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शान्ति स्वरूप भटनागर पुरस्कार का उद्देश्य क्या है?
शान्ति स्वरूप भटनागर पुरस्कार का उद्देश्य शान्ति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, जिसे CSIR (काउंसिल ऑफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च) द्वारा 1958 में स्थापित किया गया था, भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देने के लिए एक प्रमुख पुरस्कार है। यह पुरस्कार भारतीय वैज्Read more
शान्ति स्वरूप भटनागर पुरस्कार का उद्देश्य
शान्ति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, जिसे CSIR (काउंसिल ऑफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च) द्वारा 1958 में स्थापित किया गया था, भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देने के लिए एक प्रमुख पुरस्कार है। यह पुरस्कार भारतीय वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को उनकी उत्कृष्ट वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिए सम्मानित करता है। यहाँ शान्ति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के उद्देश्यों की विस्तृत जानकारी दी गई है, हाल के उदाहरणों के साथ:
1. उत्कृष्ट वैज्ञानिक उपलब्धियों की मान्यता
2. वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहित और बढ़ावा देना
3. वैज्ञानिक करियर का समर्थन और उन्नति
4. राष्ट्रीय वैज्ञानिक क्षमताओं को बढ़ाना
5. सहयोग और ज्ञान साझा करने को प्रोत्साहित करना
6. वैज्ञानिक संस्कृति को बढ़ावा देना
निष्कर्ष
शान्ति स्वरूप भटनागर पुरस्कार का उद्देश्य उत्कृष्ट वैज्ञानिक उपलब्धियों की मान्यता देना, अनुसंधान को प्रोत्साहित करना, वैज्ञानिक करियर का समर्थन करना, राष्ट्रीय वैज्ञानिक क्षमताओं को बढ़ाना, सहयोग और ज्ञान साझा करने को प्रोत्साहित करना, और वैज्ञानिक संस्कृति को बढ़ावा देना है। यह पुरस्कार भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए एक सम्मानित मानक स्थापित करता है।
See lessआधुनिक आवर्त्त नियम क्या है?
आधुनिक आवर्त्त नियम परिचय आधुनिक आवर्त्त नियम रसायनशास्त्र में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो तत्वों के गुणधर्मों के व्यवस्थित अध्ययन को समझने में सहायता करता है। यह नियम तत्वों को उनके परमाणु क्रमांक के आधार पर आवर्त सारणी में व्यवस्थित करता है और उनके गुणधर्मों में आवर्तकता को स्पष्ट करता है। परिभाषRead more
आधुनिक आवर्त्त नियम
परिचय
आधुनिक आवर्त्त नियम रसायनशास्त्र में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो तत्वों के गुणधर्मों के व्यवस्थित अध्ययन को समझने में सहायता करता है। यह नियम तत्वों को उनके परमाणु क्रमांक के आधार पर आवर्त सारणी में व्यवस्थित करता है और उनके गुणधर्मों में आवर्तकता को स्पष्ट करता है।
परिभाषा
आधुनिक आवर्त्त नियम कहता है:
इसका तात्पर्य है कि जब तत्वों को उनके परमाणु क्रमांक के अनुसार क्रमबद्ध किया जाता है, तो उनके रासायनिक और भौतिक गुणधर्म आवर्तक पैटर्न प्रदर्शित करते हैं।
मुख्य अवधारणाएँ
हालिया उदाहरण
निष्कर्ष
आधुनिक आवर्त्त नियम, जो परमाणु क्रमांक पर आधारित है, तत्वों के गुणधर्मों की प्रणालीबद्ध समझ प्रदान करता है और आवर्त सारणी के संगठन को समझाने में मदद करता है। हालिया अनुसंधान और खोजें इस नियम की प्रासंगिकता को पुष्टि करती हैं और इसके वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीय अनुप्रयोगों को उजागर करती हैं। UPSC Mains aspirants के लिए, इस नियम की गहरी समझ रसायनशास्त्र की बुनियादी अवधारणाओं और उनके व्यावहारिक अनुप्रयोगों के ज्ञान में सहायक होती है।
