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लोक सेवकों के सन्दर्भ में निम्नलिखित की प्रासंगिता की व्याख्या कीजिए। (125 Words) [UPPSC 2022]
समर्पण: लोक सेवकों के लिए समर्पण अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनकी कार्यक्षमता और जनता के प्रति उनके उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करता है। समर्पण का मतलब है कि लोक सेवक पूरी लगन और ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करें। यह उन्हें कठिनाइयों के बावजूद अपने कार्य को सही ढंग से करने की प्रेरणा देतRead more
समर्पण: लोक सेवकों के लिए समर्पण अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनकी कार्यक्षमता और जनता के प्रति उनके उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करता है। समर्पण का मतलब है कि लोक सेवक पूरी लगन और ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करें। यह उन्हें कठिनाइयों के बावजूद अपने कार्य को सही ढंग से करने की प्रेरणा देता है, जिससे वे प्रभावी और गुणात्मक सेवाएँ प्रदान कर पाते हैं। समर्पण उनके कार्य में गुणवत्ता और परिणामों को बेहतर बनाता है, और समाज में विश्वास और संतोष पैदा करता है।
जवाबदेही: जवाबदेही लोक सेवकों के लिए एक अनिवार्य गुण है जो उनके कार्यों की पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करता है। इसका मतलब है कि लोक सेवक अपनी निर्णयों और कार्यों के लिए पूरी तरह से उत्तरदायी होते हैं। जवाबदेही यह सुनिश्चित करती है कि लोक सेवक अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए जनता के प्रति उत्तरदायी रहें, और किसी भी गलतफहमी या भ्रष्टाचार से बच सकें। यह जनसुविधा और शासन में विश्वास को बढ़ाता है।
See less"ज्ञान के अभाव में सत्यनिष्ठा कमजोर एवं बेकार है लेकिन सत्यनिष्ठा के अभाव में ज्ञान खतरनाक एवं भयानक है"- इस कथन से आप क्या समझते हैं ? समझाइये । (200 Words) [UPPSC 2023]
"ज्ञान के अभाव में सत्यनिष्ठा कमजोर एवं बेकार है लेकिन सत्यनिष्ठा के अभाव में ज्ञान खतरनाक एवं भयानक है" - विश्लेषण 1. सत्यनिष्ठा और ज्ञान का संबंध सत्यनिष्ठा और ज्ञान दोनों ही समाज की प्रगति और व्यक्तिगत नैतिकता के लिए आवश्यक हैं। सत्यनिष्ठा का अर्थ है सत्य को स्वीकार करना और उसका पालन करना, जबकि जRead more
“ज्ञान के अभाव में सत्यनिष्ठा कमजोर एवं बेकार है लेकिन सत्यनिष्ठा के अभाव में ज्ञान खतरनाक एवं भयानक है” – विश्लेषण
1. सत्यनिष्ठा और ज्ञान का संबंध
सत्यनिष्ठा और ज्ञान दोनों ही समाज की प्रगति और व्यक्तिगत नैतिकता के लिए आवश्यक हैं। सत्यनिष्ठा का अर्थ है सत्य को स्वीकार करना और उसका पालन करना, जबकि ज्ञान का तात्पर्य है सूचनाओं और समझ का संग्रह।
2. ज्ञान के अभाव में सत्यनिष्ठा की कमजोरी
जब व्यक्ति के पास ज्ञान की कमी होती है, तो सत्यनिष्ठा केवल एक आदर्श बनकर रह जाती है। उदाहरण के लिए, 2023 में कर्नाटका में एक शिक्षा नीति के अंतर्गत, शिक्षकों ने अपनी सत्यनिष्ठा के बावजूद सही ज्ञान की कमी के कारण छात्रों को उचित शिक्षा प्रदान नहीं की। इससे शिक्षा प्रणाली में गड़बड़ी हुई और सत्यनिष्ठा का कोई मूल्य नहीं रह गया।
3. सत्यनिष्ठा के अभाव में ज्ञान का खतरनाक प्रभाव
सत्यनिष्ठा के बिना ज्ञान का उपयोग हानिकारक हो सकता है। उदाहरण के लिए, सोशल मीडिया पर फर्जी समाचारों और विज्ञान-विरोधी सूचनाओं का प्रचार एक खतरनाक स्थिति उत्पन्न करता है। 2023 में, कोविड-19 महामारी के दौरान, गलत और अप्रमाणिक जानकारियों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया।
4. संतुलन की आवश्यकता
