Home/upsc: civil seva ke liye buniyadi mulya
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"केवल कानून का अनुपालन ही काफ़ी नहीं है, लोक सेवक में, अपने कर्तव्यों के प्रभावी पालन करने के लिए, नैतिक मुद्दों पर एक सुविकसित संवेदन-शक्ति का होना भी आवश्यक है।" क्या आप सहमत हैं? दो उदाहरणों की सहायता से स्पष्ट कीजिए, जहाँ (ⅰ) कृत्य नैतिकतः सही है, परंतु वैध रूप से सही नहीं है तथा (ii) कृत्य वैध रूप से सही है, परंतु नैतिकतः सही नहीं है। (150 words) [UPSC 2015]
नैतिकता और कानून का अनुपालन सहमत हूँ, क्योंकि लोक सेवकों को केवल कानून का अनुपालन करने के अलावा, नैतिक संवेदनशीलता भी बनाए रखनी चाहिए। (i) कृत्य नैतिकतः सही परंतु वैध रूप से सही नहीं: उदाहरण: फरवरी 2023 में एक सरकारी अधिकारी ने एक गरीब व्यक्ति की सहायता करने के लिए सरकारी नियमों के खिलाफ जाकर व्यक्तRead more
नैतिकता और कानून का अनुपालन
सहमत हूँ, क्योंकि लोक सेवकों को केवल कानून का अनुपालन करने के अलावा, नैतिक संवेदनशीलता भी बनाए रखनी चाहिए।
(i) कृत्य नैतिकतः सही परंतु वैध रूप से सही नहीं: उदाहरण: फरवरी 2023 में एक सरकारी अधिकारी ने एक गरीब व्यक्ति की सहायता करने के लिए सरकारी नियमों के खिलाफ जाकर व्यक्तिगत रूप से आर्थिक सहायता प्रदान की। यह कृत्य नैतिक दृष्टि से सही था, क्योंकि इससे जरूरतमंद की मदद हुई, लेकिन यह कानून की दृष्टि से गलत था, क्योंकि सरकारी फंड का उपयोग नियमों के अनुसार नहीं किया गया।
(ii) कृत्य वैध रूप से सही परंतु नैतिकतः सही नहीं: उदाहरण: 2024 में एक कंपनी ने स्थानीय निवासियों की भलाई के लिए एक प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन किया, लेकिन इसके लिए उन्होंने आवश्यक पर्यावरणीय अनुमति नहीं ली। यहाँ कंपनी ने सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया, लेकिन इसने पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाला, जो नैतिक दृष्टि से गलत था।
इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि नैतिकता और कानून का अनुपालन दोनों ही महत्वपूर्ण हैं।
See lessइसे कैसे व्यवस्थित एवं नियंत्रित किया जा सकता है ? (150 words) [UPSC 2016]
क्रोध को व्यवस्थित और नियंत्रित करने के उपाय 1. भावनात्मक नियंत्रण तकनीकें ध्यान और मेडिटेशन: ध्यान और मेडिटेशन करने से व्यक्ति अपनी भावनाओं पर बेहतर नियंत्रण प्राप्त कर सकता है। हाल ही में, कई कंपनियों ने कर्मचारियों के तनाव और क्रोध को कम करने के लिए ध्यान प्रथाओं को अपनाया है, जैसे Google और InteRead more
क्रोध को व्यवस्थित और नियंत्रित करने के उपाय
1. भावनात्मक नियंत्रण तकनीकें
ध्यान और मेडिटेशन: ध्यान और मेडिटेशन करने से व्यक्ति अपनी भावनाओं पर बेहतर नियंत्रण प्राप्त कर सकता है। हाल ही में, कई कंपनियों ने कर्मचारियों के तनाव और क्रोध को कम करने के लिए ध्यान प्रथाओं को अपनाया है, जैसे Google और Intel द्वारा की गई पहल।
2. संघर्ष समाधान कौशल
संघर्ष समाधान प्रशिक्षण: प्रभावी संचार और संघर्ष समाधान कौशल विकसित करने से क्रोध को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। “Crucial Conversations” जैसे प्रशिक्षण कार्यक्रम व्यक्तियों को संवेदनशील मुद्दों पर बिना क्रोध के बातचीत करने की तकनीकें सिखाते हैं।
3. संज्ञानात्मक-व्यवहारिक रणनीतियाँ
विचारों का पुनर्निर्माण: संज्ञानात्मक-व्यवहारिक तकनीकों का उपयोग करके नकारात्मक विचारों और ट्रिगर्स को समझना और उन्हें चुनौती देना क्रोध को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। अध्ययन दर्शाते हैं कि CBT आधारित क्रोध प्रबंधन कार्यक्रम प्रभावी साबित होते हैं।
