यद्यपि भारत में निर्धनता के अनेक विभिन्न प्राक्कलन किए गए हैं, तथापि सभी समय गुजरने के साथ निर्धनता स्तरों में कमी आने का संकेत देते हैं। क्या आप सहमत हैं? शहरी और ग्रामीण निर्धनता संकेतकों का उल्लेख के साथ समालोचनात्मक ...
भारत में निर्धनता न्यूनीकरण के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं, जिनका उद्देश्य गरीबी उन्मूलन, रोजगार सृजन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच को बढ़ावा देना रहा है। हालांकि, इन कार्यक्रमों की प्रभावशीलता अक्सर सीमित रही है, और इसका प्रमुख कारण राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी है। जब तक इन कार्यक्रमों कोRead more
भारत में निर्धनता न्यूनीकरण के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं, जिनका उद्देश्य गरीबी उन्मूलन, रोजगार सृजन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच को बढ़ावा देना रहा है। हालांकि, इन कार्यक्रमों की प्रभावशीलता अक्सर सीमित रही है, और इसका प्रमुख कारण राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी है। जब तक इन कार्यक्रमों को मजबूत राजनैतिक समर्थन नहीं मिलता, वे केवल कागज़ी योजनाएँ बनकर रह जाते हैं।
प्रमुख निर्धनता न्यूनीकरण कार्यक्रम:
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA): 2005 में शुरू हुआ यह कार्यक्रम ग्रामीण परिवारों को 100 दिनों की गारंटीशुदा रोजगार प्रदान करता है। इस योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में आय बढ़ाने और पलायन कम करने में योगदान दिया है। लेकिन, मजदूरी भुगतान में देरी, भ्रष्टाचार, और स्थानीय स्तर पर समुचित क्रियान्वयन की कमी ने इसकी संभावनाओं को सीमित कर दिया है। जहां राजनैतिक समर्थन मिला, वहां इसका बेहतर क्रियान्वयन हुआ है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS): PDS का उद्देश्य निर्धन परिवारों को सस्ता अनाज उपलब्ध कराना है। इस योजना ने भूखमरी कम करने में मदद की है, लेकिन इसकी कार्यक्षमता को inefficiency, लीकेज, और भ्रष्टाचार से प्रभावित किया गया है। जहां राज्य सरकारों ने इसे सुधारने के लिए राजनैतिक इच्छाशक्ति दिखाई, वहां यह प्रभावी सिद्ध हुई, जैसे छत्तीसगढ़ में।
प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY): इस योजना का उद्देश्य शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धन परिवारों को सस्ते मकान उपलब्ध कराना है। हालांकि, लक्ष्य और उपलब्धि के बीच बड़ा अंतर दर्शाता है कि इसकी गति और सफलता राजनैतिक इच्छाशक्ति पर निर्भर है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM): यह कार्यक्रम स्व-रोजगार को बढ़ावा देने और स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के गठन पर केंद्रित है। इस योजना ने महिलाओं को सशक्त करने और ग्रामीण आय में वृद्धि करने में मदद की है, लेकिन इसका प्रभाव जमीनी स्तर पर राजनैतिक समर्थन और संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर है।
निष्कर्ष:
निर्धनता न्यूनीकरण कार्यक्रमों का सफल क्रियान्वयन राजनैतिक इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है। जहां राजनैतिक नेतृत्व ने इन योजनाओं को समर्थन और संसाधन उपलब्ध कराए, वहां ये योजनाएँ प्रभावी साबित हुईं। इसके विपरीत, जहां राजनैतिक संकल्प की कमी रही, वहां ये योजनाएँ केवल दर्शनीय वस्तु बनकर रह गईं। निर्धनता उन्मूलन के लिए इन कार्यक्रमों को मजबूत, निरंतर और दृढ़ राजनैतिक समर्थन की आवश्यकता है, ताकि ये वास्तव में समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकें।
भारत में निर्धनता के प्राक्कलन और बदलाव: एक समालोचनात्मक परीक्षण निर्धनता में कमी: भारत में निर्धनता के विभिन्न प्राक्कलन, जैसे कि नैशनल सैंपल सर्वे (NSS) और सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) की रिपोर्टें, दिखाती हैं कि समय के साथ निर्धनता के स्तरों में कमी आई है। Planning Commission की रिपोरRead more
भारत में निर्धनता के प्राक्कलन और बदलाव: एक समालोचनात्मक परीक्षण
निर्धनता में कमी:
भारत में निर्धनता के विभिन्न प्राक्कलन, जैसे कि नैशनल सैंपल सर्वे (NSS) और सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) की रिपोर्टें, दिखाती हैं कि समय के साथ निर्धनता के स्तरों में कमी आई है। Planning Commission की रिपोर्ट के अनुसार, 2004-05 से 2011-12 के बीच ग्रामीण निर्धनता में 15 प्रतिशत की कमी आई है, जो सामाजिक-आर्थिक योजनाओं और विकास पहलों के प्रभाव को दर्शाता है।
शहरी निर्धनता:
शहरी निर्धनता में कमी की प्रवृत्ति उतनी स्पष्ट नहीं है। 2011 की जनगणना और NSSO के आंकड़ों के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में निर्धनता दर स्थिर या मामूली रूप से बढ़ी है। शहरी निर्धनता का प्रमुख कारण महंगी आवासीय कीमतें, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए उच्च खर्च, और आधारभूत सुविधाओं की कमी हैं।
ग्रामीण निर्धनता:
ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता में कमी आई है, लेकिन यह विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि नरेगा (NREGA) और प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) जैसी योजनाओं का कार्यान्वयन। हालांकि, भूखमरी और पोषण की कमी जैसे मुद्दे अभी भी बने हुए हैं, जो ग्रामीण निर्धनता के स्तर में स्थिरता को दर्शाते हैं।
निष्कर्ष:
समय के साथ भारत में निर्धनता के स्तरों में कमी के संकेत मिले हैं, लेकिन शहरी और ग्रामीण निर्धनता के संकेतक भिन्न हैं। शहरी निर्धनता की समस्या अधिक जटिल है और इसके समाधान के लिए व्यापक नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है। ग्रामीण निर्धनता में कमी की प्रवृत्ति सकारात्मक है, लेकिन इसके लिए सतत और समावेशी विकास की आवश्यकता है।
See less