Home/uppsc: kshetriya & vaishvik samuh aur samjhauta
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अब्राहम समझौता पश्चिम एशिया की राजनीति में एक नयी शुरुआत हैं। व्याख्या कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
अब्राहम समझौते: पश्चिम एशिया की राजनीति में एक नई शुरुआत 1. पृष्ठभूमि और महत्व (Background and Significance): अब्राहम समझौते: अब्राहम समझौते 2020 में इज़राइल और कई अरब देशों, जैसे संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और बहरीन के बीच किए गए सामान्यीकरण समझौतों की श्रृंखला हैं। ये समझौते पश्चिम एशिया के भू-राजनीतRead more
अब्राहम समझौते: पश्चिम एशिया की राजनीति में एक नई शुरुआत
1. पृष्ठभूमि और महत्व (Background and Significance):
2. क्षेत्रीय संबंधों पर प्रभाव (Impact on Regional Relations):
3. सामरिक पुनर्व्यवस्थाएं (Strategic Realignments):
4. इज़राइल-फिलीस्तीनी संघर्ष पर प्रभाव (Impact on the Israeli-Palestinian Conflict):
5. वैश्विक प्रभाव (Broader Global Implications):
निष्कर्ष: अब्राहम समझौते पश्चिम एशिया की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो इज़राइल और कई अरब देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को बढ़ावा देते हैं। ये समझौते व्यावहारिक क्षेत्रीय सहयोग और सामरिक पुनर्व्यवस्थाओं की ओर एक बदलाव का संकेत देते हैं, हालांकि इज़राइल-फिलीस्तीनी संघर्ष से संबंधित चुनौतियां अभी भी जारी हैं। इन समझौतों ने पारंपरिक गठबंधनों को फिर से परिभाषित किया है और क्षेत्रीय राजनीति में नई भू-राजनीतिक गतिशीलता की शुरुआत की है।
See lessआर्कटिक परिषद की संरचना एवं कार्यकरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
आर्कटिक परिषद की संरचना एवं कार्यकरण 1. संरचना (Structure): स्थापना: आर्कटिक परिषद की स्थापना 1996 में ओटावा घोषणा के माध्यम से हुई थी। इसका उद्देश्य आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देना है। सदस्य: परिषद में आठ सदस्य राज्य शामिल हैं: कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, रूस, स्वीRead more
आर्कटिक परिषद की संरचना एवं कार्यकरण
1. संरचना (Structure):
2. कार्य (Functions):
3. कार्यकारी समूह (Working Groups):
4. अध्यक्षता और बैठकें (Chairmanship and Meetings):
5. चुनौतियाँ और आलोचनाएँ (Challenges and Criticisms):
निष्कर्ष: आर्कटिक परिषद आर्कटिक राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय मुद्दों को संबोधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसकी संरचना, जिसमें सदस्य राज्यों और स्वदेशी समूहों दोनों का प्रतिनिधित्व शामिल है, व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती है। हालांकि, भू-राजनीतिक तनाव और विभिन्न राष्ट्रीय हित परिषद की प्रभावशीलता के लिए चुनौतियां प्रस्तुत करते हैं।
See lessचतुर्भुज सुरक्षा संवाद' (क्वाड) के बारे में आप क्या जानते हैं? क्या मालाबार सैन्य अभ्यास विश्व राजनीति में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने में सफल होगा? (200 Words) [UPPSC 2020]
चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (QUAD) परिभाषा: चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (QUAD) एक अप्रत्याशित रणनीतिक मंच है जिसमें भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया, और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। इसकी स्थापना 2007 में की गई थी, और इसका उद्देश्य आशियान-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग और सामरिक सहयोग को बढ़ावा देना है। हाल कीRead more
चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (QUAD)
परिभाषा: चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (QUAD) एक अप्रत्याशित रणनीतिक मंच है जिसमें भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया, और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। इसकी स्थापना 2007 में की गई थी, और इसका उद्देश्य आशियान-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग और सामरिक सहयोग को बढ़ावा देना है।
हाल की गतिविधियाँ: QUAD ने हाल ही में 2021 में अपनी पहली वर्चुअल समिट आयोजित की, जिसमें मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा पर जोर दिया गया। सामरिक साझेदारी और मारिटाइम सुरक्षा पर इसके ध्यान ने वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में इसकी प्रासंगिकता को बढ़ाया है।