4. शारीरिक गतिविधि
नियमित व्यायाम: नियमित शारीरिक गतिविधियाँ जैसे योग या जॉगिंग तनाव और क्रोध को कम करने में मदद करती हैं। हाल की रिपोर्टों ने दिखाया है कि व्यायाम भावनात्मक संतुलन और क्रोध नियंत्रण में सहायक होता है।
इन उपायों को अपनाकर क्रोध को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में सुधार होता है।
See lessचर्चा कीजिए कि यह किस प्रकार नकारात्मक संवेगों और अवांछनीय व्यवहारों को पैदा कर देता है ।
क्रोध: नकारात्मक संवेग और अवांछनीय व्यवहार पर प्रभाव 1. नकारात्मक संवेगों का निर्माण चिंता और तनाव में वृद्धि: क्रोध अक्सर चिंता और तनाव को बढ़ाता है। जब कोई व्यक्ति लगातार क्रोधित रहता है, तो यह मानसिक तनाव और चिंता को जन्म दे सकता है। हाल के अध्ययनों ने यह दर्शाया है कि नियमित क्रोध से मानसिक स्वाRead more
क्रोध: नकारात्मक संवेग और अवांछनीय व्यवहार पर प्रभाव
1. नकारात्मक संवेगों का निर्माण
चिंता और तनाव में वृद्धि: क्रोध अक्सर चिंता और तनाव को बढ़ाता है। जब कोई व्यक्ति लगातार क्रोधित रहता है, तो यह मानसिक तनाव और चिंता को जन्म दे सकता है। हाल के अध्ययनों ने यह दर्शाया है कि नियमित क्रोध से मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ, जैसे चिंता विकार और तनाव, उत्पन्न हो सकती हैं।
अवसाद (डिप्रेशन): दीर्घकालिक क्रोध अवसाद की भावनाओं को जन्म दे सकता है। जब व्यक्ति क्रोध को लंबे समय तक सहन करता है, तो यह निराशा और हताशा की भावना को उत्पन्न कर सकता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
2. अवांछनीय व्यवहारों का उदय
आक्रामकता और हिंसा: क्रोध अक्सर आक्रामकता और हिंसा के रूप में प्रकट होता है, जो व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। हाल में, कार्यस्थल पर हिंसा और घरेलू हिंसा की घटनाएँ इस बात को दर्शाती हैं कि असंतुलित क्रोध शारीरिक संघर्षों में बदल सकता है, जो सुरक्षा और स्थिरता को खतरे में डालता है।
अविवेकी निर्णय लेना: क्रोध निर्णय लेने की क्षमताओं को बाधित कर सकता है, जिससे त्वरित और अविवेकपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, क्रोध में आकर कोई व्यक्ति बिना सोचे-समझे वित्तीय या पेशेवर निर्णय ले सकता है, जैसे नौकरी छोड़ना या जोखिमपूर्ण निवेश करना, जो दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न कर सकता है।
3. हाल के उदाहरण और केस अध्ययन
कार्यस्थल पर संघर्ष: हाल ही में एक प्रमुख कंपनी के कार्यकारी को लगातार क्रोध और असंतोष के कारण बर्खास्त कर दिया गया। इन घटनाओं ने न केवल टीम की मनोबल को प्रभावित किया बल्कि कार्यस्थल पर विषाक्त माहौल भी उत्पन्न किया, जिससे उत्पादकता और पेशेवर संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
घरेलू विवाद: COVID-19 महामारी के दौरान घरेलू हिंसा के मामलों में वृद्धि देखी गई, जो कि लंबे समय तक घर में रहने के तनाव और क्रोध के कारण हुआ। यह स्थिति दर्शाती है कि क्रोध घरेलू विवादों को बढ़ावा दे सकता है और अवांछनीय व्यवहार को जन्म दे सकता है।
4. नकारात्मक प्रभावों को कम करने के उपाय
भावनात्मक नियंत्रण तकनीकें: ध्यान, मेडिटेशन, और संज्ञानात्मक-व्यवहारिक रणनीतियों को अपनाना क्रोध को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में सहायक हो सकता है। व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में इन तकनीकों को अपनाना स्वस्थ मानसिकता को बढ़ावा देता है।
