भारत में “एक राष्ट्र एक चुनाव” की अवधारणा की अपनी संभावनाएं एवं सीमाएं है, परीक्षण कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2022]
निर्धनता और भूख का चुनावी राजनीति पर प्रभाव चुनावी वादे: निर्धनता और भूख प्रमुख चुनावी मुद्दे बनते हैं। राजनीतिक पार्टियाँ वोट बटोरने के लिए सबसिडी, वेलफेयर स्कीम्स, और भ्रष्टाचार विरोधी वादे करती हैं, जैसे राशन कार्ड, नौकरियों और आर्थिक सहायता के प्रलोभन। मतदाता आकर्षण: गरीब और भूखे वर्ग को लक्षितRead more
निर्धनता और भूख का चुनावी राजनीति पर प्रभाव
चुनावी वादे: निर्धनता और भूख प्रमुख चुनावी मुद्दे बनते हैं। राजनीतिक पार्टियाँ वोट बटोरने के लिए सबसिडी, वेलफेयर स्कीम्स, और भ्रष्टाचार विरोधी वादे करती हैं, जैसे राशन कार्ड, नौकरियों और आर्थिक सहायता के प्रलोभन।
मतदाता आकर्षण: गरीब और भूखे वर्ग को लक्षित कर मतदाता आधार को बढ़ाने की कोशिश की जाती है। चुनावों के समय आकर्षक पैकेज और सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार के वादे होते हैं।
वोट बैंक राजनीति: इन मुद्दों का राजनीतिक दुरुपयोग होता है। पार्टियाँ अक्सर अल्पकालिक समाधान प्रदान करती हैं, जिससे दीर्घकालिक नीति पर ध्यान कम होता है।
निष्कर्ष: निर्धनता और भूख चुनावी राजनीति को वोट बैंक राजनीति, पॉपुलिस्ट वादे और अल्पकालिक उपायों के माध्यम से प्रभावित करते हैं।
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भारत में "एक राष्ट्र एक चुनाव" की अवधारणा की संभावनाएँ और सीमाएँ संभावनाएँ: वित्तीय लाभ: एक साथ चुनाव कराने से सरकार और जनता दोनों पर वित्तीय बोझ कम होगा। उदाहरण के लिए, 2024 लोकसभा चुनाव के लिए अनुमानित लागत ₹50,000 करोड़ के आस-पास है, जबकि एक साथ चुनाव से इन खर्चों में कमी आ सकती है। प्रशासनिक सुवRead more
भारत में “एक राष्ट्र एक चुनाव” की अवधारणा की संभावनाएँ और सीमाएँ
संभावनाएँ:
सीमाएँ:
निष्कर्ष: “एक राष्ट्र एक चुनाव” की अवधारणा वित्तीय और प्रशासनिक दृष्टिकोण से लाभकारी हो सकती है, लेकिन संविधानिक, कानूनी, और लॉजिस्टिक चुनौतियाँ इसे लागू करने में बाधा डालती हैं। सही ढंग से कार्यान्वित करने के लिए व्यापक विचार-विमर्श और योजना की आवश्यकता होगी।
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