के सभी वर्गों तक नहीं पहुँचाया।
इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि सामाजिक मूल्य, जैसे समानता और समावेशिता, आर्थिक विकास के साथ मिलकर समावेशी और स्थायी विकास को सुनिश्चित करते हैं।
See lessवर्तमान समय में नैतिक मूल्यों का संकट, सद्-जीवन की संकीर्ण धारणा से जुड़ा हुआ है। विवेचना कीजिए । (150 words) [UPSC 2017]
वर्तमान समय में नैतिक मूल्यों का संकट और सद्-जीवन की संकीर्ण धारणा वर्तमान समय में नैतिक मूल्यों का संकट अक्सर सद्-जीवन की संकीर्ण धारणा से जुड़ा हुआ है, जहाँ व्यक्तिगत लाभ और भौतिक सुख की ओर अत्यधिक ध्यान केंद्रित किया जाता है। इस सीमित दृष्टिकोण में वस्त्रधारण और भौतिक समृद्धि को ही जीवन की सफलताRead more
वर्तमान समय में नैतिक मूल्यों का संकट और सद्-जीवन की संकीर्ण धारणा
वर्तमान समय में नैतिक मूल्यों का संकट अक्सर सद्-जीवन की संकीर्ण धारणा से जुड़ा हुआ है, जहाँ व्यक्तिगत लाभ और भौतिक सुख की ओर अत्यधिक ध्यान केंद्रित किया जाता है। इस सीमित दृष्टिकोण में वस्त्रधारण और भौतिक समृद्धि को ही जीवन की सफलता मान लिया जाता है, जबकि सामूहिक भलाई और दीर्घकालिक नैतिकता की अनदेखी की जाती है।
भौतिकवाद और उपभोक्तावाद: आज की उपभोक्तावादी संस्कृति, जहां समृद्धि और विलासिता को सुख की मापदंड माना जाता है, इस संकीर्ण दृष्टिकोण का उदाहरण है। उदाहरण स्वरूप, गिग इकोनॉमी में असुरक्षित रोजगार और अनुचित कामकाजी परिस्थितियाँ उभर कर सामने आई हैं, जो लाभ की प्रवृत्ति को नैतिक जिम्मेदारियों से ऊपर मानती हैं।
व्यक्तिगतता: व्यक्तिगत सफलता को सामूहिक उन्नति पर प्राथमिकता देना नैतिक गिरावट का कारण बनता है। डेटा प्राइवेसी स्कैंडल्स जैसे हालिया उदाहरण, जिसमें व्यक्तिगत या कॉर्पोरेट लाभ के लिए नैतिकता की अनदेखी की गई, इस संकीर्ण दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।
इस संकट का समाधान सद्-जीवन की व्यापक धारणा को अपनाने में है, जो नैतिक जिम्मेदारियों और सामूहिक भलाई को प्रमुखता देती है।
See less"सत्यनिष्ठा ऐसा मूल्य है, जो मनुष्य को सशक्त बनाता है।" उपयुक्त दृष्टांत सहित औचित्य सिद्ध कीजिए। (150 words) [UPSC 2021]
सत्यनिष्ठा और सशक्तिकरण परिचय सत्यनिष्ठा, जो ईमानदारी और नैतिकता पर आधारित है, मनुष्य को सशक्त बनाती है और समाज में विश्वास पैदा करती है। सशक्तिकरण के माध्यम 1. विश्वास और विश्वसनीयता: सत्यनिष्ठा से विश्वास पैदा होता है। महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन का उदाहरण लें। गांधीजी की सत्यनिष्ठा और अहिंसRead more
सत्यनिष्ठा और सशक्तिकरण
परिचय
सत्यनिष्ठा, जो ईमानदारी और नैतिकता पर आधारित है, मनुष्य को सशक्त बनाती है और समाज में विश्वास पैदा करती है।
सशक्तिकरण के माध्यम
1. विश्वास और विश्वसनीयता: सत्यनिष्ठा से विश्वास पैदा होता है। महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन का उदाहरण लें। गांधीजी की सत्यनिष्ठा और अहिंसा के प्रति प्रतिबद्धता ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया और लोगों को एकजुट किया, जिससे वे एक सशक्त और स्वतंत्र भारत की ओर बढ़े।
2. नैतिक नेतृत्व: ऐसे नेता जो सत्यनिष्ठ होते हैं, वे अधिक प्रभावशाली होते हैं। अरुण जेटली, पूर्व केंद्रीय मंत्री, ने अपने करियर में सच्चाई और नैतिकता को प्राथमिकता दी, जिसने उनके नेतृत्व को और अधिक प्रभावशाली और विश्वासनीय बना दिया।
3. समाज में आदर्श स्थापित करना: डॉ. ए. पी. जे. Abdul Kalam ने अपनी सच्चाई और ईमानदारी से युवाओं के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया, जिससे समाज में नैतिक मूल्यों को प्रोत्साहन मिला।
निष्कर्ष
See lessसत्यनिष्ठा न केवल व्यक्तिगत सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में विश्वास और नैतिकता को भी बढ़ावा देती है, जिससे एक सशक्त और समृद्ध समाज की नींव रखी जाती है।