संघर्ष समाधान प्रशिक्षण: संघर्ष समाधान और संचार कौशल का प्रशिक्षण प्रदान करने से क्रोध के अवांछनीय व्यवहार में बदलने की संभावना कम होती है। विभिन्न संगठनों और शिक्षा संस्थानों में इन कौशलों को प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल किया जा रहा है।
निष्कर्ष
क्रोध नकारात्मक संवेगों जैसे चिंता और अवसाद को जन्म देता है, और अवांछनीय व्यवहारों जैसे आक्रामकता और अविवेकी निर्णयों को प्रेरित करता है। इन प्रभावों को कम करने के लिए भावनात्मक नियंत्रण तकनीकें और संघर्ष समाधान प्रशिक्षण अपनाना महत्वपूर्ण है। इससे व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में संतुलन और स्वास्थ्य को बनाए रखा जा सकता है।
See lessक्रोध एक हानिकारक नकारात्मक संवेग है। यह व्यक्तिगत जीवन एवं कार्य जीवन दोनों के लिए हानिकर है ।
क्रोध: व्यक्तिगत और कार्य जीवन पर इसका प्रभाव 1. व्यक्तिगत जीवन पर प्रभाव संबंधों में तनाव: क्रोध अक्सर व्यक्तिगत संबंधों में तनाव और विवाद उत्पन्न करता है। निरंतर क्रोध परिवारिक और मित्र संबंधों को बिगाड़ सकता है। उदाहरण के लिए, COVID-19 लॉकडाउन के दौरान घर में लंबे समय तक रहने से तनाव और क्रोध कीRead more
क्रोध: व्यक्तिगत और कार्य जीवन पर इसका प्रभाव
1. व्यक्तिगत जीवन पर प्रभाव
संबंधों में तनाव: क्रोध अक्सर व्यक्तिगत संबंधों में तनाव और विवाद उत्पन्न करता है। निरंतर क्रोध परिवारिक और मित्र संबंधों को बिगाड़ सकता है। उदाहरण के लिए, COVID-19 लॉकडाउन के दौरान घर में लंबे समय तक रहने से तनाव और क्रोध की घटनाएँ बढ़ी, जिससे पारिवारिक विवादों में वृद्धि हुई।
स्वास्थ्य पर प्रभाव: दीर्घकालिक क्रोध स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है, जैसे उच्च रक्तचाप और हृदय रोग। अनुसंधानों ने यह दर्शाया है कि क्रोधित रहने से हृदय रोग और अन्य शारीरिक समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है, जो व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
2. कार्य जीवन पर प्रभाव
उत्पादकता में कमी: कार्यस्थल पर क्रोध उत्पादकता को कम कर सकता है और प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है। क्रोधित कर्मचारियों से टीम की सहयोग क्षमता में कमी आ सकती है। उदाहरण के लिए, हाल में कुछ संगठनों में प्रबंधकों के क्रोधित व्यवहार के कारण उच्च कर्मचारी पलायन और टीम की कार्यक्षमता में कमी देखी गई है।
कार्यस्थल पर संघर्ष: क्रोध कार्यस्थल पर संघर्ष और विषाक्त माहौल को जन्म दे सकता है। हाल के उदाहरण में, कर्मचारियों के बीच क्रोध और असहमति के कारण कई संगठनों में नकारात्मक कार्य संस्कृति उत्पन्न हुई है, जो संगठनात्मक प्रभावशीलता को प्रभावित करती है।
3. क्रोध प्रबंधन के उपाय
भावनात्मक बुद्धिमत्ता प्रशिक्षण: भावनात्मक बुद्धिमत्ता को विकसित करना क्रोध को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद कर सकता है। हाल ही में, कंपनियाँ भावनात्मक बुद्धिमत्ता के प्रशिक्षण को शामिल कर रही हैं, जो आत्म-संवेदनशीलता और भावनात्मक नियंत्रण में सुधार करती है।
तनाव प्रबंधन तकनीकें: तनाव प्रबंधन तकनीकें जैसे ध्यान और मेडिटेशन क्रोध को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती हैं। कंपनियाँ अब कर्मचारियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए इन तकनीकों को वेलनेस प्रोग्रामों में शामिल कर रही हैं।
निष्कर्ष
