लिंग संबंधी नकारात्मक अभिवृत्ति के मूल कारणों की विवेचना कीजिये। यह इतनी दृढ़ क्यों है? (200 Words) [UPPSC 2021]
अभिवृत्ति के प्रकार्यों की विवेचना 1. संज्ञानात्मक कार्य (Cognitive Function): अभिवृत्तियाँ जानकारी को संगठित और विश्लेषित करने में मदद करती हैं। ये लोगों को विश्व की समझ और व्याख्या प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए, पर्यावरणीय अभिवृत्तियाँ जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर लोगों की धारणाओं को प्रभावितRead more
अभिवृत्ति के प्रकार्यों की विवेचना
1. संज्ञानात्मक कार्य (Cognitive Function): अभिवृत्तियाँ जानकारी को संगठित और विश्लेषित करने में मदद करती हैं। ये लोगों को विश्व की समझ और व्याख्या प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए, पर्यावरणीय अभिवृत्तियाँ जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर लोगों की धारणाओं को प्रभावित करती हैं।
2. भावनात्मक कार्य (Affective Function): अभिवृत्तियाँ भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करती हैं। स्वास्थ्य के प्रति सकारात्मक अभिवृत्तियाँ लोगों की मानसिक स्थिति और संतोष को बेहतर बनाती हैं। उदाहरण के लिए, मानसिक स्वास्थ्य पहल सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देती हैं, जो तनाव प्रबंधन में सहायक होती हैं।
3. व्यवहारात्मक कार्य (Behavioral Function): अभिवृत्तियाँ व्यवहार और निर्णय लेने को मार्गदर्शित करती हैं। यह विभिन्न स्थितियों में लोगों के कार्यों को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए, सोशल मीडिया ट्रेंड्स यह दर्शाते हैं कि अभिवृत्तियाँ उपभोक्ता व्यवहार को कैसे प्रभावित करती हैं।
4. समायोजनात्मक कार्य (Adjustment Function): अभिवृत्तियाँ वातावरण के साथ समायोजित करने और लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती हैं। उदाहरण के लिए, कार्यस्थल विविधता कार्यक्रम समावेशिता के प्रति सकारात्मक अभिवृत्तियाँ उत्पन्न करके टीमवर्क और उत्पादकता में सुधार करती हैं।
अभिवृत्तियाँ संज्ञान, भावनाओं, व्यवहार और समायोजन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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लिंग संबंधी नकारात्मक अभिवृत्ति के मूल कारण 1. सांस्कृतिक और पारंपरिक धारणाएँ: पारंपरिक सांस्कृतिक मान्यताएँ और पुरानी परंपराएँ लिंग भेदभाव को बढ़ावा देती हैं। उदाहरण: कई समाजों में पुरुषों को उच्च दर्जा और महिलाओं को घरेलू भूमिकाओं तक सीमित माना जाता है, जिससे लिंग असमानता बढ़ती है। 2. शिक्षा और जाRead more
लिंग संबंधी नकारात्मक अभिवृत्ति के मूल कारण
1. सांस्कृतिक और पारंपरिक धारणाएँ: पारंपरिक सांस्कृतिक मान्यताएँ और पुरानी परंपराएँ लिंग भेदभाव को बढ़ावा देती हैं। उदाहरण: कई समाजों में पुरुषों को उच्च दर्जा और महिलाओं को घरेलू भूमिकाओं तक सीमित माना जाता है, जिससे लिंग असमानता बढ़ती है।
2. शिक्षा और जागरूकता की कमी: शिक्षा की कमी और लिंग संवेदनशीलता के बारे में जागरूकता का अभाव लिंग भेदभाव को बढ़ावा देता है। उदाहरण: ग्रामीण इलाकों में लड़कियों की शिक्षा पर कम ध्यान और लड़कों को प्राथमिकता देना।
3. कानूनी और संस्थागत असमानताएँ: कानूनों और नीतियों की कमी या उनका प्रभावी कार्यान्वयन न होने के कारण लिंग भेदभाव में कमी नहीं आती। उदाहरण: महिला श्रम अधिकारों के प्रभावी कार्यान्वयन की कमी।
4. सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ: महिलाओं और पुरुषों के बीच आर्थिक और सामाजिक असमानताएँ लिंग भेदभाव को बढ़ावा देती हैं। उदाहरण: कार्यस्थलों पर वेतन असमानता और उच्च पदों पर महिलाओं की कमी।
5. मीडिया और मनोरंजन का प्रभाव: मीडिया और मनोरंजन में लिंग भेदभाव वाले स्टीरियोटाइप को बढ़ावा दिया जाता है। उदाहरण: विज्ञापनों और फिल्में जो पारंपरिक लिंग भूमिकाओं को सुदृढ़ करती हैं।
क्यों इतनी दृढ़ है?
लिंग संबंधी नकारात्मक अभिवृत्ति सांस्कृतिक परंपराओं, शिक्षा की कमी, कानूनी संरचनाओं की कमी, सामाजिक असमानताओं और मीडिया के प्रभाव के कारण दृढ़ है। इन तत्वों के सम्मिलित प्रभाव से लिंग भेदभाव का उन्मूलन कठिन हो जाता है।
निष्कर्ष: लिंग संबंधी नकारात्मक अभिवृत्तियों को दूर करने के लिए सांस्कृतिक बदलाव, शिक्षा में सुधार, कानूनी सुधार और सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता है।
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