शुष्कता और सूखे के मध्य अंतर पर प्रकाश डालते हुए सूखे के बहुआयामी प्रभाव पर चर्चा कीजिए। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
वायु संहति (Atmospheric Circulation) की संकल्पना वायुमंडल में वायु के बड़े पैमाने पर संचलन (circulation) की प्रक्रिया से संबंधित है। यह संहति पृथ्वी की सतह पर तापमान, वायुदाब, और घूर्णन (rotation) जैसे कारकों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है। वायु संहति का उद्देश्य वायुमंडल में उष्णता के असमान वितरणRead more
वायु संहति (Atmospheric Circulation) की संकल्पना वायुमंडल में वायु के बड़े पैमाने पर संचलन (circulation) की प्रक्रिया से संबंधित है। यह संहति पृथ्वी की सतह पर तापमान, वायुदाब, और घूर्णन (rotation) जैसे कारकों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है। वायु संहति का उद्देश्य वायुमंडल में उष्णता के असमान वितरण को संतुलित करना है, जिसके कारण पृथ्वी के विभिन्न क्षेत्रों में जलवायु और मौसम के पैटर्न प्रभावित होते हैं।
वायु संहति की मुख्य प्रणालियाँ:
हैडली सेल (Hadley Cell): भूमध्य रेखा के पास गर्म वायु ऊपर उठती है और 30° उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों के बीच नीचे आती है। यह क्षेत्र मुख्यतः उष्णकटिबंधीय (tropical) और शुष्क (arid) जलवायु क्षेत्रों का निर्माण करता है।
फेरेल सेल (Ferrel Cell): 30° से 60° उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों के बीच संचालित होती है। यह मध्य अक्षांशों में समशीतोष्ण (temperate) जलवायु का निर्माण करती है।
ध्रुवीय सेल (Polar Cell): 60° से 90° उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों के बीच संचालित होती है। यह ध्रुवीय क्षेत्रों में ठंडी जलवायु का निर्माण करती है।
विस्तृत क्षेत्री जलवायवी परिवर्तनों में वायु संहति की भूमिका:
वायु संहति वैश्विक जलवायवी परिवर्तनों में एक प्रमुख भूमिका निभाती है। यह प्रणाली पृथ्वी पर गर्मी के वितरण को नियंत्रित करती है और जलवायु के प्रमुख प्रकारों को निर्धारित करती है। उदाहरण के लिए:
मानसून: वायु संहति की प्रक्रिया मानसून जैसे मौसमी हवाओं का निर्माण करती है, जो विशेष रूप से दक्षिण एशिया में महत्वपूर्ण हैं।
एल नीनो और ला नीना: वायु संहति में परिवर्तन जैसे एल नीनो और ला नीना घटनाएँ वैश्विक जलवायु में अस्थायी परिवर्तनों का कारण बनती हैं, जिससे सूखा, बाढ़, और तूफान जैसी चरम जलवायु घटनाएँ उत्पन्न होती हैं।
वायुमंडलीय नदी (Atmospheric Rivers): वायु संहति के चलते वायुमंडलीय नदियाँ बनती हैं, जो दूर-दूर के स्थानों तक भारी मात्रा में जलवाष्प ले जाती हैं, जिससे व्यापक वर्षा और बाढ़ हो सकती है।
समग्र रूप से, वायु संहति पृथ्वी की जलवायवी प्रणालियों को संतुलित और प्रभावित करने में एक केंद्रीय भूमिका निभाती है, और यह पृथ्वी के विभिन्न हिस्सों में जलवायु के पैटर्न को निर्धारित करती है।
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शुष्कता और सूखा दोनों शब्द जलवायु और पर्यावरण से संबंधित हैं, लेकिन इनका अंतर महत्वपूर्ण है। शुष्कता किसी क्षेत्र की सामान्य जलवायु स्थिति को दर्शाती है, जिसमें कम वर्षा होती है, जैसे रेगिस्तानी या अर्द्ध-रेगिस्तानी क्षेत्र। यह स्थिति लंबे समय से बनी रहती है और एक क्षेत्र की जलवायु का हिस्सा होती हैRead more
शुष्कता और सूखा दोनों शब्द जलवायु और पर्यावरण से संबंधित हैं, लेकिन इनका अंतर महत्वपूर्ण है।
शुष्कता किसी क्षेत्र की सामान्य जलवायु स्थिति को दर्शाती है, जिसमें कम वर्षा होती है, जैसे रेगिस्तानी या अर्द्ध-रेगिस्तानी क्षेत्र। यह स्थिति लंबे समय से बनी रहती है और एक क्षेत्र की जलवायु का हिस्सा होती है।
सूखा एक असामान्य स्थिति है, जब एक क्षेत्र में अपेक्षित मात्रा में वर्षा नहीं होती और इसका असर तत्काल और गंभीर होता है। सूखा शुष्कता की तुलना में अस्थायी और अधिक तीव्र होता है।
सूखे के बहुआयामी प्रभाव निम्नलिखित हैं:
इस प्रकार, सूखा एक गंभीर समस्या है जिसका बहुआयामी प्रभाव समाज और पर्यावरण पर पड़ता है।
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