1765 से 1833 तक ब्रिटिश राज के साथ ईस्ट इंडिया कंपनी के संबंधों के विकास का पता लगाइए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
स्थायी बंदोबस्त प्रणाली (Permanent Settlement) की शुरुआत को प्रेरित करने वाले कारण निम्नलिखित थे: स्थिर राजस्व प्रणाली की आवश्यकता: ईस्ट इंडिया कंपनी को एक स्थिर और पूर्वानुमानित राजस्व प्रणाली की आवश्यकता थी ताकि वह प्रशासनिक और सैन्य खर्चों को स्थिर रूप से पूरा कर सके। स्थायित्व और स्थिरता: भूमि रRead more
स्थायी बंदोबस्त प्रणाली (Permanent Settlement) की शुरुआत को प्रेरित करने वाले कारण निम्नलिखित थे:
- स्थिर राजस्व प्रणाली की आवश्यकता: ईस्ट इंडिया कंपनी को एक स्थिर और पूर्वानुमानित राजस्व प्रणाली की आवश्यकता थी ताकि वह प्रशासनिक और सैन्य खर्चों को स्थिर रूप से पूरा कर सके।
- स्थायित्व और स्थिरता: भूमि राजस्व के स्थायी निर्धारण से बंटवारे और अस्थिरता की समस्या को दूर करने की कोशिश की गई।
- भूमि स्वामित्व के अधिकार: ज़मींदारों को भूमि पर स्थायी मालिकाना अधिकार देने से उनकी पूंजी निवेश की प्रोत्साहना थी, जिससे कृषि उत्पादन को बढ़ावा मिल सके।
- कृषि उत्पादकता में वृद्धि: ज़मींदारों को राजस्व के स्थायी निर्धारण से अधिक स्वतंत्रता और प्रोत्साहन मिला, जिससे कृषि उत्पादकता बढ़ाने की कोशिश की गई।
परिणाम:
- सामाजिक असंतोष: स्थायी बंदोबस्त ने ज़मींदारों को भूमि पर पूरी शक्ति दी, जिससे किसानों पर अत्यधिक करों और शोषण का बोझ बढ़ गया, और कृषि श्रमिकों की स्थिति खराब हो गई।
- कृषि में गिरावट: ज़मींदारों ने भूमि के दीर्घकालिक अधिकारों का लाभ उठाकर अधिकतम लाभ की कोशिश की, जिसके कारण भूमि की उत्पादकता और फसल की गुणवत्ता में कमी आई।
- राजस्व में स्थिरता: कंपनी को एक स्थिर राजस्व की प्राप्ति हुई, जिससे प्रशासनिक खर्चे पूर्ण करने में सहायता मिली।
- भूमि सुधारों की कमी: स्थायी बंदोबस्त प्रणाली ने भूमि सुधारों की गुंजाइश को सीमित कर दिया, जिससे कृषि और ग्रामीण समाज में संरचनात्मक सुधारों की कमी रही।
इन कारणों और परिणामों ने स्थायी बंदोबस्त प्रणाली की प्रभावशीलता और दीर्घकालिक स्थिरता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला।
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1765 से 1833 तक, ब्रिटिश राज के साथ ईस्ट इंडिया कंपनी के संबंधों का विकास एक महत्वपूर्ण अध्याय था। इस अवधि में कंपनी ने भारत में अपनी धार्मिक, सामाजिक, और आर्थिक शक्ति को मजबूत किया। 1765 में कंपनी को बिहार, उड़ीसा, और बंगाल के सम्राट की दरबारी आदेश से व्यवस्था करने का अधिकार मिला। इससे कंपनी की आर्Read more
1765 से 1833 तक, ब्रिटिश राज के साथ ईस्ट इंडिया कंपनी के संबंधों का विकास एक महत्वपूर्ण अध्याय था। इस अवधि में कंपनी ने भारत में अपनी धार्मिक, सामाजिक, और आर्थिक शक्ति को मजबूत किया।
1765 में कंपनी को बिहार, उड़ीसा, और बंगाल के सम्राट की दरबारी आदेश से व्यवस्था करने का अधिकार मिला। इससे कंपनी की आर्थिक शक्ति में वृद्धि हुई।
1784 में पास हुए पिट्स अधिनियम के बाद कंपनी का शासनिक अधिकार कम हो गया और ब्रिटिश सरकार की निगरानी में आ गई।
कंपनी के साथ संबंध अधिक दक्षिण भारत में मजबूत थे। इस अवधि में कंपनी ने व्यापार, कृषि, और राजनीति में अपनी उपस्थिति को मजबूत किया।
1833 में गोलीय कानून के बाद, ब्रिटिश सरकार ने ईस्ट इंडिया कंपनी के सारे शासन को खत्म कर दिया और भारत पर सीधा नियंत्रण स्थापित किया।
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