सुस्पष्ट कीजिए कि मध्य-अठारहवीं शताब्दी का भारत विखंडित राज्यतंत्र की छाया से किस प्रकार ग्रसित था । (150 words) [UPSC 2017]
19वीं शताब्दी भारत में सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन में समाज सुधारकों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस समय के समाज सुधारकों ने विभिन्न क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर काम किया। राजा राममोहन राय: उन्होंने समाज में सुधार के लिए स्वदेशी शिक्षा, विदेशी वस्त्र त्याग, विधवा पुनर्विवाह आदि के मुद्दों परRead more
19वीं शताब्दी भारत में सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन में समाज सुधारकों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस समय के समाज सुधारकों ने विभिन्न क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर काम किया।
- राजा राममोहन राय: उन्होंने समाज में सुधार के लिए स्वदेशी शिक्षा, विदेशी वस्त्र त्याग, विधवा पुनर्विवाह आदि के मुद्दों पर जागरूकता फैलाई।
- ईश्वरचंद्र विद्यासागर: उन्होंने समाज में विधवा विवाह, बालविवाह, साती प्रथा जैसी अनेक कुरीतियों के खिलाफ उठाव किया।
- महात्मा गांधी: उन्होंने अहिंसा, सत्याग्रह, खादी, शिक्षा, स्वदेशी आंदोलन आदि के माध्यम से समाज में सुधार को बढ़ावा दिया।
- राजा राममोहन राय: उन्होंने समाज में सामाजिक रूप से बहुत से सुधार कार्य किए।
इन समाज सुधारकों के प्रयासों से भारतीय समाज में कई सामाजिक कुरीतियाँ समाप्त हुईं और नई सोच और अद्यतन मूल्यों की दिशा में गम्भीर प्रयास किए गए।
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मध्य-अठारहवीं शताब्दी का भारत: विखंडित राज्यतंत्र परिचय: मध्य-अठारहवीं शताब्दी के भारत में राजनीतिक परिदृश्य विखंडित और अस्थिर था। इस समय भारत में विभिन्न छोटे-छोटे राज्यों और क्षेत्रीय शक्तियों का उदय हुआ, जिससे एक केंद्रीकृत शासन की कमी महसूस की गई। विखंडित राज्यतंत्र: क्षेत्रीय शक्तियों का उदय: "Read more
मध्य-अठारहवीं शताब्दी का भारत: विखंडित राज्यतंत्र
परिचय: मध्य-अठारहवीं शताब्दी के भारत में राजनीतिक परिदृश्य विखंडित और अस्थिर था। इस समय भारत में विभिन्न छोटे-छोटे राज्यों और क्षेत्रीय शक्तियों का उदय हुआ, जिससे एक केंद्रीकृत शासन की कमी महसूस की गई।
विखंडित राज्यतंत्र:
निष्कर्ष: मध्य-अठारहवीं शताब्दी का भारत विखंडित राज्यतंत्र की छाया से ग्रसित था, जिसमें क्षेत्रीय शक्तियाँ और छोटे-छोटे राज्य एक केंद्रीकृत शासन के अभाव में अपनी स्वायत्तता और शक्ति को बनाए रखने के लिए संघर्षरत थे। यह अस्थिरता और विभाजन बाद में एक एकीकृत भारतीय राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण बाधाओं में से एक बनी।
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