क्रोध एक हानिकारक नकारात्मक संवेग है जो व्यक्तिगत और कार्य जीवन दोनों में नकारात्मक प्रभाव डालता है। व्यक्तिगत संबंधों में तनाव, स्वास्थ्य समस्याएँ, उत्पादकता में कमी और कार्यस्थल पर संघर्ष को संबोधित करने के लिए भावनात्मक बुद्धिमत्ता और तनाव प्रबंधन तकनीकें अपनाना आवश्यक है।
See lessऐसी अवांछनीय अभिवृत्तियों को कैसे बदला जा सकता है तथा लोक सेवाओं के लिए आवश्यक समझे जाने वाले सामाजिक-नैतिक मूल्यों को आकांक्षी तथा कार्यरत लोक सेवकों में किस प्रकार संवर्धित किया जा सकता है ? (150 words) [UPSC 2016]
अवांछनीय अभिवृत्तियों को बदलने और सामाजिक-नैतिक मूल्यों को संवर्धित करने की विधियाँ 1. समग्र प्रशिक्षण और शिक्षा नैतिकता और मूल्य शिक्षा: लोक सेवकों को नैतिकता और सामाजिक मूल्यों पर आधारित व्यापक प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए। हाल ही में IAS प्रशिक्षण में "लोक प्रशासन में नैतिकता" जैसे पाठ्यक्रमRead more
अवांछनीय अभिवृत्तियों को बदलने और सामाजिक-नैतिक मूल्यों को संवर्धित करने की विधियाँ
1. समग्र प्रशिक्षण और शिक्षा
नैतिकता और मूल्य शिक्षा: लोक सेवकों को नैतिकता और सामाजिक मूल्यों पर आधारित व्यापक प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए। हाल ही में IAS प्रशिक्षण में “लोक प्रशासन में नैतिकता” जैसे पाठ्यक्रम इसका अच्छा उदाहरण हैं।
2. निरंतर आत्ममूल्यांकन और जागरूकता
नियमित कार्यशालाएँ और सेमिनार: समय-समय पर कार्यशालाएँ और सेमिनार आयोजित किए जाएँ, जो सामाजिक मुद्दों और नैतिक प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित करें। जैसे, लिंग संवेदनशीलता और भ्रष्टाचार विरोधी कार्यशालाएँ।
3. सशक्त संस्थागत ढाँचा
आचार संहिता और उत्तरदायित्व: कठोर आचार संहिता लागू करें और नियमित निगरानी के माध्यम से उत्तरदायित्व सुनिश्चित करें। केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा किए गए निगरानी उदाहरण स्वरूप हैं।
4. नेतृत्व और आदर्श उदाहरण
नेतृत्व द्वारा उदाहरण: वरिष्ठ अधिकारी नैतिक व्यवहार और सार्वजनिक सेवा के मूल्यों का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करें। हाल ही में, ईमानदारी और पारदर्शिता के लिए मान्यता प्राप्त वरिष्ठ अधिकारियों के मामले प्रभावी आदर्श हैं।
इन उपायों के माध्यम से, लोक सेवकों में आवश्यक सामाजिक-नैतिक मूल्यों को प्रभावी ढंग से संवर्धित किया जा सकता है।
See lessक्या कारण है कि निष्पक्षता और अपक्षपातीयता को लोक सेवाओं में, विशेषकर वर्तमान सामाजिक-राजनीतिक संदर्भ में, आधारभूत मूल्य समझना चाहिए ? अपने उत्तर को उदाहरणों के साथ सुस्पष्ट कीजिए । (150 words) [UPSC 2016]
लोक सेवाओं में निष्पक्षता और अपक्षपातीयता का महत्व 1. न्याय और समानता सुनिश्चित करना: व्याख्या: निष्पक्षता और अपक्षपातीयता यह सुनिश्चित करती है कि सभी नागरिकों को समान सेवाएँ और अवसर प्राप्त हों, बिना किसी व्यक्तिगत या राजनीतिक पूर्वाग्रह के। उदाहरण: भारत निर्वाचन आयोग निष्पक्षता से चुनाव करवाता है,Read more
लोक सेवाओं में निष्पक्षता और अपक्षपातीयता का महत्व
1. न्याय और समानता सुनिश्चित करना:
2. जनसामान्य का विश्वास बनाए रखना:
3. शक्ति के दुरुपयोग को रोकना:
4. लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करना:
निष्कर्ष: निष्पक्षता और अपक्षपातीयता लोक सेवाओं में महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये न्याय, विश्वास, पारदर्शिता, और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने में सहायता करती हैं।