मालाबार सैन्य अभ्यास और चीन के प्रभाव पर इसका प्रभाव:
1. अभ्यास का उद्देश्य: मालाबार सैन्य अभ्यास एक त्रैतीयक समुद्री अभ्यास है जिसमें भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, और जापान शामिल हैं। ऑस्ट्रेलिया के जुड़ने से यह अभ्यास और भी प्रभावी हो गया है। इसका मुख्य उद्देश्य नौसैनिक सहयोग और संयुक्त कार्यकुशलता को बढ़ाना है।
2. चीन पर प्रभाव: मालाबार अभ्यास, चीन की बढ़ती ताकत और विवादित क्षेत्रीय दावों के खिलाफ एक सामूहिक रणनीतिक प्रतिक्रिया का हिस्सा है। हालांकि, यह अभ्यास चीन के वैश्विक प्रभाव को सीधे तौर पर रोकने में सफल नहीं हो सकता, परंतु यह सुरक्षा सहयोग और सैन्य दबाव के माध्यम से सामरिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
निष्कर्ष: QUAD और मालाबार अभ्यास चीन के बढ़ते प्रभाव का प्रतिरोध करने के लिए एक सामूहिक प्रयास हैं, परंतु उनके प्रभावी परिणाम दीर्घकालिक रणनीतिक संतुलन और गठबंधन की मजबूती पर निर्भर करेंगे।
See lessभारत-अमरीका "2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद" पर टिप्पणी कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2020]
भारत-अमरीका "2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद" पर टिप्पणी 1. "2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद" का परिचय: "2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद" एक द्विपक्षीय बातचीत है जिसमें भारत और अमरीका के रक्षा और विदेश मंत्रालयों के मंत्री शामिल होते हैं। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को मजबूती प्रदानRead more
भारत-अमरीका “2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद” पर टिप्पणी
1. “2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद” का परिचय:
“2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद” एक द्विपक्षीय बातचीत है जिसमें भारत और अमरीका के रक्षा और विदेश मंत्रालयों के मंत्री शामिल होते हैं। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को मजबूती प्रदान करना है।
2. महत्वपूर्ण निर्णय और प्रभाव:
3. हालिया उदाहरण:
निष्कर्ष:
See less“2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद” भारत और अमरीका के रक्षा और विदेश नीति में स्ट्रैटेजिक साझेदारी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और भूराजनीतिक स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
उर्जा सुरक्षा का प्रश्न भारत की आर्थिक प्रगति का सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाग है। पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत की उर्जा नीति सहयोग का विश्लेषण कीजिए। (125 Words) [UPPSC 2022]
उर्जा सुरक्षा और भारत की पश्चिम एशियाई देशों के साथ नीति सहयोग 1. पेट्रोलियम आयात: भारत की उर्जा सुरक्षा के लिए पश्चिम एशियाई देशों, विशेषकर सऊदी अरब और इराक से तेल आयात महत्वपूर्ण है। 2022 में, भारत ने सऊदी अरब से बढ़ती आयात मात्रा और सस्ते तेल की आपूर्ति सुनिश्चित की। 2. गैस सप्लाई: कतर के साथ भारRead more
उर्जा सुरक्षा और भारत की पश्चिम एशियाई देशों के साथ नीति सहयोग
1. पेट्रोलियम आयात:
2. गैस सप्लाई:
3. ऊर्जा निवेश:
4. भूराजनीतिक और सुरक्षा चिंताएँ:
हालिया उदाहरण:
निष्कर्ष
भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए पश्चिम एशियाई देशों के साथ सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसमें पेट्रोलियम आयात, गैस आपूर्ति, ऊर्जा निवेश और सुरक्षा चिंताओं का एक महत्वपूर्ण भूमिका है। यह सहयोग भारत की आर्थिक प्रगति और ऊर्जा स्थिरता के लिए आवश्यक है।
See less'क्वाड' में भारत की भागीदारी के औचित्य की विवेचना कीजिए। (125 Words) [UPPSC 2023]
क्वाड में भारत की भागीदारी का औचित्य 1. सामरिक और रणनीतिक हित: QUAD (क्वाड) का गठन भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच सामरिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। भारत की भागीदारी उत्तरी हिंद महासागर और एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। 2Read more
क्वाड में भारत की भागीदारी का औचित्य
