नीति आयोग के लक्ष्य हैं? इसके तीन वर्षीय कार्य योजना को समझाइये। (125 Words) [UPPSC 2020]
लोक अदालतों की उत्प्रेरक भूमिका भारतीय विधिक प्रणाली में 1. सुलह और विवाद समाधान: लोक अदालतें विवादों को सुलह और समाधान के माध्यम से निपटाती हैं, जिससे दुरूह न्यायिक प्रक्रिया की बजाय शीघ्र समाधान संभव होता है। उदाहरण के लिए, 2022 में, दिल्ली की लोक अदालतों ने सैकड़ों छोटे-मोटे विवादों का त्वरित समाRead more
लोक अदालतों की उत्प्रेरक भूमिका भारतीय विधिक प्रणाली में
1. सुलह और विवाद समाधान:
- लोक अदालतें विवादों को सुलह और समाधान के माध्यम से निपटाती हैं, जिससे दुरूह न्यायिक प्रक्रिया की बजाय शीघ्र समाधान संभव होता है। उदाहरण के लिए, 2022 में, दिल्ली की लोक अदालतों ने सैकड़ों छोटे-मोटे विवादों का त्वरित समाधान किया।
2. सस्ती न्याय व्यवस्था:
- लोक अदालतें कम खर्च में न्याय प्रदान करती हैं, जिससे आम जनता को महंगे वकील फीस और लंबी अदालत की तारीखों से राहत मिलती है। आंध्र प्रदेश की लोक अदालत में 2022 में लगभग 5,000 मामलों का निपटारा कम लागत में किया गया।
3. विधिक जागरूकता:
- ये अदालतें विधिक शिक्षा और जागरूकता फैलाने का काम करती हैं। गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से, लोक अदालतें कानूनी साक्षरता कार्यक्रम चला रही हैं, जिससे लोगों को उनके कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा रहा है।
4. न्याय में पहुँच:
- लोक अदालतें दूरदराज़ इलाकों और सामाजिक रूप से वंचित समूहों तक न्याय पहुंचाने में सहायक हैं। उत्तर प्रदेश की लोक अदालतों ने 2023 में कई ग्रामीण क्षेत्रों में पहुँच सुनिश्चित की।
निष्कर्ष
लोक अदालतें भारतीय विधिक प्रणाली में सुधार और परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये सुलह, सस्ता न्याय, विधिक जागरूकता, और न्याय की पहुँच को बढ़ावा देती हैं, जिससे समग्र न्याय प्रणाली को गति मिलती है।
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नीति आयोग के लक्ष्य 1. नीति निर्धारण और समन्वय: नीति आयोग का प्रमुख उद्देश्य समन्वित नीति निर्माण और विकासात्मक योजनाओं को बढ़ावा देना है। यह केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग को सशक्त बनाता है। 2. समावेशी विकास को प्रोत्साहन: समावेशी और समान विकास के लिए यह प्रयास करता है, जिसमें सभी सामाजिक वर्गों कोRead more
नीति आयोग के लक्ष्य
1. नीति निर्धारण और समन्वय: नीति आयोग का प्रमुख उद्देश्य समन्वित नीति निर्माण और विकासात्मक योजनाओं को बढ़ावा देना है। यह केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग को सशक्त बनाता है।
2. समावेशी विकास को प्रोत्साहन: समावेशी और समान विकास के लिए यह प्रयास करता है, जिसमें सभी सामाजिक वर्गों को लाभ मिल सके।
3. क्षेत्रीय विकास: क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने और संतुलित विकास को बढ़ावा देने का प्रयास करता है।
तीन वर्षीय कार्य योजना
1. आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा: निवेश और उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए नीतियां तैयार की जाती हैं, जैसे अटल आवास योजना के तहत शहरी और ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारना।
2. शासन में सुधार: डिजिटल परिवर्तन और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं बनाई जाती हैं, जैसे ई-गवर्नेंस और सार्वजनिक सेवाओं का डिजिटलीकरण।
3. सतत विकास को बढ़ावा: पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उपाय, जैसे प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का विस्तार।
इन पहलों के माध्यम से नीति आयोग समावेशी और सतत विकास को सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।
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