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हॉट स्प्रिंग' किसे कहते हैं?
परिचय: 'हॉट स्प्रिंग' (Hot Spring) एक प्रकार का प्राकृतिक गर्म जल स्रोत है, जो पृथ्वी की सतह पर उबालते हुए या गर्म जल का प्रवाह होता है। ये गर्म पानी की धाराएँ अक्सर ज्वालामुखीय गतिविधि या भूगर्भीय क्रियाओं के कारण उत्पन्न होती हैं। हॉट स्प्रिंग की विशेषताएँ: उत्सर्जन स्थान: हॉट स्प्रिंग्स सामान्यतःRead more
परिचय: ‘हॉट स्प्रिंग’ (Hot Spring) एक प्रकार का प्राकृतिक गर्म जल स्रोत है, जो पृथ्वी की सतह पर उबालते हुए या गर्म जल का प्रवाह होता है। ये गर्म पानी की धाराएँ अक्सर ज्वालामुखीय गतिविधि या भूगर्भीय क्रियाओं के कारण उत्पन्न होती हैं।
हॉट स्प्रिंग की विशेषताएँ:
हालिया उदाहरण:
उपयोग और लाभ:
निष्कर्ष: ‘हॉट स्प्रिंग’ एक प्राकृतिक गर्म जल स्रोत है जो भूगर्भीय क्रियाओं के कारण उत्पन्न होता है। ये स्रोत स्वास्थ्य लाभ, पर्यटन, और भूगर्भीय अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण हैं, और उनके उदाहरण वैश्विक स्तर पर पाए जाते हैं।
See lessजेट धाराएं भारत और विश्व की जलवायु को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उदाहरण सहित चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
जेट धाराओं की भूमिका भारत और विश्व की जलवायु में जेट धाराएं (Jet Streams) उच्च ऊंचाई पर बहने वाली तीव्र वायुपथ होती हैं, जो विश्व की जलवायु को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये धाराएं सामान्यतः 9 से 16 किलोमीटर की ऊँचाई पर पाई जाती हैं और ये पश्चिम से पूर्व की दिशा में बहती हैं। भारRead more
जेट धाराओं की भूमिका भारत और विश्व की जलवायु में
जेट धाराएं (Jet Streams) उच्च ऊंचाई पर बहने वाली तीव्र वायुपथ होती हैं, जो विश्व की जलवायु को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये धाराएं सामान्यतः 9 से 16 किलोमीटर की ऊँचाई पर पाई जाती हैं और ये पश्चिम से पूर्व की दिशा में बहती हैं।
भारत में प्रभाव
भारत में, जेट धाराओं का प्रभाव खासकर मानसून और शीतकालीन मौसम पर देखा जाता है। उत्तरी गोलार्ध में पश्चिमी जेट धारा (Western Jet Stream) मानसून की गति और पैटर्न को प्रभावित करती है। जब यह धारा भारत के ऊपर से बहती है, तो यह मानसून की बारिश को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, 2002 और 2006 में जेट धाराओं की असामान्य स्थिति के कारण भारत में मानसून की वर्षा की तीव्रता और वितरण में विसंगतियाँ आईं।
विश्व में प्रभाव
जेट धाराएं विश्व के विभिन्न हिस्सों की जलवायु को भी प्रभावित करती हैं। अमेरिका में, ये धाराएं आर्कटिक वायु की घुसपैठ को नियंत्रित करती हैं। जब जेट धारा दक्षिण की ओर खिसकती है, तो अमेरिका के मध्य और पूर्वी हिस्सों में ठंडी हवाएँ और सर्दियों की तीव्रता बढ़ जाती है, जैसा कि 2014-15 में देखा गया था। इसके विपरीत, जब जेट धारा उत्तर की ओर बढ़ती है, तो दक्षिणी अमेरिका में गर्म हवाएँ फैल जाती हैं।
निष्कर्ष
See lessइस प्रकार, जेट धाराएं वैश्विक और स्थानीय जलवायु पैटर्न को प्रभावित करती हैं, जिससे मौसम की असामान्य परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं। इनके प्रभाव को समझना जलवायु परिवर्तन और मौसम की भविष्यवाणी में महत्वपूर्ण है।