सत्यनिष्ठा और ज्ञान का सही संतुलन आवश्यक है। केवल सत्यनिष्ठा से ज्ञान की वास्तविकता को समझने में कठिनाई हो सकती है, जबकि ज्ञान के बिना सत्यनिष्ठा केवल एक नैतिक आदर्श बनकर रह जाती है।
निष्कर्ष:
See lessसत्यनिष्ठा और ज्ञान दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। ज्ञान के बिना सत्यनिष्ठा अप्रभावी हो सकती है, और सत्यनिष्ठा के बिना ज्ञान खतरनाक हो सकता है। दोनों का सही संतुलन समाज की प्रगति और नैतिकता के लिए आवश्यक है।
लोक सेवा के संदर्भ में निम्नलिखित की प्रासंगिकता का निरूपण कीजियेः (125 Words) [UPPSC 2021]
लोक सेवा के संदर्भ में प्रासंगिकता a. नैतिक शासन प्रासंगिकता: नैतिक शासन (Ethical Governance) लोक सेवा में पारदर्शिता, ईमानदारी और निष्पक्षता सुनिश्चित करता है। यह भ्रष्टाचार और अन्याय को रोकने में सहायक होता है। हाल ही में, दिल्ली में सत्तारूढ़ पार्टी ने नैतिक शासन के तहत भ्रष्टाचार विरोधी कदम उठाएRead more
लोक सेवा के संदर्भ में प्रासंगिकता
a. नैतिक शासन
प्रासंगिकता: नैतिक शासन (Ethical Governance) लोक सेवा में पारदर्शिता, ईमानदारी और निष्पक्षता सुनिश्चित करता है। यह भ्रष्टाचार और अन्याय को रोकने में सहायक होता है। हाल ही में, दिल्ली में सत्तारूढ़ पार्टी ने नैतिक शासन के तहत भ्रष्टाचार विरोधी कदम उठाए हैं, जैसे कि ई-गवर्नेंस पहल और RTI प्रौद्योगिकी का उपयोग, जो पारदर्शिता को बढ़ावा देते हैं।
b. लोक जीवन में सत्यनिष्ठा
प्रासंगिकता: लोक जीवन में सत्यनिष्ठा (Integrity) का मतलब है व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में सच्चाई और ईमानदारी बनाए रखना। यह नागरिकों का विश्वास बढ़ाता है और सरकारी संस्थाओं की विश्वसनीयता को मजबूत करता है। पंकज कुमार, एक आईएएस अधिकारी, ने सार्वजनिक सेवाओं में सुधार के लिए सत्यनिष्ठा का उदाहरण पेश किया है, जब उन्होंने स्थानीय प्रशासन में सुधार के लिए कई पारदर्शी पहल कीं।
निष्कर्ष
नैतिक शासन और सत्यनिष्ठा लोक सेवा में विश्वास और प्रभावशीलता को बढ़ाते हैं, जिससे जनसेवा की गुणवत्ता और सरकारी नीतियों की प्रभावशीलता में सुधार होता है।
See lessसंक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिये। a. लोक सेवक की नैतिक जिम्मेदारियाँ। b. लोकहित एवं सूचना का अधिकार। (125 Words) [UPPSC 2019]
a. लोक सेवक की नैतिक जिम्मेदारियाँ 1. ईमानदारी और सत्यनिष्ठा: लोक सेवकों को ईमानदारी और सत्यनिष्ठा से काम करना चाहिए, जैसे कि सीवीसी द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी। 2. उत्तरदायित्व: उनका उत्तरदायित्व जनता के प्रति होता है। सार्वजनिक लेखा परीक्षाएँ और सीएजी की रिपोर्ट्स उनकी जिम्मेदारी को सुनिश्चRead more
a. लोक सेवक की नैतिक जिम्मेदारियाँ
1. ईमानदारी और सत्यनिष्ठा: लोक सेवकों को ईमानदारी और सत्यनिष्ठा से काम करना चाहिए, जैसे कि सीवीसी द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी।
2. उत्तरदायित्व: उनका उत्तरदायित्व जनता के प्रति होता है। सार्वजनिक लेखा परीक्षाएँ और सीएजी की रिपोर्ट्स उनकी जिम्मेदारी को सुनिश्चित करती हैं।
3. निष्पक्षता: लोक सेवकों को निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए, जैसे कि आयकर विभाग में बिना भेदभाव के जांच।
b. लोकहित और सूचना का अधिकार
1. लोकहित: लोकहित का तात्पर्य ऐसी नीतियों से है जो समाज के व्यापक कल्याण को बढ़ावा देती हैं। उदाहरण स्वरूप, मौसम सेवा ऐप्स का उपयोग कृषि में किसानों की सहायता के लिए किया जाता है।
2. सूचना का अधिकार (RTI): RTI अधिनियम नागरिकों को सरकारी सूचनाओं तक पहुँच प्रदान करता है, जैसे कि COVID-19 टीकाकरण योजना की जानकारी की सार्वजनिक उपलब्धता।
