विवादों के समाधान के लिए, हाल के वर्षों में कौन-से वैकल्पिक तंत्र उभरे है? वे कितने प्रभावी सिद्ध हुए है ? (200 Words) [UPPSC 2023]
नीति आयोग के गठन के कारण नीति आयोग का गठन जनवरी 2015 में भारतीय योजना आयोग की जगह पर किया गया। इसके गठन के प्रमुख कारण थे: केंद्रित योजना प्रणाली की समस्या: योजना आयोग की ऊपर से नीचे की योजना और कमजोर प्रभावशीलता की आलोचना थी। राज्यों को अधिक भूमिका: राज्यों को विकास में अधिक भागीदारी देने की आवश्यकRead more
नीति आयोग के गठन के कारण
नीति आयोग का गठन जनवरी 2015 में भारतीय योजना आयोग की जगह पर किया गया। इसके गठन के प्रमुख कारण थे:
- केंद्रित योजना प्रणाली की समस्या: योजना आयोग की ऊपर से नीचे की योजना और कमजोर प्रभावशीलता की आलोचना थी।
- राज्यों को अधिक भूमिका: राज्यों को विकास में अधिक भागीदारी देने की आवश्यकता थी।
- लचीली नीति निर्माण: जल्दी बदलती आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार लचीले और सतत विकास के लिए रणनीतियाँ विकसित करने की जरूरत थी।
उद्देश्य
- सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना: केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच सहकारी मॉडल को प्रोत्साहित करना।
- नवीन नीति समाधान: आर्थिक वृद्धि और सामाजिक विकास के लिए नवीन और एकीकृत रणनीतियाँ तैयार करना।
- डाटा-संचालित नीति निर्माण: डाटा और साक्ष्यों के आधार पर नीति निर्माण को बढ़ावा देना।
कार्य
- रणनीतिक योजना बनाना: दीर्घकालिक नीति ढांचे और योजनाओं का निर्माण।
- निगरानी और मूल्यांकन: सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की निगरानी और मूल्यांकन।
- क्षमता निर्माण: राज्यों को नीति निर्माण और क्षमता निर्माण में सहायता प्रदान करना।
हाल ही में पुनर्गठित नीति आयोग
2023 में नीति आयोग का पुनर्गठन किया गया, जिसमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण परिवर्तन शामिल हैं:
- क्षेत्रीय परिषदों की सुदृढ़ता: क्षेत्रीय परिषदों को मजबूत किया गया ताकि क्षेत्रीय विषमताओं को बेहतर ढंग से संबोधित किया जा सके।
- उभरती प्रौद्योगिकियों पर ध्यान: उभरती प्रौद्योगिकियों और नवाचार को नीति निर्माण में शामिल करने पर जोर दिया गया।
- राज्यों के साथ बेहतर सहयोग: राज्यों के साथ अधिक संवाद और राज्य-विशिष्ट रणनीतियाँ तैयार करने की दिशा में कार्य किए गए।
इन परिवर्तनों का उद्देश्य नीति आयोग को अधिक प्रभावशाली और लचीला बनाना है ताकि वह भारत की जटिल विकासात्मक चुनौतियों का सामना कर सके।
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हाल के वर्षों में विवादों के समाधान के लिए कई वैकल्पिक तंत्र उभरे हैं, जो पारंपरिक मुकदमेबाज़ी के विकल्प प्रदान करते हैं। इनमें शामिल हैं: मध्यस्थता (Mediation): मध्यस्थता में एक तटस्थ मध्यस्थ विवादित पक्षों के बीच संवाद को सुविधाजनक बनाता है ताकि एक परस्पर स्वीकार्य समाधान पर पहुँच सके। यह तंत्र पाRead more
हाल के वर्षों में विवादों के समाधान के लिए कई वैकल्पिक तंत्र उभरे हैं, जो पारंपरिक मुकदमेबाज़ी के विकल्प प्रदान करते हैं। इनमें शामिल हैं:
इन वैकल्पिक तंत्रों ने पारंपरिक मुकदमेबाज़ी के मुकाबले अधिक लचीलापन, सुलभता, और कुशलता प्रदान की है। हालांकि, इनकी प्रभावशीलता संदर्भ और पक्षों की प्रक्रिया में भागीदारी पर निर्भर करती है।
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