अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास-सम्बन्धी उपलब्धियाँ क्या हैं? ये उपलब्धियाँ समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायक होंगी ? (250 words) [UPSC 2021]
भारत में जैव प्रौद्योगिकी की सक्रियता और बायोफार्मा क्षेत्र पर इसके प्रभाव 1. जैव प्रौद्योगिकी में सक्रियता के कारण: विकसित मानव संसाधन: भारत में उच्च गुणवत्ता वाले वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग के पेशेवर उपलब्ध हैं, जिन्होंने जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सशक्त अनुसंधान और विकास को बढ़ावा दिया है। सरकRead more
भारत में जैव प्रौद्योगिकी की सक्रियता और बायोफार्मा क्षेत्र पर इसके प्रभाव
1. जैव प्रौद्योगिकी में सक्रियता के कारण:
- विकसित मानव संसाधन: भारत में उच्च गुणवत्ता वाले वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग के पेशेवर उपलब्ध हैं, जिन्होंने जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सशक्त अनुसंधान और विकास को बढ़ावा दिया है।
- सरकारी समर्थन और नीतियाँ: भारत सरकार ने जैव प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन देने के लिए कई नीतिगत पहलें की हैं, जैसे नैशनल बायोटेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बॉर्ड और जैव प्रौद्योगिकी प्रोत्साहन कार्यक्रम।
- आर्थिक अवसर: जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में निवेश करने से रोजगार सृजन और आर्थिक विकास के अवसर उत्पन्न होते हैं, जिससे उद्यमियों और कंपनियों को आकर्षित किया गया है।
- स्वास्थ्य और कृषि में सुधार: जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग स्वास्थ्य देखभाल और कृषि सुधार के लिए किया जाता है, जैसे कि बीमारियों का इलाज और फसलों की पैदावार बढ़ाना।
2. बायोफार्मा क्षेत्र पर प्रभाव:
- नई दवाओं का विकास: जैव प्रौद्योगिकी ने नवीन दवाओं और उपचार विधियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रीम्स्ट्रीम और साध्य एंटीबायोटिक्स जैसे दवाओं की खोज ने रोगों के उपचार को सुलभ बनाया है।
- नैदानिक परीक्षण और अनुसंधान: भारत में नैदानिक परीक्षण और अनुसंधान की लागत अपेक्षाकृत कम है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बायोफार्मा कंपनियों के लिए भारत एक आकर्षक गंतव्य बन गया है।
- सस्ती दवाएँ: जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से जन-सुलभ दवाओं का निर्माण हुआ है, जिससे स्वास्थ्य देखभाल की लागत कम हुई है और प्रवेश में सुधार हुआ है। उदाहरण के लिए, हेरसेप्टिन और इन्फ्लेक्सिमैब जैसी बायोलॉजिकल दवाएँ भारतीय कंपनियों द्वारा सस्ती दरों पर उपलब्ध कराई जाती हैं।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा: भारत ने बायोफार्मा उद्योग में एक वैश्विक खिलाड़ी के रूप में खुद को स्थापित किया है, जिससे निर्यात में वृद्धि हुई है और उद्योग को वैश्विक पहचान मिली है।
3. निष्कर्ष: भारत में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अत्यधिक सक्रियता की कई वजहें हैं, जैसे कि विकसित मानव संसाधन, सरकारी समर्थन, और आर्थिक अवसर। इस सक्रियता ने बायोफार्मा क्षेत्र को नई दवाओं के विकास, नैदानिक अनुसंधान, सस्ती दवाओं के निर्माण, और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मदद की है। यह विकास भारतीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली और वैश्विक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।
See less
अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास-सम्बन्धी उपलब्धियाँ 1. फसल सुधार: जीन-संपादन और CRISPR तकनीक की उन्नति ने सूखा-सहनशील, पोषक तत्वों से भरपूर, और उच्च उपज वाली फसल प्रजातियाँ विकसित की हैं। उदाहरण के लिए, Bt बैंगन, जो कीटों से प्रतिरोधी है, ने रसायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता को कम किया औरRead more
अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास-सम्बन्धी उपलब्धियाँ
1. फसल सुधार: जीन-संपादन और CRISPR तकनीक की उन्नति ने सूखा-सहनशील, पोषक तत्वों से भरपूर, और उच्च उपज वाली फसल प्रजातियाँ विकसित की हैं। उदाहरण के लिए, Bt बैंगन, जो कीटों से प्रतिरोधी है, ने रसायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता को कम किया और उपज में सुधार किया है।
2. स्वास्थ्य देखभाल में नवाचार: जैव-प्रौद्योगिकी ने नई वैक्सीन और थेराप्यूटिक्स का निर्माण किया है। कोवैक्सिन और कोविशील्ड वैक्सीनेशन COVID-19 महामारी से लड़ाई में महत्वपूर्ण साबित हुई हैं। जीन थेरेपी और बायोलॉजिक्स जैसे नए उपचारों ने थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया जैसे आनुवंशिक विकारों के इलाज में प्रगति की है।
3. पर्यावरण जैव-प्रौद्योगिकी: बायो-रमेडिएशन और कचरा प्रबंधन में नवाचार पर्यावरणीय समस्याओं को हल कर रहे हैं। बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक और सूक्ष्मजीव ईंधन कोशिकाएँ जैसे समाधान प्रदूषण को कम करते हैं और सतत प्रथाओं में योगदान करते हैं।
4. कृषि और पशुपालन: बायोपेस्टीसाइड्स और बायोफर्टिलाइजर्स फसलों की उत्पादकता और मिट्टी की सेहत को बढ़ाते हैं। उदाहरण के लिए, नाइट्रोजन-फिक्सिंग बैक्टीरिया फसलों में उपयोग किए जा रहे हैं जो मिट्टी की उर्वरता को सुधारते हैं और रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता को कम करते हैं।
समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में योगदान
1. कृषि उत्पादकता में सुधार: उच्च उपज और सहनशील फसल प्रजातियाँ गरीब किसानों की उपज और आय को बढ़ाने में मदद करती हैं। सूखा-सहनशील प्रजातियाँ सूखे क्षेत्रों में उत्पादकता बनाए रखने में सहायता करती हैं।
2. सस्ती स्वास्थ्य देखभाल: जैव-प्रौद्योगिकी से संचालित स्वास्थ्य समाधान जैसे कम लागत वाली वैक्सीनेशन और उपचार, निर्धन समुदायों में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को उपलब्ध कराते हैं और रोगों का बोझ कम करते हैं।
3. पर्यावरणीय लाभ: जैव-प्रौद्योगिकी आधारित पर्यावरण समाधान जैसे बायो-रमेडिएशन और बायोडिग्रेडेबल सामग्री, गरीब समुदायों को बेहतर और स्वच्छ जीवन यापन प्रदान करते हैं, जो अक्सर पर्यावरणीय प्रदूषण से अधिक प्रभावित होते हैं।
4. रोजगार अवसर: जैव-प्रौद्योगिकी क्षेत्र का विकास शोध, निर्माण और अनुप्रयोग क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उत्पन्न करता है। इससे आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में जीवन यापन में सुधार होता है।
निष्कर्ष: अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी की उपलब्धियाँ निर्धन वर्गों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। ये उपलब्धियाँ कृषि उत्पादकता को बढ़ाने, स्वास्थ्य देखभाल की सस्ती सेवाएँ प्रदान करने, पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने और रोजगार अवसर पैदा करने में सहायक हैं, जिससे सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
See less