असामान्य जलवायवी घटनाओं में से अधिकांश एल-नीनो प्रभाव के परिणाम के तौर पर स्पष्ट की जाती हैं। क्या आप सहमत हैं ? (150 words) [UPSC 2014]
हाँ, असामान्य जलवायवी घटनाओं में से अधिकांश को एल-नीनो प्रभाव के परिणाम के रूप में स्पष्ट किया जा सकता है। एल-नीनो प्रभाव: जलवायु परिवर्तन: एल-नीनो एक जलवायु पैटर्न है जिसमें प्रशांत महासागर की सतह का तापमान औसतन अधिक होता है। यह तापमान वृद्धि वैश्विक मौसम पैटर्न को प्रभावित करती है। मौसमी असामान्यतRead more
हाँ, असामान्य जलवायवी घटनाओं में से अधिकांश को एल-नीनो प्रभाव के परिणाम के रूप में स्पष्ट किया जा सकता है।
एल-नीनो प्रभाव:
जलवायु परिवर्तन: एल-नीनो एक जलवायु पैटर्न है जिसमें प्रशांत महासागर की सतह का तापमान औसतन अधिक होता है। यह तापमान वृद्धि वैश्विक मौसम पैटर्न को प्रभावित करती है।
मौसमी असामान्यता: एल-नीनो के दौरान, विभिन्न क्षेत्रों में असामान्य मौसमी घटनाएँ होती हैं, जैसे कि अत्यधिक वर्षा, सूखा, और असामान्य तापमान। उदाहरण के लिए, भारत में एल-नीनो के कारण मानसून में कमी हो सकती है, जबकि दक्षिण अमेरिका में बाढ़ आ सकती है।
प्राकृतिक आपदाएँ: एल-नीनो के प्रभाव से प्राकृतिक आपदाएँ, जैसे कि उष्णकटिबंधीय तूफान और सूखा, अधिक तीव्र हो सकते हैं।
एल-नीनो की घटनाएँ जलवायु परिवर्तन और असामान्य मौसम की घटनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, इसलिए इस पर सहमति बनती है कि वे असामान्य जलवायवी घटनाओं का एक प्रमुख कारण हैं।
See lessवायु संहति की संकल्पना की विवेचना कीजिए तथा विस्तृत क्षेत्री जलवायवी परिवर्तनों में उसकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए। (200 words) [UPSC 2016]
वायु संहति (Atmospheric Circulation) की संकल्पना वायुमंडल में वायु के बड़े पैमाने पर संचलन (circulation) की प्रक्रिया से संबंधित है। यह संहति पृथ्वी की सतह पर तापमान, वायुदाब, और घूर्णन (rotation) जैसे कारकों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है। वायु संहति का उद्देश्य वायुमंडल में उष्णता के असमान वितरणRead more
वायु संहति (Atmospheric Circulation) की संकल्पना वायुमंडल में वायु के बड़े पैमाने पर संचलन (circulation) की प्रक्रिया से संबंधित है। यह संहति पृथ्वी की सतह पर तापमान, वायुदाब, और घूर्णन (rotation) जैसे कारकों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है। वायु संहति का उद्देश्य वायुमंडल में उष्णता के असमान वितरण को संतुलित करना है, जिसके कारण पृथ्वी के विभिन्न क्षेत्रों में जलवायु और मौसम के पैटर्न प्रभावित होते हैं।
वायु संहति की मुख्य प्रणालियाँ:
हैडली सेल (Hadley Cell): भूमध्य रेखा के पास गर्म वायु ऊपर उठती है और 30° उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों के बीच नीचे आती है। यह क्षेत्र मुख्यतः उष्णकटिबंधीय (tropical) और शुष्क (arid) जलवायु क्षेत्रों का निर्माण करता है।
फेरेल सेल (Ferrel Cell): 30° से 60° उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों के बीच संचालित होती है। यह मध्य अक्षांशों में समशीतोष्ण (temperate) जलवायु का निर्माण करती है।
