भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों के प्रभाव और भूमिका का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2021]
भारत का कश्मीर मामले में मध्स्थता का विरोध **1. सार्वभौम अधिकार और द्विपक्षीयता: भारत का कहना है कि कश्मीर उसका अभिन्न अंग है और इसलिए इसका समाधान केवल पाकिस्तान के साथ सीधी बातचीत के माध्यम से होना चाहिए, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्स्थता के जरिए। भारत मध्स्थता को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है।Read more
भारत का कश्मीर मामले में मध्स्थता का विरोध
**1. सार्वभौम अधिकार और द्विपक्षीयता: भारत का कहना है कि कश्मीर उसका अभिन्न अंग है और इसलिए इसका समाधान केवल पाकिस्तान के साथ सीधी बातचीत के माध्यम से होना चाहिए, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्स्थता के जरिए। भारत मध्स्थता को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है।
**2. ऐतिहासिक दृष्टिकोण: भारत ने हमेशा बाहरी मध्स्थता को अस्वीकार किया है, और हालिया घटनाओं जैसे पुलवामा हमले के बाद के तनाव के दौरान भी इस रुख को जारी रखा। भारत का मानना है कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है।
**3. अंतरराष्ट्रीय ढांचा: भारत का मानना है कि मध्स्थता वर्तमान अंतरराष्ट्रीय ढांचे को कमजोर कर सकती है, जो यूएन प्रस्तावों पर आधारित है। यह ढांचा द्विपक्षीय वार्ता को प्राथमिकता देता है और भारत इसे बनाए रखना चाहता है।
इस प्रकार, भारत का विरोध कश्मीर मुद्दे को सीधे नियंत्रण में रखने और अपने विदेश नीति के दृष्टिकोण को बनाए रखने की रणनीति को दर्शाता है।
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भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों का प्रभाव और भूमिका 1. चुनावी भागीदारी: राजनीतिक दल चुनावों का आयोजन और मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। उदाहरण स्वरूप, भाजपा और कांग्रेस देश की प्रमुख चुनावी ताकतें हैं, जो राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर राजनीतिक दिशा निर्धारित करती हैं। 2. नीति निर्माRead more
भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों का प्रभाव और भूमिका
1. चुनावी भागीदारी: राजनीतिक दल चुनावों का आयोजन और मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। उदाहरण स्वरूप, भाजपा और कांग्रेस देश की प्रमुख चुनावी ताकतें हैं, जो राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर राजनीतिक दिशा निर्धारित करती हैं।
2. नीति निर्माण: दल नीतियों का निर्माण और प्रचार करते हैं। भाजपा का “मेक इन इंडिया” अभियान इसका उदाहरण है, जो उद्योग और रोजगार को बढ़ावा देने की दिशा में है।
3. प्रतिनिधित्व और जवाबदेही: राजनीतिक दल विभिन्न सामाजिक और आर्थिक हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हालांकि, वंशवाद और आंतरिक गुटबंदी, जैसे कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर कर सकते हैं।
4. चुनौतियाँ और आलोचना: राजनीतिक दलों पर भ्रष्टाचार, मतदाता बैंक की राजनीति, और अधूरे वादों की आलोचना होती है। आप (AAP) की सफलता ने पारंपरिक दलों के प्रति असंतोष को उजागर किया, और पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को स्पष्ट किया।
निष्कर्ष: भारतीय लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की महत्वपूर्ण भूमिका है, लेकिन उनकी प्रभावशीलता उनके नैतिक और लोकतांत्रिक प्रतिबद्धता पर निर्भर करती है।
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