क्या आप सोचते हैं कि, आधुनिक भारत में विवाह एक संस्कार के रूप में अपना मूल्य खोता जा रहा है? ((150 Words) [UPSC 2023]
दलित प्राख्यान (ऐसर्शन) के समकालीन आंदोलन और जाति विनाश दलित प्राख्यान का सशक्तिकरण समकालीन दलित आंदोलन दलित प्राख्यान (identity assertion) पर जोर देते हैं, जिसमें दलित समुदायों के इतिहास, संस्कृति और उनकी सामाजिक स्थिति की पहचान और सम्मान शामिल है। ये आंदोलन दलितों की सम्मानजनक पहचान और सामाजिक न्यRead more
दलित प्राख्यान (ऐसर्शन) के समकालीन आंदोलन और जाति विनाश
दलित प्राख्यान का सशक्तिकरण
समकालीन दलित आंदोलन दलित प्राख्यान (identity assertion) पर जोर देते हैं, जिसमें दलित समुदायों के इतिहास, संस्कृति और उनकी सामाजिक स्थिति की पहचान और सम्मान शामिल है। ये आंदोलन दलितों की सम्मानजनक पहचान और सामाजिक न्याय के लिए काम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने दलित समुदाय के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
जाति प्रणाली के खिलाफ संघर्ष
हालांकि ये आंदोलन दलितों की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन जाति प्रणाली का पूर्ण विनाश इन आंदोलनों का केंद्रीय लक्ष्य नहीं होता। अधिकांश आंदोलन सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करते हैं। रोहित वेमुला का मामला 2016 में जातिगत भेदभाव की ओर ध्यान आकर्षित करने वाला था, जिसने सुधार की मांग को गति दी लेकिन जाति प्रणाली के मूल कारणों को खत्म नहीं किया।
हालिया उदाहरण
अम्बेडकराइट आंदोलन डॉ. भीमराव अंबेडकर के दृष्टिकोण पर आधारित है और जाति प्रणाली के खिलाफ बौद्ध धर्म को अपनाने का समर्थन करता है। दूसरी ओर, SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम दलितों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है लेकिन जाति भेदभाव के मूल कारणों का समाधान नहीं करता।
निष्कर्ष
समकालीन दलित आंदोलन दलित पहचान और न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। हालांकि, जाति का पूर्ण विनाश एक जटिल चुनौती है, जिसे पहचान assertion के अलावा सामाजिक, कानूनी और सांस्कृतिक परिवर्तनों की आवश्यकता है।
आधुनिक भारत में विवाह एक संस्कार के रूप में अपना पारंपरिक मूल्य खोता दिखाई दे रहा है, इसके कई कारण हैं: आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन: तेजी से बदलते सामाजिक और आर्थिक परिदृश्यों ने विवाह की परंपरागत धारणाओं को चुनौती दी है। महिलाओं की शिक्षा और रोजगार में वृद्धि ने विवाह की पारंपरिक भूमिका को बदल दियाRead more
आधुनिक भारत में विवाह एक संस्कार के रूप में अपना पारंपरिक मूल्य खोता दिखाई दे रहा है, इसके कई कारण हैं:
इन बदलते परिदृश्यों ने विवाह के पारंपरिक संस्कारात्मक मूल्य को चुनौती दी है, हालांकि कुछ क्षेत्रों और समुदायों में यह मूल्य अभी भी मजबूत है।
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