ध्रुवीय सेल (Polar Cell): 60° से 90° उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों के बीच संचालित होती है। यह ध्रुवीय क्षेत्रों में ठंडी जलवायु का निर्माण करती है।
विस्तृत क्षेत्री जलवायवी परिवर्तनों में वायु संहति की भूमिका:
वायु संहति वैश्विक जलवायवी परिवर्तनों में एक प्रमुख भूमिका निभाती है। यह प्रणाली पृथ्वी पर गर्मी के वितरण को नियंत्रित करती है और जलवायु के प्रमुख प्रकारों को निर्धारित करती है। उदाहरण के लिए:
मानसून: वायु संहति की प्रक्रिया मानसून जैसे मौसमी हवाओं का निर्माण करती है, जो विशेष रूप से दक्षिण एशिया में महत्वपूर्ण हैं।
एल नीनो और ला नीना: वायु संहति में परिवर्तन जैसे एल नीनो और ला नीना घटनाएँ वैश्विक जलवायु में अस्थायी परिवर्तनों का कारण बनती हैं, जिससे सूखा, बाढ़, और तूफान जैसी चरम जलवायु घटनाएँ उत्पन्न होती हैं।
वायुमंडलीय नदी (Atmospheric Rivers): वायु संहति के चलते वायुमंडलीय नदियाँ बनती हैं, जो दूर-दूर के स्थानों तक भारी मात्रा में जलवाष्प ले जाती हैं, जिससे व्यापक वर्षा और बाढ़ हो सकती है।
समग्र रूप से, वायु संहति पृथ्वी की जलवायवी प्रणालियों को संतुलित और प्रभावित करने में एक केंद्रीय भूमिका निभाती है, और यह पृथ्वी के विभिन्न हिस्सों में जलवायु के पैटर्न को निर्धारित करती है।
See lessशुष्कता और सूखे के मध्य अंतर पर प्रकाश डालते हुए सूखे के बहुआयामी प्रभाव पर चर्चा कीजिए। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
शुष्कता और सूखा दोनों शब्द जलवायु और पर्यावरण से संबंधित हैं, लेकिन इनका अंतर महत्वपूर्ण है। शुष्कता किसी क्षेत्र की सामान्य जलवायु स्थिति को दर्शाती है, जिसमें कम वर्षा होती है, जैसे रेगिस्तानी या अर्द्ध-रेगिस्तानी क्षेत्र। यह स्थिति लंबे समय से बनी रहती है और एक क्षेत्र की जलवायु का हिस्सा होती हैRead more
शुष्कता और सूखा दोनों शब्द जलवायु और पर्यावरण से संबंधित हैं, लेकिन इनका अंतर महत्वपूर्ण है।
शुष्कता किसी क्षेत्र की सामान्य जलवायु स्थिति को दर्शाती है, जिसमें कम वर्षा होती है, जैसे रेगिस्तानी या अर्द्ध-रेगिस्तानी क्षेत्र। यह स्थिति लंबे समय से बनी रहती है और एक क्षेत्र की जलवायु का हिस्सा होती है।
सूखा एक असामान्य स्थिति है, जब एक क्षेत्र में अपेक्षित मात्रा में वर्षा नहीं होती और इसका असर तत्काल और गंभीर होता है। सूखा शुष्कता की तुलना में अस्थायी और अधिक तीव्र होता है।
सूखे के बहुआयामी प्रभाव निम्नलिखित हैं:
इस प्रकार, सूखा एक गंभीर समस्या है जिसका बहुआयामी प्रभाव समाज और पर्यावरण पर पड़ता है।
See lessमानसून एशिया में रहने वाली संसार की 50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या के भरण-पोषण में सफल मानसून जलवायु को क्या अभिलक्षण समनुदेशित किए जा सकते हैं ? (250 words) [UPSC 2017]
मानसून एशिया, जिसमें संसार की 50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या निवास करती है, में पाए जाने वाले मानसून जलवायु के विशेष अभिलक्षण इसे खाद्य सुरक्षा और जीवनदायिनी संसाधनों की उपलब्धता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके प्रमुख अभिलक्षण निम्नलिखित हैं: 1. मौसमी वायु परिवर्तन: मानसून जलवायु की सबसे प्रमुखRead more