निष्कर्ष: लोक सेवकों की नैतिक जिम्मेदारियाँ ईमानदारी और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करती हैं, जबकि लोकहित और RTI पारदर्शिता और सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा देते हैं।
See lessलोक सेवको के अंदर सहनशीलता तथा करुणा को कैसे पोषित किया जा सकता है? अपना सुझाव दीजिए। (125 Words) [UPPSC 2021]
लोक सेवकों के अंदर सहनशीलता तथा करुणा को कैसे पोषित किया जा सकता है? 1. प्रशिक्षण कार्यक्रम: लोक सेवकों के लिए विविधता और समावेशिता पर प्रशिक्षण प्रदान करें। सांस्कृतिक संवेदनशीलता और सहमति समाधान कार्यशालाएँ उनकी समझ और सहनशीलता बढ़ा सकती हैं। 2. विभिन्न समुदायों के संपर्क में आना: फील्ड विज़िट्स औRead more
लोक सेवकों के अंदर सहनशीलता तथा करुणा को कैसे पोषित किया जा सकता है?
1. प्रशिक्षण कार्यक्रम: लोक सेवकों के लिए विविधता और समावेशिता पर प्रशिक्षण प्रदान करें। सांस्कृतिक संवेदनशीलता और सहमति समाधान कार्यशालाएँ उनकी समझ और सहनशीलता बढ़ा सकती हैं।
2. विभिन्न समुदायों के संपर्क में आना: फील्ड विज़िट्स और समुदाय सहभागिता कार्यक्रमों के माध्यम से विभिन्न समुदायों के साथ संबंध स्थापित करने के अवसर प्रदान करें। उदाहरण के लिए, ‘गाँव गोद लेने’ जैसे कार्यक्रम।
3. भावनात्मक बुद्धिमत्ता का विकास: भावनात्मक बुद्धिमत्ता प्रशिक्षण को शामिल करें ताकि लोक सेवक अपनी भावनाओं का प्रबंधन कर सकें और दूसरों के प्रति करुणामय हो सकें।
4. खुली संचार प्रथाएँ: ओपन डायलॉग्स और फीडबैक सेशंस का आयोजन करें, जहाँ लोक सेवक अनुभव साझा कर सकें।
5. करुणा का सम्मान: करुणामय व्यवहार को मान्यता और पुरस्कार देकर प्रोत्साहित करें।
निष्कर्ष: इन उपायों के माध्यम से लोक सेवकों के अंदर सहनशीलता और करुणा को प्रभावी ढंग से पोषित किया जा सकता है, जिससे प्रशासन अधिक संवेदनशील और प्रभावी बनेगा।
See lessआज लोक सेवाओं में वस्तुनिष्ठता एवं निष्ठा समय की मांग है' कथन को सिद्ध कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
लोक सेवाओं में वस्तुनिष्ठता एवं निष्ठा: समय की मांग 1. वस्तुनिष्ठता की आवश्यकता: निष्पक्ष निर्णय: वस्तुनिष्ठता सुनिश्चित करती है कि निर्णय तथ्य और प्रमाणों पर आधारित हों, न कि व्यक्तिगत पूर्वाग्रह या बाहरी दबावों पर। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत खाद्य सामग्री का वितरणRead more
लोक सेवाओं में वस्तुनिष्ठता एवं निष्ठा: समय की मांग
1. वस्तुनिष्ठता की आवश्यकता:
2. निष्ठा की आवश्यकता:
3. चुनौती और मांग:
निष्कर्ष: आज के समय में लोक सेवाओं में वस्तुनिष्ठता और निष्ठा अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वस्तुनिष्ठता निष्पक्ष और प्रमाण आधारित निर्णय सुनिश्चित करती है, जबकि निष्ठा जटिल सामाजिक समस्याओं को सुलझाने और गुणवत्तापूर्ण सार्वजनिक सेवाओं को प्रदान करने के लिए प्रतिबद्धता का प्रतीक है। दोनों गुणों का समन्वय प्रभावी और पारदर्शी प्रशासन के लिए आवश्यक है।
See lessक्या लोक-प्रशासन पर न्यायिक नियंत्रण आवश्यक है? लोक प्रशासन पर संभावित न्यायकि नियंत्रण के विभिन्न रूपों की व्याख्या कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
क्या लोक-प्रशासन पर न्यायिक नियंत्रण आवश्यक है? **1. जवाबदेही सुनिश्चित करना: न्यायिक नियंत्रण जवाबदेही को सुनिश्चित करता है, जिससे सार्वजनिक प्रशासन की कार्यप्रणाली पर निगरानी होती है और शक्ति के दुरुपयोग को रोका जाता है। उदाहरण के तौर पर, सबरिमला मंदिर मामला में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के समानताRead more
क्या लोक-प्रशासन पर न्यायिक नियंत्रण आवश्यक है?