See lessसिविल सेवा के संदर्भ में निम्नलिखित की प्रासंगिकता का परीक्षण कीजिए: (a) पारदर्शिता (b) जवाबदेही (c) निष्पक्षता तथा न्याय (d) दृढ़ विश्वास का साहस (e) सेवा भाव (150 words) [UPSC 2017]
सिविल सेवा के संदर्भ में मूल्यों की प्रासंगिकता (a) पारदर्शिता: प्रासंगिकता: पारदर्शिता सरकारी कार्यों और निर्णयों को जनता के सामने स्पष्ट बनाती है, जिससे भ्रष्टाचार कम होता है और जनता का विश्वास बढ़ता है। उदाहरण: भारत में सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 पारदर्शिता को बढ़ावा देता है, जिससे नागरिRead more
सिविल सेवा के संदर्भ में मूल्यों की प्रासंगिकता
(a) पारदर्शिता:
(b) जवाबदेही:
(c) निष्पक्षता तथा न्याय:
(d) दृढ़ विश्वास का साहस:
(e) सेवा भाव:
निष्कर्ष: ये मूल्य सिविल सेवा की प्रभावशीलता और नैतिकता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे शासन की गुणवत्ता और सार्वजनिक विश्वास मजबूत होता है।
See lessलोकहित से क्या अभिप्राय है ? सिविल कर्मचारियों द्वारा लोकहित में कौन-कौन से सिद्धांतों और कार्यविधियों का अनुसरण किया जाना चाहिए ? (150 words) [UPSC 2018]
लोकहित से अभिप्राय लोकहित से तात्पर्य समाज के समग्र कल्याण और भलाई से है। यह उस प्रकार की नीतियों और निर्णयों को संदर्भित करता है जो व्यापक जनसंख्या की भलाई को प्राथमिकता देते हैं, न कि किसी विशेष समूह या व्यक्तिगत स्वार्थ को। सिविल कर्मचारियों द्वारा अनुसरण किए जाने वाले सिद्धांत और कार्यविधियाँ 1.Read more
लोकहित से अभिप्राय
लोकहित से तात्पर्य समाज के समग्र कल्याण और भलाई से है। यह उस प्रकार की नीतियों और निर्णयों को संदर्भित करता है जो व्यापक जनसंख्या की भलाई को प्राथमिकता देते हैं, न कि किसी विशेष समूह या व्यक्तिगत स्वार्थ को।
सिविल कर्मचारियों द्वारा अनुसरण किए जाने वाले सिद्धांत और कार्यविधियाँ
1. निष्पक्षता (Impartiality)
सिद्धांत: सिविल कर्मचारियों को बिना किसी व्यक्तिगत पूर्वाग्रह या बाहरी दबाव के कार्य करना चाहिए।
कार्यविधि: निर्णय लेते समय वस्तुनिष्ठ मानदंड और सार्वजनिक आवश्यकताओं को प्राथमिकता दें। उदाहरण: COVID-19 टीकाकरण अभियान में सभी वर्गों को समान अवसर प्रदान करना।
2. पारदर्शिता (Transparency)
सिद्धांत: कार्यों और निर्णयों को पारदर्शी तरीके से करना चाहिए ताकि जनता को विश्वास हो और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
कार्यविधि: खुली रिपोर्टिंग और निर्णयों के स्पष्ट कारण प्रदान करें। उदाहरण: RTI (सूचना का अधिकार) अधिनियम के तहत सार्वजनिक जानकारी की उपलब्धता।
3. जवाबदेही (Accountability)
सिद्धांत: सिविल कर्मचारियों को अपने कार्यों और निर्णयों के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए।
कार्यविधि: स्पष्ट जवाबदेही संरचनाएँ स्थापित करें और नियमित समीक्षाएँ करें। उदाहरण: सरकारी ऑडिट रिपोर्ट जो संसाधनों के उपयोग की निगरानी करती हैं।
निष्कर्ष: सिविल कर्मचारियों को लोकहित में निष्पक्षता, पारदर्शिता, और जवाबदेही के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए ताकि समाज की समग्र भलाई सुनिश्चित की जा सके।
See lessसिविल सेवाओं के संदर्भ में सार्विक प्रकृति के, तीन आधारिक मूल्यों का कथन कीजिए और उनके महत्त्व को उजागर कीजिए। (150 words) [UPSC 2018]
सिविल सेवाओं के संदर्भ में तीन आधारिक मूल्य 1. ईमानदारी (Integrity) परिभाषा और महत्त्व: ईमानदारी का तात्पर्य नैतिक और आचार-संहिता के सिद्धांतों के प्रति सच्चाई और पारदर्शिता से है। सिविल सेवकों के लिए यह मूल्य महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सार्वजनिक विश्वास बनाए रखने में मदद करता है और निर्णयों को निष्पकRead more