मानसून एशिया, जिसमें संसार की 50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या निवास करती है, में पाए जाने वाले मानसून जलवायु के विशेष अभिलक्षण इसे खाद्य सुरक्षा और जीवनदायिनी संसाधनों की उपलब्धता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके प्रमुख अभिलक्षण निम्नलिखित हैं:
1. मौसमी वायु परिवर्तन:
मानसून जलवायु की सबसे प्रमुख विशेषता इसकी मौसमी वायु परिवर्तन है। गर्मियों में, समुंदर से आ रही आर्द्र हवाएँ भूमि पर भारी वर्षा लाती हैं, जबकि सर्दियों में, भूमि से समुंदर की ओर सूखी और ठंडी हवाएँ बहती हैं। यह वायु परिवर्तन भूमि और समुद्र के बीच तापमान अंतर के कारण होता है।
2. उच्च वर्षा:
मानसून के दौरान, आमतौर पर जून से सितंबर तक, अत्यधिक और सुसंगठित वर्षा होती है। यह भारी वर्षा कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह जल स्रोतों को पुनः भर देती है और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखती है। धान, गेहूँ और मक्का जैसे खाद्य फसलों के लिए यह वर्षा अनिवार्य है।
3. तापमान की भिन्नता:
मानसून जलवायु में ग्रीष्मकाल में उच्च तापमान और सर्दियों में ठंडा तापमान देखा जाता है। ग्रीष्मकाल की ऊँची तापमान वाली स्थितियाँ मानसून हवाओं को प्रेरित करती हैं, जो वर्षा लाती हैं।
4. कृषि की उत्पादकता:
यह जलवायु किसानी गतिविधियों के लिए आदर्श है। मानसून की वर्षा खेतों को सिंचाई के लिए आवश्यक पानी प्रदान करती है, जिससे खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
5. जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र:
मानसून जलवायु समृद्ध जैव विविधता और विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों को समर्थन देती है, जैसे कि उष्णकटिबंधीय वन और दलदल। ये पारिस्थितिक तंत्र न केवल पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखते हैं, बल्कि स्थानीय जीवन और आजीविका का भी समर्थन करते हैं।
इन विशेषताओं के कारण, मानसून जलवायु खाद्य सुरक्षा, कृषि उत्पादन, और पारिस्थितिक तंत्रों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे यह बड़ी जनसंख्या के जीवन के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करती है।
See lessवैश्विक वायुमंडलीय परिसंचरण का विवरण दीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
वैश्विक वायुमंडलीय परिसंचरण: वैश्विक वायुमंडलीय परिसंचरण पृथ्वी के वायुमंडल में ऊर्जा, वायु और नमी के वितरण की प्रक्रिया है, जो मौसम और जलवायु को नियंत्रित करती है। इसका मुख्य स्वरूप निम्नलिखित हैं: एक्वेटोरियल जेट स्ट्रीम (Equatorial Jet Stream): विवरण: भूमध्य रेखा के आसपास गर्म वायु का प्रवाह ऊँचाRead more
वैश्विक वायुमंडलीय परिसंचरण:
वैश्विक वायुमंडलीय परिसंचरण पृथ्वी के वायुमंडल में ऊर्जा, वायु और नमी के वितरण की प्रक्रिया है, जो मौसम और जलवायु को नियंत्रित करती है। इसका मुख्य स्वरूप निम्नलिखित हैं:
वैश्विक वायुमंडलीय परिसंचरण पृथ्वी की जलवायु और मौसम पैटर्न को समझने में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वायु प्रवाह, वायुदाब, और मौसम की स्थितियों को नियंत्रित करता है।
