Home/upsc: kshetriya & vaishvik samuh aur samjhauta/Page 2
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महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना एक वैश्विक सुविधा (ग्लोबल गुड) बन गई है जिसकी सुरक्षा के लिए वैश्विक मानदंडों की मावश्यकता है। महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना की सुरक्षा के लिए G20 क्या भूमिका निभा सकता है? (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना (Critical Information Infrastructure) की सुरक्षा के लिए G20 महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है: वैश्विक मानदंडों की स्थापना: G20 वैश्विक मानदंड और नीतियों को विकसित कर सकता है जो सदस्य देशों में महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना की सुरक्षा को सुनिश्चित करें। सूचना साझाकरण और सहयोग: G20Read more
महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना (Critical Information Infrastructure) की सुरक्षा के लिए G20 महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है:
वैश्विक मानदंडों की स्थापना: G20 वैश्विक मानदंड और नीतियों को विकसित कर सकता है जो सदस्य देशों में महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना की सुरक्षा को सुनिश्चित करें।
सूचना साझाकरण और सहयोग: G20 प्लेटफ़ॉर्म पर सदस्य देश साइबर हमलों, खतरों और कमजोरियों के बारे में जानकारी साझा कर सकते हैं और सहयोग बढ़ा सकते हैं।
कपैसिटी बिल्डिंग: G20 देशों को तकनीकी और संसाधन सहायता प्रदान कर सकता है ताकि वे अपने सूचना सुरक्षा ढांचे को मजबूत कर सकें।
वैश्विक मानकों को लागू करना: G20 वैश्विक मानकों और प्रोटोकॉल को लागू करने में सहायक हो सकता है, जिससे विभिन्न देशों के बीच समन्वय और सुरक्षा बढ़े।
इस प्रकार, G20 एक सहयोगात्मक मंच के रूप में महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना की सुरक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
See less'एक्ट फार इंस्ट' पॉलिसी को अपनाना भारत के लिए सुदूर पूर्व क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करता है। विवंचना कीजिए। साथ ही, सुदूर पूर्व में भारत के हितों के समक्ष विद्यमान बाधाओं को भी रेखांकित कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
'एक्ट ईस्ट' पॉलिसी, जिसे भारत ने 2014 में शुरू किया, सुदूर पूर्व एशिया के प्रति अपने रणनीतिक दृष्टिकोण को पुनः परिभाषित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस नीति का उद्देश्य भारत और सुदूर पूर्व एशियाई देशों के बीच राजनयिक, आर्थिक, और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करना है। सुदूर पूर्व, जिसमें म्यांमाRead more
‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी, जिसे भारत ने 2014 में शुरू किया, सुदूर पूर्व एशिया के प्रति अपने रणनीतिक दृष्टिकोण को पुनः परिभाषित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस नीति का उद्देश्य भारत और सुदूर पूर्व एशियाई देशों के बीच राजनयिक, आर्थिक, और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करना है। सुदूर पूर्व, जिसमें म्यांमार, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया, वियतनाम, और अन्य देशों शामिल हैं, भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी का एक प्रमुख भाग है।
भारत के सुदूर पूर्व क्षेत्र के प्रति महत्व:
विद्यमान बाधाएँ:
इन बाधाओं को पार करने और अपने रणनीतिक लक्ष्यों को साकार करने के लिए, भारत को सुदूर पूर्व एशिया के साथ कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों को लगातार मजबूत करना होगा। ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी के तहत की गई पहलें, इस क्षेत्र में भारत की उपस्थिति को बढ़ाने और उसकी समग्र रणनीतिक स्थिति को सुदृढ़ करने में सहायक होंगी।
See lessऑस्ट्रेलिया-जापान-यू.एस. त्रिपक्षीय समूह के मजबूत होने सहित संपूर्ण इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में किए जा रहे सुरक्षा सहयोग संबंधी नवीन प्रयासों के आलोक में, वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में क्वाड (QUAD) की प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