See lessनिम्नांकित ब्रॉन्सटेड क्षारों के संयुग्मी अम्लों को लिखिए : NH2, NH3 and HCOO
ब्रॉन्सटेड क्षारों के संयुग्मी अम्ल परिचय ब्रॉन्सटेड-लोरी सिद्धांत के अनुसार, एक ब्रॉन्सटेड क्षार वह पदार्थ है जो एक प्रोटॉन (H⁺) को स्वीकार करता है। जब ब्रॉन्सटेड क्षार एक प्रोटॉन स्वीकार करता है, तो यह एक संयुग्मी अम्ल बनता है। निम्नलिखित ब्रॉन्सटेड क्षारों के संयुग्मी अम्लों को समझने के लिए, हमेंRead more
ब्रॉन्सटेड क्षारों के संयुग्मी अम्ल
परिचय
ब्रॉन्सटेड-लोरी सिद्धांत के अनुसार, एक ब्रॉन्सटेड क्षार वह पदार्थ है जो एक प्रोटॉन (H⁺) को स्वीकार करता है। जब ब्रॉन्सटेड क्षार एक प्रोटॉन स्वीकार करता है, तो यह एक संयुग्मी अम्ल बनता है। निम्नलिखित ब्रॉन्सटेड क्षारों के संयुग्मी अम्लों को समझने के लिए, हमें हर एक क्षार में प्रोटॉन जोड़ना होगा।
1. NH₂⁻ (अमाइड आयन)
NH2−+H+→NH3
2. NH₃ (अमोनिया)
NH3+H+→NH4+
3. HCOO⁻ (फार्मेट आयन)
HCOO−+H+→HCOOH
निष्कर्ष
निम्नलिखित ब्रॉन्सटेड क्षारों के संयुग्मी अम्ल हैं:
इन संयुग्मी अम्लों की पहचान और उनके उपयोग विभिन्न रसायनिक प्रक्रियाओं और औद्योगिक अनुप्रयोगों में महत्वपूर्ण होती है। UPSC Mains aspirants के लिए, इन संयुग्मी अम्लों की समझ ब्रॉन्सटेड-लोरी सिद्धांत और रसायन विज्ञान की बुनियादी अवधारणाओं में सहायक होती है।
See lessपरमाण्विक हाइड्रोजन के लिए वर्णक्रमी रेखाओं की श्रेणी के नाम लिखिए।
परमाण्विक हाइड्रोजन के लिए वर्णक्रमी रेखाओं की श्रेणी के नाम परिचय परमाण्विक हाइड्रोजन के वर्णक्रम में विभिन्न रेखाएँ शामिल होती हैं जो इलेक्ट्रॉनों के ऊर्जा स्तरों के बीच संक्रमण के आधार पर होती हैं। ये वर्णक्रमीय रेखाएँ विभिन्न क्षेत्रों में विद्यमान होती हैं और इनका उपयोग भौतिकी और खगोलशास्त्र मेRead more
परमाण्विक हाइड्रोजन के लिए वर्णक्रमी रेखाओं की श्रेणी के नाम
परिचय
परमाण्विक हाइड्रोजन के वर्णक्रम में विभिन्न रेखाएँ शामिल होती हैं जो इलेक्ट्रॉनों के ऊर्जा स्तरों के बीच संक्रमण के आधार पर होती हैं। ये वर्णक्रमीय रेखाएँ विभिन्न क्षेत्रों में विद्यमान होती हैं और इनका उपयोग भौतिकी और खगोलशास्त्र में किया जाता है। इस उत्तर में, हम हाइड्रोजन के प्रमुख वर्णक्रमीय श्रृंखलाओं की चर्चा करेंगे।
1. बल्मर श्रृंखला (Balmer Series)
2. लायमन श्रृंखला (Lyman Series)
3. पास्चन श्रृंखला (Paschen Series)
4. ब्रैकेट श्रृंखला (Brackett Series)
5. पफंड श्रृंखला (Pfund Series)
6. हम्फ्रीस श्रृंखला (Humphreys Series)
निष्कर्ष
परमाण्विक हाइड्रोजन के लिए प्रमुख वर्णक्रमीय रेखाओं की श्रृंखलाएँ बल्मर, लायमन, पास्चन, ब्रैकेट, पफंड, और हम्फ्रीस श्रृंखलाएँ हैं। ये श्रृंखलाएँ विभिन्न वर्णक्रमीय क्षेत्रों में आती हैं और उनके अनुप्रयोग खगोलशास्त्र, भौतिकी, और तकनीकी अनुसंधान में महत्वपूर्ण हैं। UPSC Mains aspirants के लिए, इन श्रृंखलाओं की जानकारी वैज्ञानिक घटनाओं और अनुसंधान के समझने में सहायक होती है।
See lessप्रकाशीय तन्तु (ऑप्टीकल फाइबर) में किस परिघटना का उपयोग किया जाता है?
प्रकाशीय तन्तु (ऑप्टीकल फाइबर) में किस परिघटना का उपयोग किया जाता है? परिचय प्रकाशीय तन्तु, जिन्हें ऑप्टीकल फाइबर भी कहा जाता है, आधुनिक संचार और नेटवर्किंग के क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। ये तन्तु डेटा को उच्च गति और कम हानि के साथ लंबी दूरी तक भेजने में सक्षम होते हैं। इनकी कार्यप्रणाली एकRead more
प्रकाशीय तन्तु (ऑप्टीकल फाइबर) में किस परिघटना का उपयोग किया जाता है?
