भारत में पंचायती राज व्यवस्था की सफलताओं को सीमित करने वाली समस्याओं का विश्लेषण करें। इस समस्याओं का सामना करने में 73वाँ संवैधानिक संशोधन कितना सफल रहा है? (200 Words) [UPPSC 2021]
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019 के मुख्य प्रावधान **1. पात्रता मानदंड: CAA, 2019 के तहत, हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी, जिन्होंने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत में प्रवेश किया है। **2. धार्मिक बहिष्कार: यह अधRead more
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019 के मुख्य प्रावधान
**1. पात्रता मानदंड: CAA, 2019 के तहत, हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी, जिन्होंने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत में प्रवेश किया है।
**2. धार्मिक बहिष्कार: यह अधिनियम मुसलमानों को इस प्रावधान से बाहर करता है, जिससे इसके भेदभावपूर्ण होने पर विवाद उत्पन्न हुआ है।
**3. निवास अवधि में कमी: इस अधिनियम के तहत, भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए निवास अवधि को 11 वर्षों से घटाकर 5 वर्ष कर दिया गया है।
**4. हालिया घटनाक्रम: CAA के विरोध में व्यापक प्रदर्शन और कानूनी चुनौतियाँ आई हैं, जिनमें संविधानिक धर्मनिरपेक्षता की आलोचना की गई है।
निष्कर्ष: CAA का उद्देश्य कुछ धार्मिक शरणार्थियों को तेजी से नागरिकता प्रदान करना है, लेकिन इसकी विवादास्पद प्रकृति ने इसे व्यापक चर्चा और विरोध का सामना कराया है।
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भारत में पंचायती राज व्यवस्था की सफलताओं को सीमित करने वाली समस्याएँ और 73वाँ संवैधानिक संशोधन 1. वित्तीय समस्याएँ (Financial Constraints): सीमित संसाधन: पंचायतों के पास अक्सर पर्याप्त फंड और वित्तीय स्वायत्तता की कमी होती है। राज्य सरकारों पर निर्भरता के कारण धन की आपूर्ति नियमित और पर्याप्त नहीं हRead more
भारत में पंचायती राज व्यवस्था की सफलताओं को सीमित करने वाली समस्याएँ और 73वाँ संवैधानिक संशोधन
1. वित्तीय समस्याएँ (Financial Constraints):
2. प्रशासनिक अक्षमताएँ (Administrative Inefficiencies):
3. राजनीतिक हस्तक्षेप (Political Interference):
4. क्षमता निर्माण की कमी (Lack of Capacity Building):
73वाँ संवैधानिक संशोधन (1992) का प्रभाव:
1. स्थानीय निकायों का सशक्तिकरण (Empowerment of Local Bodies):
2. वित्तीय व्यावसायिकता (Financial Devolution):
3. आरक्षण और समावेशिता (Reservations and Inclusivity):
निष्कर्ष: 73वाँ संवैधानिक संशोधन पंचायती राज व्यवस्था को सशक्त बनाने में सफल रहा है, लेकिन वित्तीय समस्याएँ, प्रशासनिक अक्षमताएँ, राजनीतिक हस्तक्षेप, और क्षमता निर्माण की कमी जैसे मुद्दे इसकी पूरी सफलता को सीमित करते हैं। इन समस्याओं का समाधान आवश्यक है ताकि पंचायती राज व्यवस्था का पूर्ण लाभ उठाया जा सके।
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