क्वाड (QUAD) की प्रासंगिकता: क्वाड - एक रणनीतिक समूह जिसमें ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान, और अमेरिका शामिल हैं - वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में विशेष महत्व रखता है। इसके अस्तित्व और विकास के पीछे कई प्रमुख कारण हैं: इंडो-पैसिफिक सुरक्षा: क्वाड का मुख्य उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिRead more
क्वाड (QUAD) की प्रासंगिकता:
क्वाड – एक रणनीतिक समूह जिसमें ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान, और अमेरिका शामिल हैं – वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में विशेष महत्व रखता है। इसके अस्तित्व और विकास के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:
चुनौतियाँ और आलोचनाएँ:
निष्कर्ष:
क्वाड का विकास और उसका स्थायित्व इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। इसके सदस्य देशों के बीच सहयोग और सामरिक साझेदारी क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण संतुलन बनाए रखता है, खासकर चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच। क्वाड का उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देना और एक साझा, मुक्त, और खुले इंडो-पैसिफिक का समर्थन करना है।
See lessदक्षिण एशिया से एकमात्र G20 सदस्य के रूप में, भारत के लिए G20 का नेतृत्व वैश्विक स्तर पर दक्षिण एशिया की आवाज को बुलंद करने के लिए एक प्रभावी मंच के तौर पर इस समूह का उपयोग करने हेतु एक आदर्श अवसर है। टिप्पणी कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
दक्षिण एशिया से एकमात्र G20 सदस्य के रूप में, भारत के लिए G20 का नेतृत्व एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है: दक्षिण एशिया की आवाज को बुलंद करना: भारत G20 मंच का उपयोग कर दक्षिण एशिया के विकासात्मक मुद्दों और प्राथमिकताओं को वैश्विक स्तर पर उजागर कर सकता है। यह क्षेत्रीय समस्याओं, जैसे गरीबी, जलवायु पRead more
दक्षिण एशिया से एकमात्र G20 सदस्य के रूप में, भारत के लिए G20 का नेतृत्व एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है:
इस प्रकार, G20 के नेतृत्व का भारत के लिए उपयोग दक्षिण एशिया की प्राथमिकताओं और मुद्दों को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का एक प्रभावी साधन है।
See lessभारत को प्राप्त शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की अध्यक्षता न केवल इसे मध्य एशियाई देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने का अवसर प्रदान करती है बल्कि इसके आर्थिक और सुरक्षा हितों को भी बढ़ावा देती है। विवेचना कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत को प्राप्त शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की अध्यक्षता उसे कई महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है: मध्य एशियाई देशों के साथ संबंधों को मजबूत करना: SCO की अध्यक्षता के दौरान, भारत मध्य एशियाई देशों के साथ राजनीतिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत कर सकता है। यह क्षेत्र भारत के ऊर्जा और व्यापारिक हितोRead more
भारत को प्राप्त शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की अध्यक्षता उसे कई महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है:
इस प्रकार, SCO की अध्यक्षता भारत को मध्य एशिया में अपने राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव को बढ़ाने और सुरक्षा सहयोग में अग्रणी भूमिका निभाने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है।
See lessभारत और CARICOM सदस्य देशों के बीच सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर प्रकाश डालते हुए, उन विभिन्न उपायों पर चर्चा कीजिए जो हाल के दिनों में कैरेबियाई देशों के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने के लिए किए गए हैं। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत और CARICOM देशों के बीच सहयोग के संभावित क्षेत्रों में प्रमुख निम्नलिखित हैं: आर्थिक और व्यापारिक सहयोग: दोनों पक्षों ने व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए साझा व्यापार समझौतों और निवेश योजनाओं पर सहमति जताई है। भारत ने कैरेबियन देशों को निर्यात सहायता, विशेषकर दवाइयों और तकनीकी उपकरणों केRead more
भारत और CARICOM देशों के बीच सहयोग के संभावित क्षेत्रों में प्रमुख निम्नलिखित हैं:
हाल ही में, भारत ने CARICOM देशों के साथ उच्च स्तरीय वार्ता और द्विपक्षीय समझौतों के माध्यम से इन संबंधों को और मजबूत किया है।
See lessग्लोबल साउथ द्वारा सामना की जाने वाली नवीन और आगामी चुनौतियों के आलोक में, ग्लोबल साउथ की आवाज को मजबूती देने में भारत द्वारा निभाई जा सकने वाली भूमिका पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों का समूह) की नवीन और आगामी चुनौतियों के आलोक में, भारत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है: नीति निर्माण में नेतृत्व: भारत ग्लोबल साउथ की आवाज को मजबूती देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय भूमिका निभा सकता है, जैसे कि ब्रिक्स, जी-77, और संयुक्त राष्ट्र। भारत के नेतृत्Read more
ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों का समूह) की नवीन और आगामी चुनौतियों के आलोक में, भारत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है:
इस प्रकार, भारत ग्लोबल साउथ के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए वैश्विक स्तर पर समान विकास और सहयोग को प्रोत्साहित कर सकता है।
See lessI2U2 (भारत, इज़रायल, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका) समूहन वैश्विक राजनीति में भारत की स्थिति को किस प्रकार रूपांतरित करेगा ? (250 words) [UPSC 2022]
I2U2 (भारत, इज़रायल, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका) समूहन के माध्यम से भारत की वैश्विक राजनीति में स्थिति का रूपांतरण 1. I2U2 का अवलोकन I2U2, जिसमें भारत, इज़रायल, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), और संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) शामिल हैं, 2021 में स्थापित एक रणनीतिक समूह है। यह गठबंधन आर्थिकRead more
I2U2 (भारत, इज़रायल, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका) समूहन के माध्यम से भारत की वैश्विक राजनीति में स्थिति का रूपांतरण
1. I2U2 का अवलोकन
I2U2, जिसमें भारत, इज़रायल, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), और संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) शामिल हैं, 2021 में स्थापित एक रणनीतिक समूह है। यह गठबंधन आर्थिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित है, विशेषकर स्वच्छ ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में।
2. भारत के लिए रणनीतिक लाभ
आर्थिक विकास: I2U2 भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। स्वच्छ ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के प्रोजेक्ट्स के माध्यम से भारत को निवेश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण प्राप्त होगा, जो भारत की हरित अर्थव्यवस्था के लक्ष्यों को पूरा करने में सहायक होगा। उदाहरण के लिए, UAE और इज़रायल के साथ सहयोग से भारत को ऊर्जा क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकियाँ और पूंजी निवेश मिल सकते हैं।
तकनीकी प्रगति: I2U2 के माध्यम से भारत को इज़रायल की कृषि और जल प्रबंधन में विशेषज्ञता और अमेरिका की तकनीकी और साइबर सुरक्षा में उन्नति का लाभ मिलेगा। इससे भारत की तकनीकी क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा और वैश्विक बाजार में उसकी प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति मजबूत होगी।
भूराजनीतिक प्रभाव: अमेरिका और इज़रायल जैसे महत्वपूर्ण वैश्विक खिलाड़ियों के साथ मिलकर भारत अपनी भूराजनीतिक स्थिति को मजबूत कर सकता है। यह गठबंधन भारत की भूमिका को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में मजबूत करेगा और चीन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करेगा। इसके अतिरिक्त, यह भारत के साथ पश्चिमी और खाड़ी देशों के रणनीतिक संबंधों को भी सुदृढ़ करेगा।
3. क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव
क्षेत्रीय स्थिरता: I2U2 के सहयोगात्मक प्रोजेक्ट्स मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में स्थिरता को बढ़ावा दे सकते हैं, जो भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों के लिए लाभकारी होगा।
वैश्विक नेतृत्व: इस विविध गठबंधन का हिस्सा बनकर भारत वैश्विक मंचों पर अपनी आवाज को और अधिक प्रभावी बना सकता है। भारत जलवायु परिवर्तन और सतत विकास जैसे मुद्दों पर वैश्विक नेतृत्व की भूमिका निभा सकता है।