**1. जवाबदेही सुनिश्चित करना: न्यायिक नियंत्रण जवाबदेही को सुनिश्चित करता है, जिससे सार्वजनिक प्रशासन की कार्यप्रणाली पर निगरानी होती है और शक्ति के दुरुपयोग को रोका जाता है। उदाहरण के तौर पर, सबरिमला मंदिर मामला में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के समानता अधिकार की रक्षा की, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रशासनिक निर्णय मूलभूत अधिकारों के अनुरूप हों।
**2. मूलभूत अधिकारों की रक्षा: न्यायिक नियंत्रण मूलभूत अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है। न्यायालय प्रशासनिक निर्णयों की समीक्षा कर सकते हैं ताकि वे नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन न करें। आधार अधिनियम के मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने अधिनियम को मान्यता दी लेकिन निजता की सुरक्षा के लिए प्रतिबंध भी लगाए, जो प्रशासनिक दक्षता और व्यक्तिगत अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करता है।
**3. सुधारात्मक शासन को बढ़ावा: न्यायिक नियंत्रण सुधारात्मक शासन को बढ़ावा देता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि सार्वजनिक प्रशासन कानूनी ढांचे के भीतर कार्य करे और पारदर्शिता और निष्पक्षता के सिद्धांतों का पालन करे। सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम को न्यायिक व्याख्याओं के माध्यम से लागू किया गया है, जो प्रशासन में पारदर्शिता को बढ़ावा देता है।
न्यायिक नियंत्रण के रूप
**1. न्यायिक समीक्षा: यह रूप न्यायालयों को प्रशासनिक कार्रवाइयों और निर्णयों की वैधता की समीक्षा करने की अनुमति देता है। केसवानंद भारती मामला में, सुप्रीम कोर्ट ने संविधान संशोधनों की समीक्षा की ताकि वे संविधान की मूल संरचना को न बदलें।
**2. हटाने की याचिका (Writ Jurisdiction): भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 और अनुच्छेद 226 के तहत, व्यक्तियों को प्रशासनिक निर्णयों को चुनौती देने के लिए याचिकाएँ दायर करने की अनुमति है। जनहित याचिकाएँ (PILs), जैसे गंगा प्रदूषण मामला, न्यायपालिका को जनता के हित में प्रशासनिक विफलताओं को संबोधित करने का मौका देती हैं।
**3. न्यायिक निगरानी समितियाँ: न्यायालय अपने आदेशों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए समितियाँ गठित कर सकते हैं। दिल्ली प्रदूषण मामला में, सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण से संबंधित आदेशों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए ग्रीन ट्रिब्यूनल की नियुक्ति की।
निष्कर्ष: लोक-प्रशासन पर न्यायिक नियंत्रण आवश्यक है ताकि जवाबदेही, मूलभूत अधिकारों की रक्षा और सुधारात्मक शासन को बढ़ावा दिया जा सके। न्यायिक नियंत्रण के विभिन्न रूप, जैसे न्यायिक समीक्षा, हटाने की याचिका, और न्यायिक निगरानी समितियाँ, प्रशासनिक शक्ति और कानूनी मानदंडों के बीच संतुलन बनाए रखने में सहायक होती हैं।
See lessक्या आप स्वीकारते हैं कि जन संस्थाएँ जनता के अधिकारों के संरक्षण में सफल है ? (125 Words) [UPPSC 2022]
जन संस्थाएँ और जनता के अधिकारों का संरक्षण सफलता के उदाहरण: जन संस्थाएँ आमतौर पर जनता के अधिकारों के संरक्षण में सफल रही हैं। सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम ने नागरिकों को सार्वजनिक अधिकारियों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही में वृद्धि हुई है। सुप्रीम कोर्टRead more
जन संस्थाएँ और जनता के अधिकारों का संरक्षण
