कश्मीर मामले में भारत मध्स्थता का विरोध क्यों करता है?(125 Words) [UPPSC 2018]
निर्वाचन का आधार: भारत का राष्ट्रपति एक विशेष निर्वाचन पद्धति के माध्यम से चुना जाता है, जिसे "इलेक्ट्रोरल कॉलेज" द्वारा चुना जाता है। इस कॉलेज में सांसद और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। निर्वाचन की प्रक्रिया: उम्मीदवारी और नामांकन: राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को कम से कम 50Read more
निर्वाचन का आधार: भारत का राष्ट्रपति एक विशेष निर्वाचन पद्धति के माध्यम से चुना जाता है, जिसे “इलेक्ट्रोरल कॉलेज” द्वारा चुना जाता है। इस कॉलेज में सांसद और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
निर्वाचन की प्रक्रिया:
- उम्मीदवारी और नामांकन: राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को कम से कम 50 सांसदों या विधायकों द्वारा प्रस्तावित और 50 अन्य सदस्यों द्वारा समर्थन प्राप्त होना आवश्यक है। उदाहरण के लिए, 2022 के राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को एनडीए ने नामित किया था।
- मतदान प्रणाली: राष्ट्रपति का चुनाव गुप्त मत और एकल स्थानांतरित वोट प्रणाली के माध्यम से होता है। प्रत्येक सदस्य अपने मतपत्र पर प्राथमिकता अंकित करता है, और वोटों की गिनती प्राथमिकता के अनुसार की जाती है। उदाहरण के लिए, 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद को बहुमत प्राप्त हुआ।
- वोटों का वजन: वोटों का वजन राज्यों की जनसंख्या और निर्वाचित सदस्यों की संख्या के आधार पर निर्धारित होता है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के पास अधिक वोटों का वजन होता है क्योंकि उसकी जनसंख्या अधिक है।
निष्कर्ष: राष्ट्रपति का चुनाव एक जटिल लेकिन सुव्यवस्थित प्रक्रिया के माध्यम से होता है, जो भारतीय संघ की विविधता और संघीय संरचना को ध्यान में रखता है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया व्यक्ति लोकतांत्रिक तरीके से चुना गया हो और विभिन्न राज्यों की प्रतिनिधित्व का सही संतुलन हो।
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भारत का कश्मीर मामले में मध्स्थता का विरोध **1. सार्वभौम अधिकार और द्विपक्षीयता: भारत का कहना है कि कश्मीर उसका अभिन्न अंग है और इसलिए इसका समाधान केवल पाकिस्तान के साथ सीधी बातचीत के माध्यम से होना चाहिए, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्स्थता के जरिए। भारत मध्स्थता को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है।Read more
भारत का कश्मीर मामले में मध्स्थता का विरोध
**1. सार्वभौम अधिकार और द्विपक्षीयता: भारत का कहना है कि कश्मीर उसका अभिन्न अंग है और इसलिए इसका समाधान केवल पाकिस्तान के साथ सीधी बातचीत के माध्यम से होना चाहिए, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्स्थता के जरिए। भारत मध्स्थता को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है।
**2. ऐतिहासिक दृष्टिकोण: भारत ने हमेशा बाहरी मध्स्थता को अस्वीकार किया है, और हालिया घटनाओं जैसे पुलवामा हमले के बाद के तनाव के दौरान भी इस रुख को जारी रखा। भारत का मानना है कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है।
**3. अंतरराष्ट्रीय ढांचा: भारत का मानना है कि मध्स्थता वर्तमान अंतरराष्ट्रीय ढांचे को कमजोर कर सकती है, जो यूएन प्रस्तावों पर आधारित है। यह ढांचा द्विपक्षीय वार्ता को प्राथमिकता देता है और भारत इसे बनाए रखना चाहता है।
इस प्रकार, भारत का विरोध कश्मीर मुद्दे को सीधे नियंत्रण में रखने और अपने विदेश नीति के दृष्टिकोण को बनाए रखने की रणनीति को दर्शाता है।
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