निष्कर्ष
I2U2 समूहन के माध्यम से भारत अपनी आर्थिक, तकनीकी, और भूराजनीतिक स्थिति को वैश्विक मंच पर सुदृढ़ कर सकता है। इस गठबंधन के द्वारा भारत को क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में बढ़ती प्रभावशाली भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा, जिससे उसकी वैश्विक राजनीति में स्थिति को महत्वपूर्ण रूप से रूपांतरित किया जा सकेगा।
See lessआपके विचार में क्या बिमस्टेक (BIMSTEC) सार्क (SAARC) की तरह एक समानांतर संगठन है ? इन दोनों के बीच क्या समानताएँ और असमानताएँ हैं ? इस नए संगठन के बनाए जाने से भारतीय विदेश नीति के उद्देश्य कैसे प्राप्त हुए हैं? (150 words)[UPSC 2022]
बिमस्टेक (BIMSTEC) और सार्क (SAARC) दोनों ही क्षेत्रीय संगठनों के रूप में काम करते हैं, लेकिन वे समानांतर संगठन नहीं हैं। समानताएँ: क्षेत्रीय सहयोग: दोनों का उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग और एकीकरण को बढ़ावा देना है। सदस्य देश: भारत, बांग्लादेश और नेपाल जैसे सदस्य देश दोनों में शामिल हैं। असमानताएँ: भौगोRead more
बिमस्टेक (BIMSTEC) और सार्क (SAARC) दोनों ही क्षेत्रीय संगठनों के रूप में काम करते हैं, लेकिन वे समानांतर संगठन नहीं हैं।
समानताएँ:
असमानताएँ:
भारतीय विदेश नीति के उद्देश्य: बिमस्टेक के निर्माण से भारत ने दक्षिण-पूर्व एशिया में अपनी भूमिका को बढ़ाया, “एक्ट ईस्ट” नीति को साकार किया और चीन की बढ़ती प्रभाव को संतुलित करने की कोशिश की। इससे भारत को क्षेत्रीय आर्थिक और रणनीतिक सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर मिला।
See less'नाटो का विस्तार एवं सुदृढीकरण, और एक मजबूत अमेरिका-यूरोप रणनीतिक साझेदारी भारत के लिये अच्छा काम करती है।' इस कथन के बारे मे आपकी क्या राय है ? अपने उत्तर के समर्थन में कारण और उदाहरण दीजिये । (250 words) [UPSC 2023]
नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) का विस्तार और सुदृढ़ीकरण, साथ ही अमेरिका-यूरोप की मजबूत रणनीतिक साझेदारी, भारत के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों से लाभकारी हो सकती है: क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा: नाटो का विस्तार और उसकी सैन्य शक्ति का सुदृढ़ीकरण यूरोप और उत्तरी अमेरिका में स्थिरता बनाए रखने में सहायक होRead more
नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) का विस्तार और सुदृढ़ीकरण, साथ ही अमेरिका-यूरोप की मजबूत रणनीतिक साझेदारी, भारत के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों से लाभकारी हो सकती है:
क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा: नाटो का विस्तार और उसकी सैन्य शक्ति का सुदृढ़ीकरण यूरोप और उत्तरी अमेरिका में स्थिरता बनाए रखने में सहायक होता है। यह वैश्विक सुरक्षा को बेहतर बनाता है, जो भारत के लिए भी फायदेमंद है। उदाहरण के लिए, रूस-यूक्रेन संघर्ष में नाटो की भूमिका ने यूरोप में स्थिरता को बनाए रखने में मदद की है।
आतंकवाद के खिलाफ सहयोग: नाटो और अमेरिका-यूरोप की साझेदारी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत भी आतंकवाद से प्रभावित है, और इस प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से उसे भी लाभ मिल सकता है। उदाहरण के लिए, अफगानिस्तान में नाटो की उपस्थिति ने आतंकवादी गतिविधियों को नियंत्रित करने में मदद की है।
आर्थिक सहयोग और व्यापार: अमेरिका और यूरोप के साथ मजबूत रणनीतिक साझेदारी भारत के लिए आर्थिक अवसर प्रदान कर सकती है। इससे व्यापारिक संबंधों में सुधार और निवेश के अवसर बढ़ सकते हैं। उदाहरण के लिए, भारत और यूरोपीय संघ के बीच व्यापारिक समझौतों से भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ हुआ है।
तकनीकी और सैन्य सहयोग: नाटो के सदस्य देशों के साथ तकनीकी और सैन्य सहयोग भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ा सकता है। अमेरिका और यूरोप के साथ रक्षा समझौतों ने भारतीय सेना को आधुनिक तकनीक और उपकरणों से सुसज्जित किया है।
इन सभी कारणों से, नाटो का विस्तार और अमेरिका-यूरोप की मजबूत रणनीतिक साझेदारी भारत के लिए फायदेमंद हो सकती है। इससे न केवल सुरक्षा और स्थिरता में सुधार होता है, बल्कि आर्थिक और तकनीकी सहयोग के अवसर भी बढ़ते हैं।
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