सफलता के उदाहरण: जन संस्थाएँ आमतौर पर जनता के अधिकारों के संरक्षण में सफल रही हैं। सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम ने नागरिकों को सार्वजनिक अधिकारियों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही में वृद्धि हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 377 पर निर्णय देकर समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर किया, जो व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
चुनौतियाँ और सीमाएँ: हालांकि, चुनौतियाँ भी हैं। पुलिस उत्पीड़न और न्यायिक प्रणाली में देरी कभी-कभी संस्थानों की प्रभावशीलता को प्रभावित करती हैं। हाल के अंधराठा कांड में पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल और न्यायिक देरी समस्याएँ हैं जो अधिकारों के संरक्षण में बाधा डालती हैं।
निष्कर्ष: जन संस्थाएँ अधिकारों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, लेकिन निरंतर सुधार और निगरानी आवश्यक है ताकि इन संस्थाओं की प्रभावशीलता सुनिश्चित की जा सके।
See less"प्रशासन एक नैतिक कार्य है और प्रशासक एक नैतिक अधिकर्ता है।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए। (125 Words) [UPPSC 2022]
प्रशासन एक नैतिक कार्य है और प्रशासक एक नैतिक अधिकर्ता है प्रशासन एक नैतिक कार्य: प्रशासन का कार्य समाज पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालता है, इसलिए यह नैतिक होता है। यह सुनिश्चित करता है कि नीतियाँ और निर्णय न्यायपूर्ण और समाज के हित में हों। उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत गरीबोंRead more
प्रशासन एक नैतिक कार्य है और प्रशासक एक नैतिक अधिकर्ता है
प्रशासन एक नैतिक कार्य: प्रशासन का कार्य समाज पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालता है, इसलिए यह नैतिक होता है। यह सुनिश्चित करता है कि नीतियाँ और निर्णय न्यायपूर्ण और समाज के हित में हों। उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न प्रदान करना, एक नैतिक कार्य है जो समाज के कमजोर वर्ग की सहायता करता है।
प्रशासक एक नैतिक अधिकर्ता: प्रशासक नैतिक अधिकर्ता होते हैं जब वे अपने निर्णय और कार्यों में नैतिक सिद्धांतों को अपनाते हैं। आईएएस अधिकारी अवनीश शरण ने पारदर्शिता और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में नैतिक नेतृत्व प्रदर्शित किया है, जो प्रशासन की नैतिकता को दर्शाता है।
निष्कर्ष: प्रशासन की नैतिकता सुनिश्चित करती है कि सार्वजनिक नीतियाँ और कार्य समाज के लिए न्यायपूर्ण और हितकारी हों, और प्रशासक की नैतिकता इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
See lessनिष्पक्षता को परिभाषित कीजिए और कमज़ोर वर्ग की समस्याओं के समाधान में निष्पक्षता की भूमिका की विवेचना कीजिए । (125 Words) [UPPSC 2022]
निष्पक्षता की परिभाषा और कमज़ोर वर्ग की समस्याओं में इसकी भूमिका निष्पक्षता की परिभाषा: निष्पक्षता का तात्पर्य है पक्षपाती होने से बचना और सभी व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार करना। यह न्याय और समानता के सिद्धांतों की रक्षा करने के लिए आवश्यक है। कमज़ोर वर्ग की समस्याओं में निष्पक्षता की भूमिका: संसाधRead more
निष्पक्षता की परिभाषा और कमज़ोर वर्ग की समस्याओं में इसकी भूमिका
निष्पक्षता की परिभाषा: निष्पक्षता का तात्पर्य है पक्षपाती होने से बचना और सभी व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार करना। यह न्याय और समानता के सिद्धांतों की रक्षा करने के लिए आवश्यक है।
कमज़ोर वर्ग की समस्याओं में निष्पक्षता की भूमिका:
निष्कर्ष: निष्पक्षता प्रभावी शासन और कमजोर वर्ग की समस्याओं के समाधान में अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सभी के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित करती है।
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