भारतीय कृषि की प्रकृति की अनिश्चितताओं पर निर्भरता के मद्देनज़र, फसल बीमा की आवश्यकता की विवेचना कीजिए और प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (पी० एम० एफ० बी० वाइ०) की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। (200 words) [UPSC 2016]
भारत में पशुधन क्षेत्रक को विभिन्न बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जो इसके विकास और उत्पादकता को प्रभावित करती हैं। प्रमुख बाधाएँ और उनके समाधान निम्नलिखित हैं: बाधाएँ: स्वास्थ्य समस्याएँ: पशुधन को विभिन्न रोगों जैसे फुट-एंड-माउथ डिजीज़ और बर्ड फ्लू का खतरा होता है, जो उत्पादकता को प्रभावित करता है।Read more
भारत में पशुधन क्षेत्रक को विभिन्न बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जो इसके विकास और उत्पादकता को प्रभावित करती हैं। प्रमुख बाधाएँ और उनके समाधान निम्नलिखित हैं:
बाधाएँ:
- स्वास्थ्य समस्याएँ: पशुधन को विभिन्न रोगों जैसे फुट-एंड-माउथ डिजीज़ और बर्ड फ्लू का खतरा होता है, जो उत्पादकता को प्रभावित करता है।
- असंगठित प्रबंधन: अधिकांश पशुधन फार्म छोटे और असंगठित होते हैं, जिससे तकनीकी और प्रबंधन की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
- पोषण की कमी: सही पोषण और चारे की कमी के कारण पशुधन की वृद्धि और स्वास्थ्य प्रभावित होते हैं।
- जलवायु परिवर्तन: असामान्य मौसम और जलवायु परिवर्तन से चारा की उपलब्धता और पशुधन स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- नकली और असमान गुणवत्ता की दवाएँ: पशु चिकित्सा दवाओं की गुणवत्ता में अंतर और नकली दवाएँ पशुधन की बीमारियों को बढ़ा देती हैं।
उपाय:
- स्वास्थ्य प्रबंधन: नियमित टीकाकरण और स्वास्थ्य निगरानी कार्यक्रमों को लागू करना और पशुधन स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करना।
- संविधिक संगठन: पशुधन फार्मों को संगठित करने के लिए सहकारी समितियाँ और फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (FPOs) को प्रोत्साहित करना।
- पोषण सुधार: उचित पोषण और चारे के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करना और चारा उत्पादन को बढ़ावा देना।
- जलवायु अनुकूलन: जलवायु परिवर्तन के अनुकूल पशुधन प्रबंधन तकनीकों को अपनाना, जैसे कि चारा की विविधता और जल प्रबंधन उपाय।
- मानक दवाएँ और शिक्षा: गुणवत्तापूर्ण पशु चिकित्सा दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करना और पशुपालकों को उचित चिकित्सा शिक्षा प्रदान करना।
इन उपायों को अपनाकर भारत में पशुधन क्षेत्रक की बाधाओं को दूर किया जा सकता है और इसके विकास को सुनिश्चित किया जा सकता है।
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भारतीय कृषि की प्रकृति की अनिश्चितताओं पर निर्भरता के मद्देनज़र फसल बीमा की आवश्यकता भारतीय कृषि मौसम की अनिश्चितताओं जैसे बाढ़, सूखा, और असामयिक वर्षा के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। इसलिए, फसल बीमा की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से अत्यंत महत्वपूर्ण है: वित्तीय सुरक्षा फसल बीमा प्राकृतिक आपदाओं के कRead more
भारतीय कृषि की प्रकृति की अनिश्चितताओं पर निर्भरता के मद्देनज़र फसल बीमा की आवश्यकता
भारतीय कृषि मौसम की अनिश्चितताओं जैसे बाढ़, सूखा, और असामयिक वर्षा के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। इसलिए, फसल बीमा की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से अत्यंत महत्वपूर्ण है:
फसल बीमा प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल की हानि से वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान को कम करने में मदद मिलती है। 2020 के असामयिक वर्षा के दौरान फसल बीमा ने प्रभावित किसानों को राहत प्रदान की।
बीमा किसानों को जोखिम प्रबंधन में सहायता करता है, जिससे वे नई प्रौद्योगिकियों और कृषि पद्धतियों में निवेश कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, 2022 के पंजाब में बर्फबारी के बाद बीमा कवरेज ने किसानों की मदद की।
फसल बीमा से आय स्थिरता बनी रहती है, और आपदा के बाद भी कृषि गतिविधियां जारी रहती हैं।
प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (पी.एम.एफ.बी.वाई.) की मुख्य विशेषताएँ
प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) को 2016 में लॉन्च किया गया, और इसकी मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
PMFBY प्राकृतिक आपदाओं, कीटों, और रोगों के कारण होने वाली फसल हानि को कवर करता है। 2021 में महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में इस योजना के तहत मुआवजा प्रदान किया गया।
किसानों को कम प्रीमियम देना होता है, जबकि सरकार बाकी की लागत का भुगतान करती है। उदाहरण के लिए, किसानों को खरीफ फसलों के लिए केवल 1.5% प्रीमियम देना होता है।
योजना में टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है, जैसे सैटेलाइट इमेजरी और ड्रोन तकनीक, जिससे दावे की प्रक्रिया सरल और तेजी से की जाती है।
PMFBY पारदर्शिता और आसान पहुँच पर जोर देती है, विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों को लक्षित करती है।
निष्कर्ष
फसल बीमा भारतीय कृषि में प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम को कम करने के लिए आवश्यक है। PMFBY इसके लिए एक समग्र और प्रभावी योजना प्रदान करती है, जो किसानों को वित्तीय सुरक्षा, जोखिम प्रबंधन, और आय स्थिरता प्रदान करती है।
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