अब तक भी भूख और गरीबी भारत में सुशासन के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं। मूल्यांकन कीजिए कि इन भारी समस्याओं से निपटने में क्रमिक सरकारों ने किस सीमा तक प्रगति की है। सुधार के लिए उपाय सुझाइए। (150 words) ...
भारत में कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाओं की प्रभावशीलता और पारदर्शिता पर प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) ने महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। DBT का उद्देश्य सरकारी सब्सिडी और सहायता को सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर करना है, जिससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो और धनराशि का सही ढंग से वितरण सRead more
भारत में कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाओं की प्रभावशीलता और पारदर्शिता पर प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) ने महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। DBT का उद्देश्य सरकारी सब्सिडी और सहायता को सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर करना है, जिससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो और धनराशि का सही ढंग से वितरण सुनिश्चित हो सके।
प्रभावशीलता:
- धनराशि का सीधा ट्रांसफर: DBT ने सुनिश्चित किया है कि कल्याणकारी योजनाओं की सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के खातों में पहुँच जाए। इससे बिचौलियों और भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम हो गई है, जिससे धन का सही उपयोग संभव हुआ है।
- लाभार्थियों तक पहुँच: DBT के माध्यम से लाभार्थियों को जल्दी और सीधे सहायता मिलती है। यह प्रणाली विशेष रूप से उन क्षेत्रों में प्रभावी रही है जहां वितरण तंत्र में अक्सर अड़चनें होती हैं, जैसे कि ग्रामीण और दूरदराज के इलाके।
- पारदर्शिता और निगरानी: DBT से लाभार्थियों को प्राप्त होने वाली राशि और उसकी स्थिति की निगरानी करना आसान हो गया है। इससे पारदर्शिता बढ़ी है और किसी भी अनियमितता का पता लगाना सरल हो गया है।
चुनौतियाँ:
- डिजिटल असमानता: DBT के कार्यान्वयन में एक प्रमुख चुनौती डिजिटल असमानता है। कई लाभार्थियों के पास बुनियादी बैंकिंग सुविधाएं या स्मार्टफोन नहीं हैं, जिससे वे DBT का पूरा लाभ नहीं उठा पाते।
- बैंकों की पहुंच: कुछ क्षेत्रों में बैंकों की पहुँच सीमित है। इसका मतलब है कि लाभार्थियों को अपने पैसे प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
- डाटा सटीकता और भ्रष्टाचार: DBT के सफल कार्यान्वयन के लिए सटीक डेटा आवश्यक है। यदि लाभार्थियों का डेटा गलत या पुराना है, तो इससे लाभार्थियों को समय पर सहायता नहीं मिलती।
निष्कर्ष:
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) ने भारत में कल्याणकारी योजनाओं की प्रभावशीलता और पारदर्शिता में सुधार किया है, लेकिन इसे पूरी तरह से सफल बनाने के लिए डिजिटल और बैंकिंग अवसंरचना में सुधार की आवश्यकता है। DBT ने भ्रष्टाचार को कम किया है और सरकारी योजनाओं के लाभ को लाभार्थियों तक पहुँचाने में सहायता की है, लेकिन इसकी पूर्ण सफलता सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक और तकनीकी बाधाओं को दूर करना महत्वपूर्ण है।
See less
भूख और गरीबी भारत में सुशासन के सामने हमेशा से बड़ी चुनौतियाँ रही हैं। स्वतंत्रता के बाद से, सरकारों ने इन समस्याओं से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे हरित क्रांति, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), और खाद्य सुरक्षा अधिनियम। इन प्रयासRead more
भूख और गरीबी भारत में सुशासन के सामने हमेशा से बड़ी चुनौतियाँ रही हैं। स्वतंत्रता के बाद से, सरकारों ने इन समस्याओं से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे हरित क्रांति, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), और खाद्य सुरक्षा अधिनियम। इन प्रयासों से गरीबी दर में कमी आई है और कई लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे हैं।
हालांकि, अभी भी बड़ी संख्या में लोग गरीबी और कुपोषण से जूझ रहे हैं। नीतियों का सही कार्यान्वयन, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, और लक्षित जनसंख्या तक योजनाओं की पहुँच सुनिश्चित करना आवश्यक है। सुधार के लिए, कृषि क्षेत्र में सुधार, कौशल विकास, ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार, और प्रभावी निगरानी तंत्र की आवश्यकता है। साथ ही, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान देकर मानव संसाधन विकास में निवेश करना भी महत्वपूर्ण है। इससे स्थायी समाधान प्राप्त किया जा सकता है।
See less