भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों की व्याख्या कीजिये। उन्हें कैसे दूर किया जा सकता हैं? समझाइये। (200 Words) [UPPSC 2019]
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के प्रावधान परिचय: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 का उद्देश्य खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है, ताकि जनता को उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता हो सके। यह अधिनियम गरीबों को कानूनी अधिकार के तहत सब्सिडी वालेRead more
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के प्रावधान
परिचय: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 का उद्देश्य खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है, ताकि जनता को उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता हो सके। यह अधिनियम गरीबों को कानूनी अधिकार के तहत सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करता है, जो खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मुख्य प्रावधान:
- कवरेज और पात्रता: इस अधिनियम के तहत ग्रामीण क्षेत्र की 75% और शहरी क्षेत्र की 50% जनसंख्या को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत कवर किया गया है। लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम खाद्यान्न रियायती दरों पर प्राप्त करने का अधिकार है, जिसमें चावल के लिए ₹3, गेहूं के लिए ₹2, और मोटे अनाज के लिए ₹1 निर्धारित है।
- अंत्योदय अन्न योजना (AAY): अंत्योदय अन्न योजना के तहत पहचाने गए सबसे गरीब परिवारों को प्रति परिवार प्रति माह 35 किलोग्राम खाद्यान्न का अधिकार है।
- महिलाओं और बच्चों के लिए पोषण समर्थन: गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली माताएं, और बच्चे मुफ्त भोजन प्राप्त करने के हकदार हैं, जो एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) और मध्याह्न भोजन योजना के माध्यम से दिया जाता है।
- मातृत्व लाभ: अधिनियम के तहत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को ₹6,000 का मातृत्व लाभ प्रदान किया जाता है।
- शिकायत निवारण तंत्र: इस अधिनियम के तहत जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने का प्रावधान है।
खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ करने हेतु आवश्यक सुधार:
- TPDS की दक्षता में सुधार: TPDS में सुधार की आवश्यकता है ताकि लीकेज को कम किया जा सके और लक्षित लाभार्थियों को उनके अधिकारों की प्राप्ति सुनिश्चित हो सके। आधार आधारित प्रमाणीकरण और सम्पूर्ण कम्प्यूटरीकरण जैसे तकनीकी उपायों की शुरुआत हुई है, लेकिन इन्हें और सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।
- खाद्यान्न की विविधता: NFSA के तहत खाद्यान्न की टोकरी में दालें, बाजरा, और खाद्य तेल जैसे पोषण युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए, ताकि कुपोषण की समस्या का समाधान अधिक प्रभावी ढंग से हो सके।
- कृषि उत्पादकता में वृद्धि: दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कृषि अनुसंधान, सिंचाई, और सतत कृषि प्रथाओं में निवेश आवश्यक है। इसका हालिया उदाहरण 2023 के अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें सरकार द्वारा बाजरा को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- शिकायत निवारण तंत्र को सुदृढ़ करना: शिकायत निवारण तंत्र को और अधिक सुलभ और उत्तरदायी बनाया जाना चाहिए, ताकि लाभार्थियों द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं का शीघ्र समाधान हो सके।
निष्कर्ष: हालांकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 ने भारत में खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन कुपोषण जैसी चुनौतियों से निपटने और यह सुनिश्चित करने के लिए निरंतर सुधार और प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्यकता है कि लाभ समाज के सबसे कमजोर वर्गों तक पहुंचे।
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भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियाँ और उनके समाधान चुनौतियाँ: जनसंख्या वृद्धि: तेजी से बढ़ती जनसंख्या खाद्य मांग को बढ़ा रही है। 2030 तक भारत की जनसंख्या 1.5 अरब तक पहुंचने का अनुमान है, जो खाद्य सुरक्षा पर दबाव डालती है। जलवायु परिवर्तन: चरम मौसम घटनाएँ जैसे बाढ़ और सूखा फसल उत्पादन को प्रभावित करतRead more
भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियाँ और उनके समाधान
चुनौतियाँ:
समाधान:
निष्कर्ष: भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों को हल करने के लिए तकनीकी नवाचार, जलवायु अनुकूलन, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, और प्रभावी सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों की आवश्यकता है। इन उपायों को लागू करके खाद्य सुरक्षा को मजबूत किया जा सकता है और सभी नागरिकों को पर्याप्त और पोषक खाद्य पदार्थों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है।
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