भारत में स्वतंत्रता के बाद कृषि में आई विभिन्न प्रकारों की क्रांतियों को स्पष्ट कीजिए। इन क्रांतियों ने भारत में गरीबी उन्मूलन और खाद्य सुरक्षा में किस प्रकार सहायता प्रदान की है ? (150 words) [UPSC 2017]
कृषि उत्पादन बाजार समितियों (APMCs) का कृषि विकास और खाद्य वस्तु महँगाई पर प्रभाव परिचय राज्य अधिनियमों के तहत स्थापित कृषि उत्पादन बाजार समितियाँ (APMCs) किसानों को उचित मूल्य सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाई गई थीं। लेकिन, यह दृष्टिकोण भी है कि इन समितियों ने कृषि के विकास को बाधित किया है और खाRead more
कृषि उत्पादन बाजार समितियों (APMCs) का कृषि विकास और खाद्य वस्तु महँगाई पर प्रभाव
परिचय राज्य अधिनियमों के तहत स्थापित कृषि उत्पादन बाजार समितियाँ (APMCs) किसानों को उचित मूल्य सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाई गई थीं। लेकिन, यह दृष्टिकोण भी है कि इन समितियों ने कृषि के विकास को बाधित किया है और खाद्य वस्तु महँगाई में योगदान दिया है।
कृषि विकास पर प्रभाव
- बाज़ार एकाधिकार और प्रतिस्पर्धा की कमी: APMCs अक्सर एकाधिकारात्मक होती हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा सीमित होती है। पंजाब और हरियाणा में APMCs ने निजी क्षेत्र के प्रवेश को कठिन बना दिया है, जिससे किसानों को विविध बाज़ारों तक पहुँच नहीं मिल पाती और बेहतर मूल्य प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है।
- अप्रभावी प्रबंधन और भ्रष्टाचार: कई APMCs भ्रष्टाचार और प्रबंधन में कमी से जूझ रही हैं। कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) की रिपोर्ट ने APMC के संचालन में अपारदर्शिता और कुप्रबंधन की ओर संकेत किया है, जिससे कृषि विपणन की प्रभावशीलता प्रभावित होती है।
खाद्य वस्तु महँगाई में योगदान
- उच्च लेन-देन लागत: APMC प्रणाली में कई बिचौलिए होते हैं, जिससे लेन-देन लागत बढ़ जाती है। उत्तर प्रदेश में मंडी सिस्टम के चलते बिचौलियों द्वारा लगाए गए शुल्क और कमीशन के कारण किसानों की लागत बढ़ती है, जो खाद्य वस्तु महँगाई को बढ़ावा देती है।
- मूल्य निर्धारण में हेरफेर: APMCs पर कभी-कभी मूल्य निर्धारण में हेरफेर का आरोप लगता है, जो महँगाई का कारण बनता है। कृषि कानूनों की वापसी (2021) ने APMC के मूल्य निर्धारण और बाज़ार नियंत्रण के मुद्दों को उजागर किया, जो खाद्य वस्तु कीमतों में उतार-चढ़ाव का कारण बने।
हालिया सुधार और विकास
- कृषि कानून 2020: कृषि कानून 2020 ने APMCs के बाहर निजी खरीदारों से सीधी बिक्री की अनुमति देने का प्रयास किया, लेकिन इन कानूनों का विरोध हुआ और 2021 में इन्हें वापस ले लिया गया।
- राज्य स्तरीय सुधार: महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों ने APMCs की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए पहल की है, जैसे बेहतर अवसंरचना और पारदर्शिता के उपाय, लेकिन चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं।
निष्कर्ष APMCs ने किसानों के हितों की रक्षा के लिए स्थापना की गई थी, लेकिन उनकी कार्यप्रणाली की कमियाँ, बाज़ार नियंत्रण, और लेन-देन लागत ने कृषि विकास में बाधाएँ और खाद्य वस्तु महँगाई में योगदान किया है। इन समस्याओं को संबोधित करने के लिए व्यापक सुधार आवश्यक हैं।
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परिचय स्वतंत्रता के बाद, भारत में कई कृषि क्रांतियों ने कृषि उत्पादन को बढ़ाने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और गरीबी उन्मूलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इन क्रांतियों ने कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों और संसाधनों का उपयोग बढ़ाया, जिससे आत्मनिर्भरता हासिल की गई। कृषि में आई प्रमुख क्रांतियाँ हरित क्रांRead more
परिचय
स्वतंत्रता के बाद, भारत में कई कृषि क्रांतियों ने कृषि उत्पादन को बढ़ाने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और गरीबी उन्मूलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इन क्रांतियों ने कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों और संसाधनों का उपयोग बढ़ाया, जिससे आत्मनिर्भरता हासिल की गई।
कृषि में आई प्रमुख क्रांतियाँ
यह क्रांति उच्च उत्पादकता वाले बीजों (HYV), रासायनिक उर्वरकों और सिंचाई प्रौद्योगिकियों पर आधारित थी। पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश में गेहूं और चावल का उत्पादन बढ़ा, जिससे देश की खाद्य सुरक्षा में सुधार हुआ और अकाल की स्थितियों से बचा गया।
इसे ऑपरेशन फ्लड के नाम से भी जाना जाता है। इसके तहत दूध उत्पादन में वृद्धि की गई और भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बनाया गया। यह ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आय के अवसर प्रदान करने में सहायक रहा।
यह मत्स्य उत्पादन में वृद्धि लाने के लिए शुरू की गई, जिससे प्रोटीन की उपलब्धता बढ़ी और तटीय एवं आंतरिक क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़े।
इसका उद्देश्य तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देना था, जिससे सरसों और सूरजमुखी के तेल के उत्पादन में वृद्धि हुई और खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता कम हुई।
यह मांस और पोल्ट्री उत्पादन में वृद्धि के लिए शुरू की गई, जिससे प्रोटीन की आपूर्ति बढ़ी और निर्यात क्षेत्र को समर्थन मिला।
गरीबी उन्मूलन और खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव
इन क्रांतियों ने कृषि उत्पादन में वृद्धि कर खाद्य सुरक्षा को मजबूत किया और रोजगार के अवसरों को बढ़ाकर गरीबी उन्मूलन में मदद की। विशेष रूप से हरित और श्वेत क्रांति ने ग्रामीण क्षेत्रों में आय बढ़ाई और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को सशक्त किया।
निष्कर्ष
See lessइन कृषि क्रांतियों ने भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया और गरीबी उन्मूलन और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।