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स्मार्ट सिटी विकास हेतु मूल अधोसंरचनात्मक तत्व बताये। (125 Words) [UPPSC 2018]
स्मार्ट सिटी विकास हेतु मूल अधोसंरचनात्मक तत्व 1. कुशल शहरी गतिशीलता: एकीकृत सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, जैसे इंदौर BRTS (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम), यातायात जाम को कम करने और गतिशीलता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। 2. सतत ऊर्जा प्रबंधन: स्मार्ट सिटी विकास में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों और ऊर्जा कुशल भवनोRead more
स्मार्ट सिटी विकास हेतु मूल अधोसंरचनात्मक तत्व
1. कुशल शहरी गतिशीलता: एकीकृत सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, जैसे इंदौर BRTS (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम), यातायात जाम को कम करने और गतिशीलता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।
2. सतत ऊर्जा प्रबंधन: स्मार्ट सिटी विकास में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों और ऊर्जा कुशल भवनों पर ध्यान दिया जाता है। उदाहरण के लिए, कोयंबटूर ने अपनी स्मार्ट सिटी पहल के तहत सौर स्ट्रीट लाइटिंग लागू की है।
3. जल और कचरा प्रबंधन: प्रभावी जल आपूर्ति प्रणाली और कचरा प्रबंधन आवश्यक हैं। अहमदाबाद स्मार्ट सिटी परियोजना में स्वचालित कचरा संग्रहण और जल पुनर्चक्रण सुविधाएँ शामिल हैं।
4. सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT): ICT अवसंरचना, जैसे पुणे में वायरलेस हॉटस्पॉट्स और सेंसर नेटवर्क, रीयल-टाइम डेटा संग्रहण और स्मार्ट शासन को सक्षम बनाते हैं।
5. सस्ती आवास: प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) सभी के लिए आवास सुनिश्चित करती है, जिससे शहरी झुग्गियों में कमी और सम्मानजनक जीवन परिस्थितियाँ प्राप्त होती हैं।
See lessशहरी समस्याओं के समाधान की विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
शहरी समस्याओं के समाधान 1. आधारभूत ढांचे का विकास: शहरी समस्याओं जैसे यातायात की जाम और अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन को सुधारने के लिए आधारभूत ढांचे में सुधार आवश्यक है। दिल्ली मेट्रो विस्तार परियोजना ने शहरी गतिशीलता को बेहतर बनाया और यातायात जाम को कम किया है। 2. सतत शहरी योजना: स्मार्ट सिटी मिशन जैRead more
शहरी समस्याओं के समाधान
1. आधारभूत ढांचे का विकास: शहरी समस्याओं जैसे यातायात की जाम और अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन को सुधारने के लिए आधारभूत ढांचे में सुधार आवश्यक है। दिल्ली मेट्रो विस्तार परियोजना ने शहरी गतिशीलता को बेहतर बनाया और यातायात जाम को कम किया है।
2. सतत शहरी योजना: स्मार्ट सिटी मिशन जैसी योजनाएं प्रदूषण और कचरा प्रबंधन जैसी समस्याओं का समाधान करती हैं। इस मिशन के तहत ऊर्जा दक्ष भवनों और बेहतर कचरा प्रबंधन प्रणालियों को लागू किया जा रहा है।
3. सस्ती आवास योजना: प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) जैसे योजनाएं निम्न-आय वाले शहरी वर्ग के लिए सस्ते आवास प्रदान करती हैं, जिससे झुग्गी-झोपड़ी की वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है।
4. सामुदायिक भागीदारी: शहरी शासन में सामुदायिक भागीदारी समस्याओं के समाधान में सहायक होती है। मुंबई का नागरिक सहभागिता शासन मॉडल ने समस्या समाधान में भागीदारी के लाभों को दर्शाया है।
See lessनगरीकरण को परिभाषित कीजिये। बढ़ते नगरीकरण से उत्पन्न समस्याओं की विवेचना कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2019]
नगरीकरण (Urbanization) वह प्रक्रिया है जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों से लोग शहरी क्षेत्रों की ओर स्थानांतरित होते हैं, जिससे शहरों की जनसंख्या और क्षेत्रीय विस्तार में वृद्धि होती है। नगरीकरण का मतलब है शहरी जीवन शैली, सुविधाओं, और आर्थिक गतिविधियों का प्रसार और विकास। बढ़ते नगरीकरण से उत्पन्न समस्याएँ1.Read more
