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वैश्वीकरण के कारण भारत में औद्योगिक विकास पर पड़ने वाले प्रभावों का मूल्यांकन कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
वैश्वीकरण के कारण भारत में औद्योगिक विकास पर पड़ने वाले प्रभाव 1. बढ़ी हुई बाज़ार पहुँच: वैश्वीकरण ने भारतीय उद्योगों के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुँच को आसान बना दिया है। उदाहरण के लिए, भारतीय वस्त्र उद्योग ने वैश्विक बाज़ारों में निर्यात के अवसरों में वृद्धि देखी है। 2. प्रौद्योगिकी में उन्Read more
वैश्वीकरण के कारण भारत में औद्योगिक विकास पर पड़ने वाले प्रभाव
1. बढ़ी हुई बाज़ार पहुँच: वैश्वीकरण ने भारतीय उद्योगों के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुँच को आसान बना दिया है। उदाहरण के लिए, भारतीय वस्त्र उद्योग ने वैश्विक बाज़ारों में निर्यात के अवसरों में वृद्धि देखी है।
2. प्रौद्योगिकी में उन्नति: वैश्वीकरण ने उन्नत प्रौद्योगिकियों और प्रथाओं के हस्तांतरण को बढ़ावा दिया है। आईटी सेक्टर, जैसे इन्फोसिस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से लाभ उठाया है।
3. बढ़ती प्रतिस्पर्धा: भारतीय उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है, जिसने दक्षता और नवाचार को बढ़ावा दिया है, लेकिन घरेलू कंपनियों के लिए चुनौतियाँ भी पैदा की हैं। ऑटोमोबाइल सेक्टर ने वैश्विक मानकों के अनुरूप तेजी से बदलाव किया है।
4. विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI): FDI प्रवाह ने औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित किया है, जैसे कि ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निवेश हुआ है। मेक इन इंडिया पहल ने विदेशी निवेश को आकर्षित किया है।
5. असमानताएँ और चुनौतियाँ: वैश्वीकरण ने क्षेत्रीय असमानताएँ पैदा की हैं, जहाँ कुछ क्षेत्रों में तेजी से औद्योगिक विकास हुआ है, जबकि अन्य पीछे रह गए हैं। इन असमानताओं को दूर करने के लिए प्रयास आवश्यक हैं।
See lessभारत के औपचारिक क्षेत्र में रोजगार पर वैश्वीकरण के प्रभाव की समीक्षा करें। (125 Words) [UPPSC 2021]
वैश्वीकरण ने भारत के औपचारिक क्षेत्र में रोजगार पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। सकारात्मक प्रभावों में विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि, नई उद्योगों का विकास, और उच्च-तकनीकी नौकरियों का सृजन शामिल हैं। विशेषकर सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं। हालांकिRead more
वैश्वीकरण ने भारत के औपचारिक क्षेत्र में रोजगार पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। सकारात्मक प्रभावों में विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि, नई उद्योगों का विकास, और उच्च-तकनीकी नौकरियों का सृजन शामिल हैं। विशेषकर सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं।
हालांकि, वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव भी हैं। परंपरागत उद्योगों में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से कुछ क्षेत्रों में नौकरियों में कमी आई है। इसके अतिरिक्त, ठेका और अस्थायी काम की प्रवृत्ति बढ़ी है, जिससे नौकरी की सुरक्षा और लाभों पर असर पड़ा है।
इस प्रकार, जबकि वैश्वीकरण ने औपचारिक क्षेत्र में नई संभावनाओं को जन्म दिया है, साथ ही यह चुनौतियों को भी लेकर आया है, जिनसे निपटने के लिए उचित नीतिगत उपायों की आवश्यकता है।
See lessवैश्वीकरण और उदारीकरण की नीतियों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभावों की विशेषतः विदेशी व्यापार, पूँजी प्रवाहों एवं प्रविधि हस्तान्तरण के सन्दर्भ में व्याख्या कीजिए । (200 Words) [UPPSC 2022]
वैश्वीकरण और उदारीकरण की नीतियों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव विदेशी व्यापार: वृद्धि: 1991 की उदारीकरण नीतियों के तहत, भारत ने व्यापार बाधाओं को कम किया और वैश्विक बाजारों के साथ एकीकृत हुआ। इससे निर्यात में वृद्धि हुई, विशेषकर आईटी और सॉफ्टवेयर सेवाओं में। उदाहरण के लिए, भारत का आईटी निर्यात अबRead more
वैश्वीकरण और उदारीकरण की नीतियों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
विदेशी व्यापार:
पूँजी प्रवाह:
प्रविधि हस्तान्तरण:
निष्कर्ष:
वैश्वीकरण और उदारीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था में विदेशी व्यापार, पूँजी प्रवाह, और प्रविधि हस्तान्तरण को बढ़ावा दिया। हालांकि, इन नीतियों से जुड़े आर्थिक अस्थिरता और स्वतंत्रता के संकट जैसे चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा। कुल मिलाकर, ये नीतियाँ भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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