वैश्वीकरण के कारण भारत में औद्योगिक विकास पर पड़ने वाले प्रभावों का मूल्यांकन कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
वैश्वीकरण और उदारीकरण की नीतियों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव विदेशी व्यापार: वृद्धि: 1991 की उदारीकरण नीतियों के तहत, भारत ने व्यापार बाधाओं को कम किया और वैश्विक बाजारों के साथ एकीकृत हुआ। इससे निर्यात में वृद्धि हुई, विशेषकर आईटी और सॉफ्टवेयर सेवाओं में। उदाहरण के लिए, भारत का आईटी निर्यात अबRead more
वैश्वीकरण और उदारीकरण की नीतियों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
विदेशी व्यापार:
- वृद्धि: 1991 की उदारीकरण नीतियों के तहत, भारत ने व्यापार बाधाओं को कम किया और वैश्विक बाजारों के साथ एकीकृत हुआ। इससे निर्यात में वृद्धि हुई, विशेषकर आईटी और सॉफ्टवेयर सेवाओं में। उदाहरण के लिए, भारत का आईटी निर्यात अब विश्व बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- आयात में वृद्धि: भारत ने उन्नत प्रौद्योगिकी और कच्चे माल के आयात को बढ़ावा दिया, जिससे घरेलू उद्योग को नई तकनीक और सामग्री प्राप्त हुई।
पूँजी प्रवाह:
- विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI): वैश्वीकरण ने भारत को FDI का आकर्षक गंतव्य बना दिया। सैमसंग, एप्पल, और अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत में निवेश किया, जिससे उद्योगों का विकास हुआ और रोजगार के अवसर बढ़े।
- विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI): भारतीय स्टॉक मार्केट में विदेशी निवेशकों की भागीदारी बढ़ी, जिससे मार्केट लिक्विडिटी में सुधार हुआ, हालांकि इससे आर्थिक अस्थिरता भी बढ़ी।
प्रविधि हस्तान्तरण:
- उन्नत प्रौद्योगिकी: उदारीकरण ने प्रविधि हस्तान्तरण को प्रोत्साहित किया, जिससे भारतीय कंपनियों को नवीनतम तकनीक और प्रोसेस का लाभ मिला। सैमसंग और डेल जैसी कंपनियों के साथ साझेदारी ने भारतीय उद्योगों को उच्च गुणवत्ता की प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराई।
- रिसर्च और विकास: विदेशी निवेश और तकनीकी सहयोग ने आर&D क्षेत्र में भारत की स्थिति को मजबूत किया, जिससे नवाचार और सर्विस सेक्टर में सुधार हुआ।
निष्कर्ष:
वैश्वीकरण और उदारीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था में विदेशी व्यापार, पूँजी प्रवाह, और प्रविधि हस्तान्तरण को बढ़ावा दिया। हालांकि, इन नीतियों से जुड़े आर्थिक अस्थिरता और स्वतंत्रता के संकट जैसे चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा। कुल मिलाकर, ये नीतियाँ भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
See less
वैश्वीकरण के कारण भारत में औद्योगिक विकास पर पड़ने वाले प्रभाव 1. बढ़ी हुई बाज़ार पहुँच: वैश्वीकरण ने भारतीय उद्योगों के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुँच को आसान बना दिया है। उदाहरण के लिए, भारतीय वस्त्र उद्योग ने वैश्विक बाज़ारों में निर्यात के अवसरों में वृद्धि देखी है। 2. प्रौद्योगिकी में उन्Read more
वैश्वीकरण के कारण भारत में औद्योगिक विकास पर पड़ने वाले प्रभाव
1. बढ़ी हुई बाज़ार पहुँच: वैश्वीकरण ने भारतीय उद्योगों के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुँच को आसान बना दिया है। उदाहरण के लिए, भारतीय वस्त्र उद्योग ने वैश्विक बाज़ारों में निर्यात के अवसरों में वृद्धि देखी है।
2. प्रौद्योगिकी में उन्नति: वैश्वीकरण ने उन्नत प्रौद्योगिकियों और प्रथाओं के हस्तांतरण को बढ़ावा दिया है। आईटी सेक्टर, जैसे इन्फोसिस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से लाभ उठाया है।
3. बढ़ती प्रतिस्पर्धा: भारतीय उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है, जिसने दक्षता और नवाचार को बढ़ावा दिया है, लेकिन घरेलू कंपनियों के लिए चुनौतियाँ भी पैदा की हैं। ऑटोमोबाइल सेक्टर ने वैश्विक मानकों के अनुरूप तेजी से बदलाव किया है।
4. विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI): FDI प्रवाह ने औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित किया है, जैसे कि ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निवेश हुआ है। मेक इन इंडिया पहल ने विदेशी निवेश को आकर्षित किया है।
5. असमानताएँ और चुनौतियाँ: वैश्वीकरण ने क्षेत्रीय असमानताएँ पैदा की हैं, जहाँ कुछ क्षेत्रों में तेजी से औद्योगिक विकास हुआ है, जबकि अन्य पीछे रह गए हैं। इन असमानताओं को दूर करने के लिए प्रयास आवश्यक हैं।
See less