सिविल सेवाओं के संदर्भ में तीन आधारिक मूल्य
1. ईमानदारी (Integrity)
परिभाषा और महत्त्व: ईमानदारी का तात्पर्य नैतिक और आचार-संहिता के सिद्धांतों के प्रति सच्चाई और पारदर्शिता से है। सिविल सेवकों के लिए यह मूल्य महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सार्वजनिक विश्वास बनाए रखने में मदद करता है और निर्णयों को निष्पक्षता से लागू करता है। हालिया उदाहरण: COVID-19 टीकाकरण अभियान में अधिकारियों की ईमानदारी ने वितरण प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वास को बनाए रखा।
2. जवाबदेही (Accountability)
परिभाषा और महत्त्व: जवाबदेही का मतलब है कि अधिकारी अपने कार्यों और निर्णयों के प्रति उत्तरदायी हों, जिससे सार्वजनिक संसाधनों का उचित उपयोग सुनिश्चित हो सके। यह मूल्य सुनिश्चित करता है कि अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लें। हालिया उदाहरण: RTI (सूचना का अधिकार) अधिनियम ने सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा दिया है।
3. सार्वजनिक सेवा के प्रति प्रतिबद्धता (Commitment to Public Service)
परिभाषा और महत्त्व: सार्वजनिक सेवा के प्रति प्रतिबद्धता का मतलब है कि सिविल सेवक समाज की भलाई और सार्वजनिक हित को व्यक्तिगत लाभ से ऊपर रखें। यह मूल्य सुनिश्चित करता है कि अधिकारी सामाजिक विकास और कल्याण पर ध्यान केंद्रित करें। हालिया उदाहरण: गुजरात बाढ़ के दौरान राहत कार्यों में अधिकारियों की त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया उनकी सार्वजनिक सेवा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
निष्कर्ष: ये तीन मूल्य—ईमानदारी, जवाबदेही, और सार्वजनिक सेवा के प्रति प्रतिबद्धता—सिविल सेवाओं की प्रभावशीलता, पारदर्शिता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करते हैं।
See lessबौद्धिक दक्षता और नैतिक गुणों के अलावा सहानुभूति और करुणा कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण वैशिष्ट्य हैं, जो सिविल सेवकों को निर्णायक मामलों को सुलझाने अथवा महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने में अधिक सक्षम बनाते हैं। उपयुक्त उदाहरणों के साथ व्याख्या कीजिए। (150 words) [UPSC 2022]
< सहानुभूति और करुणा का महत्व सिविल सेवकों में परिचय सिविल सेवकों के लिए बौद्धिक दक्षता और नैतिक गुण महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सहानुभूति और करुणा भी उनके कार्यक्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सहानुभूति और करुणा: महत्वपूर्ण गुण सामुदायिक जरूरतों की समझ: सहानुभूति से सिविल सेवक समुदायRead more
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सहानुभूति और करुणा का महत्व सिविल सेवकों में
परिचय
सिविल सेवकों के लिए बौद्धिक दक्षता और नैतिक गुण महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सहानुभूति और करुणा भी उनके कार्यक्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सहानुभूति और करुणा: महत्वपूर्ण गुण
निष्कर्ष
सहानुभूति और करुणा सिविल सेवकों को प्रभावी निर्णय लेने, सार्वजनिक समस्याओं को समझने और समाज के साथ मजबूत संबंध बनाने में सहायक होती हैं। ये गुण सार्वजनिक सेवा में सुधार और सामाजिक कल्याण में योगदान करते हैं।
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