नगरीकरण (Urbanization) वह प्रक्रिया है जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों से लोग शहरी क्षेत्रों की ओर स्थानांतरित होते हैं, जिससे शहरों की जनसंख्या और क्षेत्रीय विस्तार में वृद्धि होती है। नगरीकरण का मतलब है शहरी जीवन शैली, सुविधाओं, और आर्थिक गतिविधियों का प्रसार और विकास।
बढ़ते नगरीकरण से उत्पन्न समस्याएँ1. अधिभोग और केंद्रित विकास
बढ़ते नगरीकरण के कारण, शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अत्यधिक बढ़ जाता है, जिससे पर्याप्त संसाधन और अवसंरचना पर दबाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, मुंबई और दिल्ली जैसी महानगरों में यातायात और सार्वजनिक सेवाओं की समस्याएँ बढ़ गई हैं।
2. आवास संकट
शहरी क्षेत्रों में बढ़ती जनसंख्या के कारण, आवास की कमी और भ्रष्टाचार के कारण अनधिकृत बस्तियाँ और झुग्गियाँ बनती हैं। दिल्ली और बेंगलुरू में झुग्गी-झोपड़ी की समस्याएँ बढ़ी हैं, जिनमें स्वच्छता और स्वास्थ्य की स्थिति चिंताजनक है।
3. पर्यावरणीय समस्याएँ
बढ़ते नगरीकरण से वायु और जल प्रदूषण, वनों की कटाई, और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। दिल्ली में वायु गुणवत्ता की गंभीर स्थिति इसका स्पष्ट उदाहरण है, जहाँ वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ी हैं।
4. सामाजिक असमानता
नगरीकरण के साथ आर्थिक असमानता भी बढ़ती है। शहरी क्षेत्रों में समृद्धि और ग़रीबी के बीच अंतर बढ़ जाता है। मुंबई में धारावी जैसी बस्तियों में सामाजिक असमानता की स्थिति स्पष्ट है।
5. सार्वजनिक सेवाओं की कमी
शहरों में बढ़ती जनसंख्या से स्वास्थ्य, शिक्षा, और जल आपूर्ति जैसी सार्वजनिक सेवाओं पर दबाव बढ़ता है। कोरोना महामारी के दौरान, शहरी स्वास्थ्य सुविधाएँ और संविधानिक सेवाएँ की कमी ने प्रमुख समस्याओं को उजागर किया।
इस प्रकार, नगरीकरण के बढ़ते स्तर ने विभिन्न समस्याओं को जन्म दिया है, जिनका समाधान वास्तविक और स्थायी योजनाओं और सार्वजनिक नीतियों के माध्यम से किया जाना आवश्यक है।
See lessमलिन बस्तियाँ में मूलभूत नागरिक सुविधाओं के विकास हेतु नगर नियोजन की भूमिका पर एक टिप्पणी लिखिये। (125 Words) [UPPSC 2019]
मलिन बस्तियों में मूलभूत नागरिक सुविधाओं के विकास हेतु नगर नियोजन की भूमिका 1. संरचनात्मक सुधार: नगर नियोजन मलिन बस्तियों में सड़क, नल जल आपूर्ति, और स्वच्छता की बुनियादी सुविधाओं को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रयासों जैसे मुंबई के स्लम पुनर्वास प्राधिकरण (SRA) द्वारा मलिन बस्तियों काRead more
मलिन बस्तियों में मूलभूत नागरिक सुविधाओं के विकास हेतु नगर नियोजन की भूमिका
1. संरचनात्मक सुधार: नगर नियोजन मलिन बस्तियों में सड़क, नल जल आपूर्ति, और स्वच्छता की बुनियादी सुविधाओं को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रयासों जैसे मुंबई के स्लम पुनर्वास प्राधिकरण (SRA) द्वारा मलिन बस्तियों का पुनर्विकास इन क्षेत्रों में सुविधाओं की स्थिति को सुधारता है।
2. आवासीय सुधार: नगर नियोजन बेहतर आवास और पुनर्विकास योजनाओं के माध्यम से मलिन बस्तियों में सुरक्षित और स्थायी आवास प्रदान करता है। दिल्ली की राजीव आवास योजना ने मलिन बस्तियों को संगठित आवास में परिवर्तित किया है।
3. स्वास्थ्य और शिक्षा: नगर नियोजन के माध्यम से स्वास्थ्य केन्द्र और शैक्षिक संस्थान स्थापित किए जाते हैं, जो मलिन बस्तियों में समाज कल्याण को बढ़ावा देते हैं। कोलकाता का “स्कूल ऑन व्हील्स” कार्यक्रम शिक्षा के अवसर बढ़ाने का उदाहरण है।
निष्कर्ष: नगर नियोजन मलिन बस्तियों में मूलभूत नागरिक सुविधाओं के विकास के लिए संरचनात्मक सुधार, आवासीय सुधार, और स्वास्थ्य-शिक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित करके जीवन की गुणवत्ता को सुधारने में अहम भूमिका निभाता है।
See lessभारत में नगरीकरण की प्रवृत्ति का परीक्षण कीजिये तथा तीव्र गति से बढ़ते नगरीकरण से उत्पन्न सामाजिक परिणामों की व्याख्या कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
भारत में नगरीकरण की प्रवृत्ति भारत में नगरीकरण, यानी शहरीकरण की प्रक्रिया, पिछले कुछ दशकों में तेजी से बढ़ी है। नगरीकरण की यह प्रवृत्ति निम्नलिखित कारकों से प्रेरित है: आर्थिक विकास: औद्योगिकीकरण और सेवा क्षेत्र के विकास ने शहरी क्षेत्रों में नौकरियों की संख्या बढ़ाई, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों से शहरीRead more
