उन विभिन्न तरीकों पर चर्चा कीजिए जिनसे सूक्ष्मजीवी इस समय हो रही ईंधन की कमी से पार पाने में मदद कर सकते हैं। (150 words)[UPSC 2023]
'ऑर्गन ऑन चिप्स' (OoCs) ऐसी तकनीक है जिसमें जैविक ऊतकों या अंगों की नकल करने वाले सूक्ष्म-आकार के चिप्स का उपयोग किया जाता है। ये चिप्स अंगों की संरचना और कार्यप्रणाली को सटीक रूप से अनुकरण करते हैं और औषधीय परीक्षणों में मानव अंगों की प्रतिक्रियाओं को मॉडल करते हैं। औषध क्षेत्रक में क्रांति लाने कीRead more
‘ऑर्गन ऑन चिप्स’ (OoCs) ऐसी तकनीक है जिसमें जैविक ऊतकों या अंगों की नकल करने वाले सूक्ष्म-आकार के चिप्स का उपयोग किया जाता है। ये चिप्स अंगों की संरचना और कार्यप्रणाली को सटीक रूप से अनुकरण करते हैं और औषधीय परीक्षणों में मानव अंगों की प्रतिक्रियाओं को मॉडल करते हैं।
औषध क्षेत्रक में क्रांति लाने की क्षमता:
- सटीक परीक्षण: OoCs विभिन्न दवाओं और उपचारों के प्रभावों की सटीकता से जांच कर सकते हैं, जिससे दवा की प्रभावशीलता और सुरक्षा को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है।
- मानव-केंद्रित डेटा: ये तकनीकें मानव अंगों के कार्यों का अनुकरण करके अधिक प्रामाणिक डेटा प्रदान करती हैं, जो पशु परीक्षण की आवश्यकता को कम कर सकती हैं।
- त्वरित और लागत-कुशल: OoCs का उपयोग औषधीय अनुसंधान को तेज और अधिक किफायती बनाता है, जिससे नई दवाओं के विकास की प्रक्रिया में सुधार होता है।
इस प्रकार, OoCs औषधीय अनुसंधान और विकास में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो नए उपचारों की खोज और विकास को अधिक सटीक और प्रभावी बना सकते हैं।
See less
परिचय सूक्ष्मजीवी वर्तमान में हो रही ईंधन की कमी से निपटने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ये जीव नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के रूप में जैव-ईंधन और बायोगैस उत्पादन में सहायक हैं, जो पारंपरिक जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम कर सकते हैं। जैव-ईंधन का उत्पादन शैवाल और बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीवों काRead more
परिचय
सूक्ष्मजीवी वर्तमान में हो रही ईंधन की कमी से निपटने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ये जीव नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के रूप में जैव-ईंधन और बायोगैस उत्पादन में सहायक हैं, जो पारंपरिक जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम कर सकते हैं।
जैव-ईंधन का उत्पादन
शैवाल और बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीवों का उपयोग बायोडीजल और बायोएथेनॉल उत्पादन के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, शैवाल में उच्च लिपिड सामग्री होती है, जो इसे बायोडीजल के लिए उपयुक्त बनाती है। भारत में CSIR-IICT जैसे संस्थानों द्वारा शैवाल आधारित जैव-ईंधन पर शोध हो रहा है, जो भविष्य में ईंधन संकट से निपटने में मदद कर सकता है।
बायोगैस उत्पादन
अनारोबिक बैक्टीरिया कार्बनिक कचरे को विघटित करके बायोगैस बनाते हैं। भारत में राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद प्रबंधन कार्यक्रम (NBMMP) के तहत कृषि अपशिष्ट और गोबर से बायोगैस का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे ईंधन की कमी कम करने में मदद मिल रही है।
सूक्ष्मजीवी ईंधन कोशिकाएँ (MFCs)
सूक्ष्मजीवी ईंधन कोशिकाओं का उपयोग करके सूक्ष्मजीवों द्वारा कार्बनिक पदार्थों को विद्युत में परिवर्तित किया जाता है। यह तकनीक अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों में बिजली उत्पादन के लिए शोधाधीन है।
निष्कर्ष
See lessसूक्ष्मजीवों के माध्यम से जैव-ईंधन, बायोगैस और सूक्ष्मजीवी ईंधन कोशिकाओं का उत्पादन स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा प्रदान करता है, जो ईंधन की कमी से निपटने का एक स्थायी समाधान हो सकता है।