See lessहिमांक-मंडल (क्रायोस्फ़ेयर) वैश्विक जलवायु को किस प्रकार प्रभावित करता है ? (150 words) [UPSC 2017]
हिमांक-मंडल (क्रायोस्फ़ेयर) और वैश्विक जलवायु परिचय: हिमांक-मंडल, या क्रायोस्फ़ेयर, पृथ्वी की सतह पर बर्फ, ग्लेशियर, और जमी हुई पानी की परतों को शामिल करता है। इसका वैश्विक जलवायु पर महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। हिमांक-मंडल का जलवायु पर प्रभाव: अल्बीडो प्रभाव: क्रायोस्फ़ेयर की बर्फ और बर्फ की सतहें सूRead more
हिमांक-मंडल (क्रायोस्फ़ेयर) और वैश्विक जलवायु
परिचय: हिमांक-मंडल, या क्रायोस्फ़ेयर, पृथ्वी की सतह पर बर्फ, ग्लेशियर, और जमी हुई पानी की परतों को शामिल करता है। इसका वैश्विक जलवायु पर महत्वपूर्ण प्रभाव होता है।
हिमांक-मंडल का जलवायु पर प्रभाव:
निष्कर्ष: हिमांक-मंडल वैश्विक जलवायु को ठंडा करने, समुद्री स्तर को प्रभावित करने, और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके प्रभावों को समझना जलवायु परिवर्तन के प्रबंधन में सहायक है।
See lessआर्कटिक की बर्फ़ और अंटार्कटिक के ग्लेशियरों का पिघलना किस तरह अलग-अलग ढंग से पृथ्वी पर मौसम के स्वरूप और मनुष्य की गतिविधियों पर प्रभाव डालते हैं? स्पष्ट कीजिए । (250 words) [UPSC 2021]
आर्कटिक की बर्फ़ और अंटार्कटिक के ग्लेशियरों का पिघलना: पृथ्वी पर मौसम के स्वरूप और मनुष्य की गतिविधियों पर प्रभाव आर्कटिक की बर्फ़ का पिघलना: मौसम के स्वरूप में परिवर्तन: आर्कटिक क्षेत्र में बर्फ़ का पिघलना पृथ्वी की ऊर्जा संतुलन को प्रभावित करता है। आर्कटिक की बर्फ़ की सतह पर सूर्य की ऊर्जा का पराRead more
आर्कटिक की बर्फ़ और अंटार्कटिक के ग्लेशियरों का पिघलना: पृथ्वी पर मौसम के स्वरूप और मनुष्य की गतिविधियों पर प्रभाव
आर्कटिक की बर्फ़ का पिघलना:
अंटार्कटिक के ग्लेशियरों का पिघलना:
निष्कर्ष:
आर्कटिक की बर्फ़ और अंटार्कटिक के ग्लेशियरों का पिघलना पृथ्वी के मौसम स्वरूप और मनुष्यों की गतिविधियों पर विभिन्न प्रकार से प्रभाव डालता है। आर्कटिक का पिघलना ऊर्जा संतुलन और समुद्री स्तर को प्रभावित करता है, जबकि अंटार्कटिक के ग्लेशियरों का पिघलना वैश्विक समुद्री स्तर में वृद्धि और मौसम पैटर्न को प्रभावित करता है। इन दोनों क्षेत्रों में पिघलन के प्रभाव को समझना और उनका प्रबंधन करना पर्यावरणीय स्थिरता और मानव सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
See lessक्षोभमंडल और समताप मंडल में ओजोन के निमर्माण और उनकी भूमिका संबंधी भिन्नताओं का वर्णन कीजिए। साथ ही, क्षोभमंडलीय ओजोन के प्रभाव को कम करने के लिए विभिन्न रणनीतियों पर चर्चा कीजिए। (उत्तर 250 शब्दों में दें)
क्षोभमंडल और समताप मंडल में ओजोन के निमर्माण और उनकी भूमिका संबंधी भिन्नताएं: क्षोभमंडल: यह ऊपरी वायुमंडल है जो 10-50 किलोमीटर ऊंचाई पर होता है। यहाँ पर ओजोन की स्थिति अधिक असंतुलित होती है जिससे उत्तेजित होते हैं। समताप मंडल: यह क्षोभमंडल के नीचे है और इसमें ओजोन की अधिकांश मात्रा होती है। यहाँ परRead more
क्षोभमंडल और समताप मंडल में ओजोन के निमर्माण और उनकी भूमिका संबंधी भिन्नताएं:
क्षोभमंडलीय ओजोन के प्रभाव को कम करने की रणनीतियां: