सिविल सेवा के संदर्भ में निम्नलिखित की प्रासंगिकता की विवेचना एवं मूल्यांकन कीजियेः (200 Words) [UPPSC 2018]
लोक सेवकों द्वारा सामना की जाने वाली नैतिक दुविधाएँ 1. स्वार्थ और पेशेवर दायित्व: लोक सेवक अक्सर स्वार्थ और पेशेवर दायित्व के बीच संतुलन बनाते हैं। उदाहरण के लिए, एक सरकारी अधिकारी को अपने करीबी रिश्तेदार को ठेका दिलाने का दबाव हो सकता है, जिससे उसे व्यक्तिगत निष्ठा और पेशेवर ईमानदारी के बीच चुनाव कRead more
लोक सेवकों द्वारा सामना की जाने वाली नैतिक दुविधाएँ
1. स्वार्थ और पेशेवर दायित्व: लोक सेवक अक्सर स्वार्थ और पेशेवर दायित्व के बीच संतुलन बनाते हैं। उदाहरण के लिए, एक सरकारी अधिकारी को अपने करीबी रिश्तेदार को ठेका दिलाने का दबाव हो सकता है, जिससे उसे व्यक्तिगत निष्ठा और पेशेवर ईमानदारी के बीच चुनाव करना पड़ता है।
2. भ्रष्टाचार: भ्रष्टाचार की誘惑 एक प्रमुख नैतिक दुविधा है। लोक सेवक को रिश्वत या अन्य प्रलोभनों का सामना करना पड़ सकता है। अमृतसर में कोरोना के दौरान सरकारी राशन वितरण में भ्रष्टाचार का मामला इसका एक उदाहरण है, जहाँ अधिकारियों ने गलत तरीके से लाभ उठाया।
3. सूचना का खुलासा: अधिकारियों को विसलब्लोइंग (सूचना का खुलासा) करने के लिए दवाब महसूस हो सकता है, जो उनके करियर और सुरक्षा को जोखिम में डाल सकता है। सत्येंद्र दुबे का मामला एक ज्वलंत उदाहरण है, जिन्होंने सड़क निर्माण परियोजनाओं में भ्रष्टाचार को उजागर किया और उनकी हत्या कर दी गई।
4. सार्वजनिक हित और नीतिगत प्रतिबंध: लोक सेवक को सार्वजनिक हित और नीतिगत प्रतिबंधों के बीच संतुलन बनाना पड़ता है। कोविड-19 महामारी के दौरान, अधिकारियों ने लॉकडाउन के कड़े नियमों और आर्थिक प्रभावों के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश की।
अंतरात्मा की भूमिका
1. नैतिक दिशा: अंतरात्मा एक आंतरिक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती है, जो लोक सेवकों को नैतिक निर्णय लेने में मदद करती है। एक अधिकारी जो ईमानदारी और कर्तव्य की भावना से प्रेरित होता है, वह भ्रष्टाचार और स्वार्थ के दबाव को अस्वीकार कर सकता है।
2. नैतिक साहस: अंतरात्मा नैतिक साहस प्रदान करती है, जिससे लोक सेवक कठिन निर्णय ले सकते हैं और अनैतिक प्रथाओं के खिलाफ खड़े हो सकते हैं। फ्रांसिस हॉगन के फेसबुक का खुलासा इसका उदाहरण है, जहाँ उन्होंने सार्वजनिक भलाई के लिए व्यक्तिगत जोखिम उठाया।
3. जिम्मेदारी और पारदर्शिता: अंतरात्मा जिम्मेदारी और पारदर्शिता को सुदृढ़ करती है, जिससे लोक सेवक अपने कार्यों में नैतिक मानकों को बनाए रख सकते हैं। आईएएस अधिकारियों के लिए आचार संहिता की तरह, यह आंतरिक नैतिक कम्पास सरकारी नैतिकता की रक्षा में मदद करता है।
इस प्रकार, लोक सेवकों द्वारा सामना की जाने वाली नैतिक दुविधाएँ जटिल हो सकती हैं, लेकिन अंतरात्मा इस समस्या के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, नैतिकता, साहस, और जिम्मेदारी को बढ़ावा देती है।
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सिविल सेवा के संदर्भ में core values की प्रासंगिकता a. सत्यनिष्ठा परिभाषा: सत्यनिष्ठा का तात्पर्य है नैतिक और ईमानदार व्यवहार, जहां अधिकारी अपने कार्यों में सत्य और ईमानदारी बनाए रखते हैं। प्रासंगिकता: सत्यनिष्ठा सिविल सेवा में विश्वास और सार्वजनिक विश्वास को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। उदाहरण के लिRead more
सिविल सेवा के संदर्भ में core values की प्रासंगिकता
a. सत्यनिष्ठा
परिभाषा: सत्यनिष्ठा का तात्पर्य है नैतिक और ईमानदार व्यवहार, जहां अधिकारी अपने कार्यों में सत्य और ईमानदारी बनाए रखते हैं।
प्रासंगिकता: सत्यनिष्ठा सिविल सेवा में विश्वास और सार्वजनिक विश्वास को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। उदाहरण के लिए, आयकर विभाग के अधिकारी द्वारा किए गए भ्रष्टाचार विरोधी कदम जैसे कि फर्जी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई ने जनता के विश्वास को बढ़ाया और सुशासन को बढ़ावा दिया।
b. निष्पक्षता
परिभाषा: निष्पक्षता का मतलब है सभी व्यक्तियों और मामलों को समान रूप से देखना और निर्णय लेना, बिना किसी पूर्वाग्रह या व्यक्तिगत पसंद के।
प्रासंगिकता: निष्पक्षता न्याय और समानता सुनिश्चित करती है। उच्चतम न्यायालय की हालिया निर्णय, जैसे कि तीन तलाक मामले में निर्णय, ने निष्पक्षता के महत्व को दर्शाया है, जिससे कानून के समक्ष सभी व्यक्तियों को समान उपचार मिला।
c. वस्तुनिष्ठता
परिभाषा: वस्तुनिष्ठता का तात्पर्य है निर्णय लेना तथ्यों और प्रमाणों पर आधारित, व्यक्तिगत भावनाओं या विचारों से मुक्त।
प्रासंगिकता: वस्तुनिष्ठता प्रभावी नीति-निर्माण और प्रशासन के लिए महत्वपूर्ण है। COVID-19 महामारी के दौरान सरकार की रणनीतियाँ तथ्यों और वैज्ञानिक डेटा पर आधारित थीं, जिससे महामारी के प्रबंधन में प्रभावशीलता आई।
d. गैर-तरफदारी
परिभाषा: गैर-तरफदारी का मतलब है किसी भी राजनीतिक दल या समूह के प्रति पक्षपाती न होना और सभी नागरिकों के प्रति समान व्यवहार करना।
प्रासंगिकता: गैर-तरफदारी लोकतंत्र और पारदर्शिता को बनाए रखने में सहायक होती है। भारत के चुनाव आयोग की निष्पक्षता और तटस्थता ने चुनावों को पारदर्शी और विश्वसनीय बनाया, जिससे लोकतंत्र की संस्थाओं पर विश्वास कायम रहा।
मूल्यांकन
सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता, वस्तुनिष्ठता, और गैर-तरफदारी इन मूल्यों के द्वारा सिविल सेवा को न केवल प्रभावी और न्यायपूर्ण बनाया जाता है, बल्कि यह सार्वजनिक विश्वास और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को भी मजबूत करता है। ये मूल्य सिविल सेवकों को उचित और ईमानदार तरीके से अपने कर्तव्यों का पालन करने में सक्षम बनाते हैं।
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