संसद और उसके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (इम्यूनिटीज़), जैसे कि वे संविधान की धारा 105 में परिकल्पित हैं, अनेकों असंहिताबद्ध (अन-कोडिफाइड) और अ-परिगणित विशेषाधिकारों के जारी रहने का स्थान खाली छोड़ देती हैं। संसदीय विशेषाधिकारों के विधिक संहिताकरण ...
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370, जिसका हाशिया नोट "जम्मू-कश्मीर राज्य के सम्बन्ध में अस्थायी उपबन्ध" है, जम्मू और कश्मीर को विशेष स्वायत्तता प्रदान करता था। इसका उद्देश्य जम्मू और कश्मीर के भारत में विलय की विशिष्ट परिस्थितियों को संबोधित करना था। अस्थायीता की सीमा: प्रारंभिक उद्देश्य: अनुच्छेद 370 कRead more
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370, जिसका हाशिया नोट “जम्मू-कश्मीर राज्य के सम्बन्ध में अस्थायी उपबन्ध” है, जम्मू और कश्मीर को विशेष स्वायत्तता प्रदान करता था। इसका उद्देश्य जम्मू और कश्मीर के भारत में विलय की विशिष्ट परिस्थितियों को संबोधित करना था।
अस्थायीता की सीमा:
प्रारंभिक उद्देश्य: अनुच्छेद 370 को अस्थायी रूप से स्थापित किया गया था ताकि जम्मू और कश्मीर की विशेष परिस्थितियों के अनुसार एक स्वायत्त व्यवस्था बनाई जा सके। इसके तहत राज्य की अपनी संविधान और अधिकांश प्रशासनिक स्वतंत्रताएँ थीं, जबकि रक्षा, विदेश मामले, और संचार जैसे कुछ विषयों पर केंद्रीय नियंत्रण था।
स्वायत्तता: अनुच्छेद 370 ने जम्मू और कश्मीर को अपने संविधान और विधायिका की स्वतंत्रता प्रदान की, लेकिन यह सीमित था और किसी भी बदलाव के लिए राज्य सरकार की सहमति आवश्यक थी।
उन्मूलन: 2019 में, भारतीय सरकार ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के माध्यम से अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया। इसके तहत जम्मू और कश्मीर को दो संघीय क्षेत्रों में विभाजित किया गया—जम्मू और कश्मीर, और लद्दाख। इस कदम ने विशेष स्वायत्तता और अनुच्छेद 370 द्वारा प्रदान की गई व्यवस्था को समाप्त कर दिया।
भावी सम्भावनाएँ:
संवैधानिक और राजनीतिक प्रभाव: अनुच्छेद 370 के उन्मूलन से जम्मू और कश्मीर की राज्य-व्यवस्था और राजनीति में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। केंद्रीय नियंत्रण में वृद्धि और नई प्रशासनिक संरचना की शुरुआत ने राज्य के साथ संबंधों में नई दिशा दी है।
क्षेत्रीय और राष्ट्रीय प्रभाव: यह परिवर्तन क्षेत्रीय राजनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में नई प्राथमिकताएँ और नीतियाँ ला सकता है, जो भारतीय संघीय ढाँचे पर प्रभाव डालेगा।
कानूनी और राजनयिक प्रतिक्रियाएँ: अनुच्छेद 370 के उन्मूलन ने कानूनी और राजनयिक स्तर पर विविध प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न की हैं, जो भारत के आंतरिक और बाहरी संबंधों पर प्रभाव डालेंगी।
सारांश में, अनुच्छेद 370 एक अस्थायी उपबन्ध के रूप में स्थापित था, लेकिन इसके लंबे समय तक प्रभावी रहने के बाद 2019 में इसके उन्मूलन ने जम्मू और कश्मीर के प्रशासनिक और राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं।
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भारतीय संविधान की धारा 105 संसद और उसके सदस्यों को विशेषाधिकार और उन्मुक्तियों (इम्यूनिटीज़) की सुरक्षा प्रदान करती है, लेकिन इन विशेषाधिकारों का विधिक संहिताकरण (कोडिफिकेशन) की अनुपस्थिति ने कई समस्याएँ उत्पन्न की हैं। विशेषाधिकारों के विधिक संहिताकरण की अनुपस्थिति के कारण: परंपरागत दृष्टिकोण: संसदRead more
भारतीय संविधान की धारा 105 संसद और उसके सदस्यों को विशेषाधिकार और उन्मुक्तियों (इम्यूनिटीज़) की सुरक्षा प्रदान करती है, लेकिन इन विशेषाधिकारों का विधिक संहिताकरण (कोडिफिकेशन) की अनुपस्थिति ने कई समस्याएँ उत्पन्न की हैं।
विशेषाधिकारों के विधिक संहिताकरण की अनुपस्थिति के कारण:
समाधान:
इन उपायों से संसदीय विशेषाधिकारों को स्पष्ट और व्यवस्थित किया जा सकता है, जिससे कानूनी पारदर्शिता और कार्यकुशलता में सुधार होगा।
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