परिचय
प्रकाशीय तन्तु, जिन्हें ऑप्टीकल फाइबर भी कहा जाता है, आधुनिक संचार और नेटवर्किंग के क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। ये तन्तु डेटा को उच्च गति और कम हानि के साथ लंबी दूरी तक भेजने में सक्षम होते हैं। इनकी कार्यप्रणाली एक विशिष्ट भौतिक परिघटना पर आधारित है। इस उत्तर में, हम इस परिघटना को समझेंगे और इसके आधुनिक अनुप्रयोगों पर चर्चा करेंगे।
1. कुल आंतरिक परावर्तन (Total Internal Reflection)
2. ऑप्टिकल फाइबर की संरचना
3. ऑप्टिकल फाइबर के अनुप्रयोग
4. ऑप्टिकल फाइबर के लाभ
निष्कर्ष
प्रकाशीय तन्तुओं में कुल आंतरिक परावर्तन (Total Internal Reflection) का उपयोग किया जाता है, जो इन तन्तुओं को लंबे दूरी तक डेटा ट्रांसमिट करने में सक्षम बनाता है। यह परिघटना ऑप्टिकल फाइबर की डिजाइन और इसके अनुप्रयोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। UPSC Mains aspirants के लिए, इस परिघटना की गहरी समझ आधुनिक संचार और डेटा प्रौद्योगिकी में उसके महत्व को स्पष्ट करती है।
See lessमानव कान के लिए श्रव्य आवृत्ति परास क्या है? क्या यह पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए भी समान है।
मानव कान के लिए श्रव्य आवृत्ति परास और पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए इसका भेद परिचय मानव कान के लिए श्रव्य आवृत्ति परास वह सीमा है जिसमें इंसान विभिन्न ध्वनियों को सुन सकता है। यह सीमा उम्र, स्वास्थ्य और अन्य कारकों के आधार पर बदल सकती है। इस उत्तर में, हम इस परास को स्पष्ट करेंगे और देखेंगेRead more
मानव कान के लिए श्रव्य आवृत्ति परास और पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए इसका भेद
परिचय
मानव कान के लिए श्रव्य आवृत्ति परास वह सीमा है जिसमें इंसान विभिन्न ध्वनियों को सुन सकता है। यह सीमा उम्र, स्वास्थ्य और अन्य कारकों के आधार पर बदल सकती है। इस उत्तर में, हम इस परास को स्पष्ट करेंगे और देखेंगे कि यह पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए समान है या नहीं।
1. मानव कान के लिए श्रव्य आवृत्ति परास
2. पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए श्रव्य आवृत्ति परास
3. प्रभावकारी कारक
4. व्यावहारिक परिणाम
निष्कर्ष
मानव कान के लिए श्रव्य आवृत्ति परास 20 Hz से 20,000 Hz तक होता है, जबकि पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए यह 20 Hz से 25,000 Hz तक हो सकता है। यह विस्तृत परास बच्चों की अधिक संवेदनशीलता और श्रवण क्षमता को दर्शाता है, जो उम्र के साथ कम हो जाती है। UPSC Mains aspirants के लिए, इस जानकारी का उपयोग शारीरिक और पर्यावरणीय बदलावों को समझने में सहायक हो सकता है, विशेषकर जब यह स्वास्थ्य, तकनीकी डिज़ाइन, और सार्वजनिक नीतियों से संबंधित हो।
See lessकिसी वस्तु के द्रव्यमान तथा भार में क्या अंतर है?
किसी वस्तु के द्रव्यमान तथा भार में क्या अंतर है? परिचय द्रव्यमान (Mass) और भार (Weight) भौतिकी के मूलभूत अवधारणाएँ हैं, जो अक्सर आपस में मिश्रित कर दी जाती हैं। हालांकि ये दोनों अवधारणाएँ विभिन्न विशेषताओं और परिभाषाओं को दर्शाती हैं। इस उत्तर में, हम द्रव्यमान और भार के बीच के अंतर को स्पष्ट करेंगRead more
किसी वस्तु के द्रव्यमान तथा भार में क्या अंतर है?
परिचय
द्रव्यमान (Mass) और भार (Weight) भौतिकी के मूलभूत अवधारणाएँ हैं, जो अक्सर आपस में मिश्रित कर दी जाती हैं। हालांकि ये दोनों अवधारणाएँ विभिन्न विशेषताओं और परिभाषाओं को दर्शाती हैं। इस उत्तर में, हम द्रव्यमान और भार के बीच के अंतर को स्पष्ट करेंगे और हाल की घटनाओं के उदाहरणों के माध्यम से इसे समझेंगे।
1. परिभाषा
2. मापन
3. स्थान के अनुसार परिवर्तन
4. गणितीय संबंध
भार=द्रव्यमान×गुरुत्वाकर्षण त्वरण(g)
g≈9.8m/s2, एक 10 किलोग्राम वस्तु का भार
10kg×9.8m/s2=98N होगा।
5. व्यावहारिक प्रभाव
निष्कर्ष
द्रव्यमान और भार के बीच अंतर को समझना भौतिकी और व्यावहारिक जीवन में महत्वपूर्ण है। द्रव्यमान एक वस्तु की अंतर्निहित विशेषता है जो स्थान पर निर्भर नहीं करता, जबकि भार गुरुत्वाकर्षण बल पर निर्भर करता है और स्थान के अनुसार बदलता है। UPSC Mains aspirants के लिए, इन अवधारणाओं की गहरी समझ से वैज्ञानिक सिद्धांतों और उनके व्यावहारिक अनुप्रयोगों को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है।
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