स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने में गरीबी आय और उत्पादक संसाधनों की कमी से अधिक बाधक है। इस संदर्भ में, भारत में मौजूद गरीबी की गतिशील प्रकृति पर चर्चा कीजिए और इस समस्या के समाधान के लिए भारत सरकार द्वारा अपनाए ...
"केवल आय पर आधारित गरीबी के निर्धारण में गरीबी का आपतन और तीव्रता अधिक महत्वपूर्ण है" इस विचार को समझने के लिए संयुक्त राष्ट्र बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) की नवीनतम रिपोर्ट का विश्लेषण किया जा सकता है। MPI गरीबी की एक व्यापक परिभाषा प्रदान करता है, जो केवल आय के बजाय विभिन्न सामाजिक और आर्थिक आयामोRead more
“केवल आय पर आधारित गरीबी के निर्धारण में गरीबी का आपतन और तीव्रता अधिक महत्वपूर्ण है” इस विचार को समझने के लिए संयुक्त राष्ट्र बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) की नवीनतम रिपोर्ट का विश्लेषण किया जा सकता है। MPI गरीबी की एक व्यापक परिभाषा प्रदान करता है, जो केवल आय के बजाय विभिन्न सामाजिक और आर्थिक आयामों को भी ध्यान में रखता है।
MPI का विश्लेषण:
संविधानिक निर्धारण:
MPI में गरीबी का निर्धारण आय के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य, और जीवन स्तर जैसे आयामों पर आधारित होता है। यह सूचकांक यह मापता है कि कितने लोग इन प्रमुख आयामों में से कितने में गरीब हैं और उनकी गरीबी कितनी गहरी है।
आपतन (Incidence):
MPI में गरीबी का आपतन यह दिखाता है कि एक निश्चित जनसंख्या का कितना प्रतिशत बहुआयामी गरीबी में है। यह निर्धारण गरीबी की व्यापकता को दर्शाता है। नवीनतम रिपोर्ट में दिखाया गया है कि कई देश, विशेषकर विकासशील देशों में, MPI के आधार पर गरीबी का आपतन उच्च है, जो केवल आय आधारित निर्धारण से कहीं अधिक गहराई से दर्शाता है।
तीव्रता (Intensity):
तीव्रता से तात्पर्य है गरीबी के उस स्तर की गहराई, जिसमें गरीब लोग रहते हैं। MPI में, यह दिखाया जाता है कि गरीब लोगों को कितनी संख्या में आवश्यक संसाधनों की कमी है। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति की शिक्षा, स्वास्थ्य, और जीवन स्तर में महत्वपूर्ण कमी है, तो उनकी गरीबी की तीव्रता अधिक होगी।
वर्तमान रिपोर्ट के निष्कर्ष:
उच्च आपतन और तीव्रता: नवीनतम MPI रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर कई देश, जैसे कि अफ्रीकी और दक्षिण एशियाई देश, उच्च गरीबी आपतन और तीव्रता का सामना कर रहे हैं। ये आंकड़े केवल आय आधारित गरीबी की तुलना में अधिक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं।
सांस्कृतिक और सामाजिक कारक: रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि गरीबी के विभिन्न आयामों की गहराई और तीव्रता सांस्कृतिक और सामाजिक कारकों से प्रभावित होती है, जैसे कि शिक्षा की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता।
संक्षेप में, MPI का उपयोग केवल आय आधारित निर्धारण की तुलना में गरीबी के गहरे और अधिक समग्र चित्र को प्रस्तुत करता है। यह न केवल गरीबी की मौजूदगी को दिखाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि गरीब लोगों को कितनी गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ता है, जिससे नीति निर्धारण और अंतर्राष्ट्रीय सहायता के लिए बेहतर मार्गदर्शन प्राप्त होता है।
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भारत में गरीबी की गतिशील प्रकृति एक जटिल समस्या है, जो केवल आय और उत्पादक संसाधनों की कमी से अधिक गहरी है। गरीबी की गतिशीलता का अर्थ है कि गरीब लोगों की स्थिति केवल आर्थिक संसाधनों की कमी से नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और संस्थागत कारकों द्वारा भी प्रभावित होती है। गरीबी की गतिशील प्रकृति: सामाजRead more
भारत में गरीबी की गतिशील प्रकृति एक जटिल समस्या है, जो केवल आय और उत्पादक संसाधनों की कमी से अधिक गहरी है। गरीबी की गतिशीलता का अर्थ है कि गरीब लोगों की स्थिति केवल आर्थिक संसाधनों की कमी से नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और संस्थागत कारकों द्वारा भी प्रभावित होती है।
गरीबी की गतिशील प्रकृति:
समाधान के उपाय:
इन उपायों के बावजूद, गरीबी का समाधान एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक समानता और प्रशासनिक सुधारों को एकीकृत रूप से लागू करना होगा। इन क्षेत्रों में समन्वित प्रयासों से ही गरीबी को स्थायी रूप से समाप्त किया जा सकता है।
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