भारत में नगरीकरण की प्रवृत्ति
भारत में नगरीकरण, यानी शहरीकरण की प्रक्रिया, पिछले कुछ दशकों में तेजी से बढ़ी है। नगरीकरण की यह प्रवृत्ति निम्नलिखित कारकों से प्रेरित है:
तीव्र गति से बढ़ते नगरीकरण से उत्पन्न सामाजिक परिणाम
निष्कर्ष: भारत में नगरीकरण की प्रवृत्ति ने शहरी विकास को प्रोत्साहित किया है, लेकिन इसके साथ सामाजिक, आर्थिक, और पर्यावरणीय समस्याएँ भी उभरी हैं। प्रभावी शहरी नियोजन और सतत विकास की नीतियों को लागू करके इन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
See lessक्या आप सहमत हैं कि शहरीकरण और मलिन बस्तियाँ अपृथक्करणीय है? व्याख्या कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2021]
शहरीकरण और मलिन बस्तियाँ: एक अपरिहार्य संबंध शहरीकरण और मलिन बस्तियाँ अक्सर अपृथक्करणीय होती हैं। जब शहर तेजी से विकसित होते हैं, तो आर्थिक अवसर और सुविधाओं की तलाश में ग्रामीण लोग शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन करते हैं। इस तेजी से बढ़ती जनसंख्या की वजह से अवसंरचना और आवास की कमी होती है, जिससे मलिन बसRead more
शहरीकरण और मलिन बस्तियाँ: एक अपरिहार्य संबंध
शहरीकरण और मलिन बस्तियाँ अक्सर अपृथक्करणीय होती हैं। जब शहर तेजी से विकसित होते हैं, तो आर्थिक अवसर और सुविधाओं की तलाश में ग्रामीण लोग शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन करते हैं।
इस तेजी से बढ़ती जनसंख्या की वजह से अवसंरचना और आवास की कमी होती है, जिससे मलिन बस्तियों का निर्माण होता है। उदाहरण के लिए, मुंबई की धारावी और दिल्ली की यमुना पुश्ता जैसे क्षेत्र तेजी से बढ़ते शहरीकरण के परिणामस्वरूप बने हैं।
असमान विकास और विफल योजनाएं इन बस्तियों के अस्तित्व को बनाए रखती हैं। हाल के वर्षों में, स्मार्ट सिटी परियोजनाएँ और आवास योजनाएँ इस समस्या को संबोधित करने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन मलिन बस्तियों की समस्या पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है।
See lessशहरीकरण की प्रक्रिया समाज के लिए विकास या विनाश है। अपना मत लिखिए । (200 Words) [UPPSC 2023]
शहरीकरण: विकास या विनाश विकासात्मक दृष्टिकोण: शहरीकरण को विकास के एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखा जा सकता है। यह आर्थिक वृद्धि, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने में सहायक होता है। शहरी क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा के अवसर उपलब्ध होते हैं, जो जीवन की गुणवत्ता को सुधाRead more
शहरीकरण: विकास या विनाश
विकासात्मक दृष्टिकोण: शहरीकरण को विकास के एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखा जा सकता है। यह आर्थिक वृद्धि, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने में सहायक होता है। शहरी क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा के अवसर उपलब्ध होते हैं, जो जीवन की गुणवत्ता को सुधारते हैं। उदाहरण के लिए, मेट्रो शहरों में उच्च गुणवत्ता वाले संचार, सड़क और आवास सुविधाएं प्राप्त होती हैं।
आर्थिक अवसर: शहरीकरण रोजगार के नए अवसर उत्पन्न करता है और व्यापार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करता है। शहरी क्षेत्रों में नौकरी के अवसर बढ़ते हैं, जो आर्थिक विकास को गति प्रदान करते हैं।
विनाशात्मक दृष्टिकोण: हालांकि, शहरीकरण की प्रक्रिया में कई चुनौतियाँ भी हैं। अत्यधिक जनसंख्या वृद्धि, विकास की असमानता, और पर्यावरणीय प्रदूषण जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। जैसे कि दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में वायु प्रदूषण और सघन जनसंख्या समस्याएँ हैं, जो जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं।
संतुलित दृष्टिकोण: शहरीकरण का प्रभाव समाज पर निर्भर करता है कि इसे कैसे प्रबंधित किया जाता है। यदि शहरीकरण के साथ योजना, नियंत्रण और सतत विकास के सिद्धांतों का पालन किया जाए, तो यह विकास का एक प्रमुख स्रोत बन सकता है। अन्यथा, यह विनाशकारी भी हो सकता है।
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