भारत के आमचुनाव में मतदाता निरीक्षण पेपर ऑडिट ट्रायल (VVPAT) के प्रयोग का मूल्यांकन कीजिये।(125 Words) [UPPSC 2018]
भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की भूमिका **1. मानवाधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), 1993 में स्थापित, मानवाधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन के लिए जिम्मेदार है। यह शिकायतों और आरोपों की जांच करता है, जैसे पुलिस अत्याचार और कैदियों की मौत। **2. सलाहकारी भूमिका NHRC सरकRead more
भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की भूमिका
**1. मानवाधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), 1993 में स्थापित, मानवाधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन के लिए जिम्मेदार है। यह शिकायतों और आरोपों की जांच करता है, जैसे पुलिस अत्याचार और कैदियों की मौत।
**2. सलाहकारी भूमिका
NHRC सरकार को नीति बदलाव और कानूनी सुधारों पर सिफारिशें प्रदान करता है। हाल ही में, इसने सजायाफ्ता कैदियों की स्थिति में सुधार के लिए सिफारिश की है।
**3. जन जागरूकता और शिक्षा
NHRC जन जागरूकता बढ़ाने और शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रचार अभियान, सेमिनार और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है। बाल श्रम और मानव तस्करी के खिलाफ अभियान इसका उदाहरण हैं।
**4. निगरानी और जवाबदेही
NHRC मानवाधिकार मानदंडों की निगरानी करता है और राज्य एजेंसियों की जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
सारांश में, NHRC मानवाधिकार सुरक्षा, सलाहकारी भूमिका, जन जागरूकता, और निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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मतदाता निरीक्षण पेपर ऑडिट ट्रायल (VVPAT) का मूल्यांकन 1. पारदर्शिता और विश्वास: VVPAT प्रणाली ने मतदान की पारदर्शिता और विश्वास को बढ़ाया है। यह सुनिश्चित करती है कि मतदाता की पर्ची का रिकॉर्ड डिजिटल वोटिंग के साथ मेल खाता है। हाल के लोकसभा चुनाव (2019) में, VVPAT ने चुनाव परिणामों की सटीकता को सुनिRead more
मतदाता निरीक्षण पेपर ऑडिट ट्रायल (VVPAT) का मूल्यांकन
1. पारदर्शिता और विश्वास: VVPAT प्रणाली ने मतदान की पारदर्शिता और विश्वास को बढ़ाया है। यह सुनिश्चित करती है कि मतदाता की पर्ची का रिकॉर्ड डिजिटल वोटिंग के साथ मेल खाता है। हाल के लोकसभा चुनाव (2019) में, VVPAT ने चुनाव परिणामों की सटीकता को सुनिश्चित किया।
2. विवाद समाधान: VVPAT की उपस्थिति ने विवादित मतपत्रों के मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कर्नाटक विधानसभा चुनाव (2018) में, VVPAT ने मतपत्रों की सटीकता की पुष्टि करने में मदद की, जिससे मतदाता के संदेहों का समाधान हुआ।
3. तकनीकी और प्रशासनिक चुनौती: VVPAT प्रणाली को लागू करने में तकनीकी और प्रशासनिक चुनौतियाँ सामने आई हैं, जैसे कि मशीनों में तकनीकी खराबियाँ और पुन: गणना में समय की देरी। इन समस्याओं का समाधान करना आवश्यक है ताकि प्रणाली की प्रभावशीलता और विश्वसनीयता बनी रहे।
VVPAT का उपयोग भारतीय चुनावों में लोकतंत्र के प्रति विश्वास और सटीकता को बढ़ाने में सहायक रहा है, लेकिन इसके साथ जुड़ी समस्याओं का समाधान भी आवश्यक है।
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