1. सामरिक और रणनीतिक हित: QUAD (क्वाड) का गठन भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच सामरिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। भारत की भागीदारी उत्तरी हिंद महासागर और एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
2. अर्थशास्त्र और व्यापार: QUAD के माध्यम से भारत को सामरिक वाणिज्यिक सहयोग और आर्थिक निवेश के अवसर मिलते हैं, जो वाणिज्यिक मार्ग और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देते हैं।
3. वैश्विक चुनौतियाँ: QUAD सदस्य देशों के साथ मिलकर भारत जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा, और पैथोजन परिदृश्य जैसे वैश्विक चुनौतियों का प्रभावी समाधान निकाल सकता है।
4. ज्योग्राफिकल स्थिति: भारत की सामरिक स्थिति और आधुनिक सैन्य क्षमता QUAD में एक प्रमुख सहयोगी की भूमिका निभाने में सहायक है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत किया जा सके।
निष्कर्ष: QUAD में भारत की भागीदारी सामरिक, आर्थिक, और वैश्विक स्थिरता की दृष्टि से उचित है, जो भारत की सुरक्षा और विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक है।
See less'सार्क' की असफलता ने भारत को 'बिम्सटेक' (BIMSTEC) को सशक्त बनाने के लिए बाध्य किया। विवेचना कीजिए। (125 Words) [UPPSC 2023]
SAARC की असफलता और BIMSTEC की भूमिका 1. SAARC की असफलता: SAARC (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) की सदस्यता में भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक विवाद और सुरक्षा चिंताओं के कारण सहयोग और प्रगति में बाधाएं आईं। सदस्य देशों के आपसी विवाद और समन्वय की कमी ने SAARC की प्रभावशीलता को सीमित किया। 2.Read more
SAARC की असफलता और BIMSTEC की भूमिका
1. SAARC की असफलता: SAARC (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) की सदस्यता में भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक विवाद और सुरक्षा चिंताओं के कारण सहयोग और प्रगति में बाधाएं आईं। सदस्य देशों के आपसी विवाद और समन्वय की कमी ने SAARC की प्रभावशीलता को सीमित किया।
2. BIMSTEC का गठन: SAARC की असफलता के चलते, भारत ने BIMSTEC (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल) को सशक्त और प्रोमोट करने की दिशा में कदम बढ़ाए। BIMSTEC में बंगाल की खाड़ी के आसपास के देशों का आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय एकता को प्राथमिकता दी जाती है।
3. BIMSTEC की विशेषताएँ:
निष्कर्ष: SAARC की असफलता ने भारत को BIMSTEC को सशक्त बनाने के लिए प्रेरित किया, जो क्षेत्रीय सहयोग और विकास के लिए एक नई दिशा प्रदान करता है।
See lessसमूह-20 (G-20) में भारत की अध्यक्षता का क्या महत्व है? विवेचना कीजिए। (125 Words) [UPPSC 2023]
समूह-20 (G-20) में भारत की अध्यक्षता का महत्व वैश्विक नेतृत्व: भारत की G-20 अध्यक्षता वैश्विक मंच पर इसके नेतृत्व की पुष्टि करती है। यह भारत को वैश्विक आर्थिक नीति में प्रभावी भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करती है। आर्थिक वानिज्य: G-20 की अध्यक्षता के दौरान, भारत वैश्विक आर्थिक स्थिरता और विकास को प्Read more
समूह-20 (G-20) में भारत की अध्यक्षता का महत्व
वैश्विक नेतृत्व: भारत की G-20 अध्यक्षता वैश्विक मंच पर इसके नेतृत्व की पुष्टि करती है। यह भारत को वैश्विक आर्थिक नीति में प्रभावी भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करती है।
आर्थिक वानिज्य: G-20 की अध्यक्षता के दौरान, भारत वैश्विक आर्थिक स्थिरता और विकास को प्रोत्साहित करने के लिए रणनीतियाँ विकसित कर सकता है। 2023 में भारत की अध्यक्षता के तहत, भारत ने विकासशील देशों के लिए विशेष ध्यान केंद्रित किया, जैसे कि संस्थागत सुधार और वित्तीय समावेशन।
वैश्विक समस्याएँ: भारत जलवायु परिवर्तन, सामाजिक असमानता और स्वास्थ्य संकट जैसे मुद्दों पर वैश्विक चर्चा को मार्गदर्शित कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय संबंध: यह अध्यक्षता भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को सुदृढ़ करने और बहुपरकारीकृत वैश्विक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने में सहायक है।
निष्कर्ष: G-20 में भारत की अध्यक्षता वैश्विक नेतृत्व को साकार करने, आर्थिक नीति में प्रभावी भागीदारी, और वैश्विक समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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