उन विभिन्न तरीकों पर चर्चा कीजिए जिनसे सूक्ष्मजीवी इस समय हो रही ईंधन की कमी से पार पाने में मदद कर सकते हैं। (150 words)[UPSC 2023]
स्टैम कोशिका चिकित्सा: संक्षेप में विवरण **1. स्टैम कोशिका उपचार क्या है? परिभाषा: स्टैम कोशिका उपचार में स्टैम कोशिकाओं का उपयोग विभिन्न बीमारियों और शारीरिक क्षति के इलाज के लिए किया जाता है। स्टैम कोशिकाएँ उन कोशिकाओं का एक प्रकार होती हैं जिनकी विशेषता है कि वे विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में परिRead more
स्टैम कोशिका चिकित्सा: संक्षेप में विवरण
**1. स्टैम कोशिका उपचार क्या है?
- परिभाषा: स्टैम कोशिका उपचार में स्टैम कोशिकाओं का उपयोग विभिन्न बीमारियों और शारीरिक क्षति के इलाज के लिए किया जाता है। स्टैम कोशिकाएँ उन कोशिकाओं का एक प्रकार होती हैं जिनकी विशेषता है कि वे विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में परिवर्तित हो सकती हैं और क्षतिग्रस्त या रोगग्रस्त ऊतकों की मरम्मत कर सकती हैं।
- उपयोग: भारत में, ल्यूकीमिया, थैलासीमिया, क्षतिग्रस्त कॉर्निया, और गंभीर दाह के उपचार में स्टैम कोशिका चिकित्सा का उपयोग बढ़ रहा है। उदाहरण के लिए, आईवीएफ (इन्फर्टिलिटी के लिए स्टैम कोशिका उपचार) और थैलासीमिया के इलाज के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट में सकारात्मक परिणाम मिले हैं।
**2. अन्य उपचारों की तुलना में लाभ:
**1. पुनर्योजी क्षमता:
- हीलिंग गुण: स्टैम कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त ऊतकों और अंगों को पुनर्जीवित कर सकती हैं, जो पारंपरिक उपचारों की तुलना में अधिक प्रभावी होती हैं। उदाहरण के लिए, क्षतिग्रस्त कॉर्निया की मरम्मत के लिए स्टैम कोशिका उपचार ने सफल परिणाम दिखाए हैं।
**2. अस्वीकृति का कम जोखिम:
- स्वदेशी कोशिकाएँ: जब स्टैम कोशिकाएँ मरीज की अपनी ही होती हैं (ऑटोलॉगस कोशिकाएँ), तो प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा अस्वीकृति का खतरा न्यूनतम होता है, जो पारंपरिक अंग प्रत्यारोपण में एक प्रमुख चिंता होती है।
**3. आनुवंशिक विकारों का इलाज:
- आनुवंशिक सुधार: स्टैम कोशिका चिकित्सा आनुवंशिक विकारों को कोशिकीय स्तर पर सुधारने की क्षमता रखती है। थैलासीमिया में, स्टैम कोशिका ट्रांसप्लांट्स ने दोषपूर्ण रक्त निर्माण कोशिकाओं को स्वस्थ कोशिकाओं से बदलकर इलाज प्रदान किया है।
**4. नए उपचार विकल्प:
- पारंपरिक विधियों का विकल्प: गंभीर दाह और घावों के लिए स्टैम कोशिकाएँ त्वचा की पुनर्रचना और दाग-धब्बों को कम करने में सहायक होती हैं, जहां पारंपरिक उपचार प्रभावी नहीं हो पाते।
निष्कर्ष: स्टैम कोशिका चिकित्सा पारंपरिक उपचारों की तुलना में पुनर्योजी क्षमताओं, अस्वीकृति के कम जोखिम, आनुवंशिक सुधार की संभावनाओं और नए उपचार विकल्पों की पेशकश करती है।
See less
परिचय सूक्ष्मजीवी वर्तमान में हो रही ईंधन की कमी से निपटने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ये जीव नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के रूप में जैव-ईंधन और बायोगैस उत्पादन में सहायक हैं, जो पारंपरिक जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम कर सकते हैं। जैव-ईंधन का उत्पादन शैवाल और बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीवों काRead more
परिचय
सूक्ष्मजीवी वर्तमान में हो रही ईंधन की कमी से निपटने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ये जीव नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के रूप में जैव-ईंधन और बायोगैस उत्पादन में सहायक हैं, जो पारंपरिक जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम कर सकते हैं।
जैव-ईंधन का उत्पादन
शैवाल और बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीवों का उपयोग बायोडीजल और बायोएथेनॉल उत्पादन के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, शैवाल में उच्च लिपिड सामग्री होती है, जो इसे बायोडीजल के लिए उपयुक्त बनाती है। भारत में CSIR-IICT जैसे संस्थानों द्वारा शैवाल आधारित जैव-ईंधन पर शोध हो रहा है, जो भविष्य में ईंधन संकट से निपटने में मदद कर सकता है।
बायोगैस उत्पादन
अनारोबिक बैक्टीरिया कार्बनिक कचरे को विघटित करके बायोगैस बनाते हैं। भारत में राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद प्रबंधन कार्यक्रम (NBMMP) के तहत कृषि अपशिष्ट और गोबर से बायोगैस का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे ईंधन की कमी कम करने में मदद मिल रही है।
सूक्ष्मजीवी ईंधन कोशिकाएँ (MFCs)
सूक्ष्मजीवी ईंधन कोशिकाओं का उपयोग करके सूक्ष्मजीवों द्वारा कार्बनिक पदार्थों को विद्युत में परिवर्तित किया जाता है। यह तकनीक अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों में बिजली उत्पादन के लिए शोधाधीन है।
निष्कर्ष
See lessसूक्ष्मजीवों के माध्यम से जैव-ईंधन, बायोगैस और सूक्ष्मजीवी ईंधन कोशिकाओं का उत्पादन स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा प्रदान करता है, जो ईंधन की कमी से निपटने का एक स्थायी समाधान हो सकता है।