भारत-यू.ए.ई. CEPA दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा तथा भारत को इस क्षेत्र में व्यापक पहुंच प्रदान करेगा। विवेचना कीजिए।(150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थायी सीट की खोज में भारत के समक्ष आने वाली बाधाएँ भौगोलिक प्रतिरोध: भारत की स्थायी सीट की खोज में प्रमुख बाधाओं में से एक भौगोलिक प्रतिरोध है। चीन और पाकिस्तान जैसे देश भारत के स्थायी सदस्यता के प्रयासों का विरोध करते हैं। चीन, विशेष रूप से, भारत के UNSC में स्थाRead more
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थायी सीट की खोज में भारत के समक्ष आने वाली बाधाएँ
भौगोलिक प्रतिरोध:
भारत की स्थायी सीट की खोज में प्रमुख बाधाओं में से एक भौगोलिक प्रतिरोध है। चीन और पाकिस्तान जैसे देश भारत के स्थायी सदस्यता के प्रयासों का विरोध करते हैं। चीन, विशेष रूप से, भारत के UNSC में स्थायी सदस्य बनने के खिलाफ है और यह तर्क करता है कि इससे UNSC की संरचना जटिल हो जाएगी और इसकी प्रभावशीलता प्रभावित हो सकती है।
क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व:
भारत की स्थायी सीट की खोज में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। अफ्रीकी संघ और अन्य क्षेत्रीय संगठन मानते हैं कि UNSC में अफ्रीकी और अन्य क्षेत्रों की अधिक प्रतिनिधित्व की आवश्यकता है। इसके चलते, अफ्रीका के लिए एक स्थायी सीट की मांग को लेकर दबाव बढ़ा है, जिससे भारत के प्रयासों को चुनौती मिलती है।
संस्थानिक प्रतिरोध:
संस्थानिक प्रतिरोध भी एक बड़ी बाधा है। UNSC की संरचना और इसके स्थायी सदस्यों की संख्या में परिवर्तन के लिए UN चार्टर में संशोधन की आवश्यकता होती है। यह संशोधन सभी स्थायी UNSC सदस्यों की स्वीकृति और जनरल असेंबली में दो-तिहाई बहुमत की मांग करता है, जो प्राप्त करना कठिन है।
सहमति की कमी:
अंततः, सहमति की कमी भी एक प्रमुख बाधा है। UNSC के विस्तार के लिए व्यापक समर्थन और स्पष्टता की कमी है, जिससे भारत की स्थायी सदस्यता की खोज में अड़चनें आती हैं।
निष्कर्ष:
भारत की UNSC में स्थायी सीट की खोज में भौगोलिक प्रतिरोध, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व, संस्थानिक प्रतिरोध और सहमति की कमी जैसी बाधाएँ शामिल हैं। इन चुनौतियों को पार करने के लिए भारत को व्यापक अंतर्राष्ट्रीय समर्थन और कूटनीतिक प्रयासों की आवश्यकता है।
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भारत और यू.ए.ई. के बीच व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA) दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह समझौता व्यापार, निवेश, और सेवा क्षेत्रों में व्यापक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किया गया है। CEPA के तहत, भारत को यू.ए.ई. के विशाल बाजारRead more
भारत और यू.ए.ई. के बीच व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA) दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह समझौता व्यापार, निवेश, और सेवा क्षेत्रों में व्यापक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किया गया है। CEPA के तहत, भारत को यू.ए.ई. के विशाल बाजारों में निर्यात के लिए बेहतर अवसर मिलेंगे, जिससे भारत की विनिर्माण और सेवा क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
इसके अलावा, CEPA भारतीय उत्पादों के लिए यू.ए.ई. के माध्यम से पश्चिम एशिया और अफ्रीका के अन्य बाजारों तक पहुँचने का एक सुगम मार्ग प्रदान करेगा। दूसरी ओर, यू.ए.ई. को भारत में निवेश के व्यापक अवसर मिलेंगे, विशेष रूप से तकनीक, ऊर्जा, और लॉजिस्टिक्स में। यह समझौता दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को एक-दूसरे के पूरक के रूप में कार्य करने में मदद करेगा और द्विपक्षीय व्यापार को अगले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय रूप से बढ़ाएगा।
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