आर्कटिक की बर्फ़ और अंटार्कटिक के ग्लेशियरों का पिघलना किस तरह अलग-अलग ढंग से पृथ्वी पर मौसम के स्वरूप और मनुष्य की गतिविधियों पर प्रभाव डालते हैं? स्पष्ट कीजिए । (250 words) [UPSC 2021]
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आर्कटिक की बर्फ़ और अंटार्कटिक के ग्लेशियरों का पिघलना: पृथ्वी पर मौसम के स्वरूप और मनुष्य की गतिविधियों पर प्रभाव आर्कटिक की बर्फ़ का पिघलना: मौसम के स्वरूप में परिवर्तन: आर्कटिक क्षेत्र में बर्फ़ का पिघलना पृथ्वी की ऊर्जा संतुलन को प्रभावित करता है। आर्कटिक की बर्फ़ की सतह पर सूर्य की ऊर्जा का पराRead more
आर्कटिक की बर्फ़ और अंटार्कटिक के ग्लेशियरों का पिघलना: पृथ्वी पर मौसम के स्वरूप और मनुष्य की गतिविधियों पर प्रभाव
आर्कटिक की बर्फ़ का पिघलना:
अंटार्कटिक के ग्लेशियरों का पिघलना:
निष्कर्ष:
आर्कटिक की बर्फ़ और अंटार्कटिक के ग्लेशियरों का पिघलना पृथ्वी के मौसम स्वरूप और मनुष्यों की गतिविधियों पर विभिन्न प्रकार से प्रभाव डालता है। आर्कटिक का पिघलना ऊर्जा संतुलन और समुद्री स्तर को प्रभावित करता है, जबकि अंटार्कटिक के ग्लेशियरों का पिघलना वैश्विक समुद्री स्तर में वृद्धि और मौसम पैटर्न को प्रभावित करता है। इन दोनों क्षेत्रों में पिघलन के प्रभाव को समझना और उनका प्रबंधन करना पर्यावरणीय स्थिरता और मानव सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
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