प्रश्न का उत्तर अधिकतम 15 से 20 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 03 अंक का है। [MPPSC 2023] शान्ति स्वरूप भटनागर पुरस्कार का उद्देश्य क्या है?
ब्रॉन्सटेड क्षारों के संयुग्मी अम्ल परिचय ब्रॉन्सटेड-लोरी सिद्धांत के अनुसार, एक ब्रॉन्सटेड क्षार वह पदार्थ है जो एक प्रोटॉन (H⁺) को स्वीकार करता है। जब ब्रॉन्सटेड क्षार एक प्रोटॉन स्वीकार करता है, तो यह एक संयुग्मी अम्ल बनता है। निम्नलिखित ब्रॉन्सटेड क्षारों के संयुग्मी अम्लों को समझने के लिए, हमेंRead more
ब्रॉन्सटेड क्षारों के संयुग्मी अम्ल
परिचय
ब्रॉन्सटेड-लोरी सिद्धांत के अनुसार, एक ब्रॉन्सटेड क्षार वह पदार्थ है जो एक प्रोटॉन (H⁺) को स्वीकार करता है। जब ब्रॉन्सटेड क्षार एक प्रोटॉन स्वीकार करता है, तो यह एक संयुग्मी अम्ल बनता है। निम्नलिखित ब्रॉन्सटेड क्षारों के संयुग्मी अम्लों को समझने के लिए, हमें हर एक क्षार में प्रोटॉन जोड़ना होगा।
1. NH₂⁻ (अमाइड आयन)
- ब्रॉन्सटेड क्षार: NH₂⁻ (अमाइड आयन)
- संयुग्मी अम्ल: NH₂⁻ को एक प्रोटॉन जोड़ने पर हमें अमोनिया प्राप्त होता है:
NH2−+H+→NH3
- संयुग्मी अम्ल: NH₃ (अमोनिया)
- हालिया उदाहरण: NH₃ का उपयोग नाइट्रोजन और हाइड्रोजन गैसों के संयोजन में किया जाता है, जैसे कि हैबर प्रक्रिया में, जहाँ अमोनिया का उत्पादन किया जाता है।
2. NH₃ (अमोनिया)
- ब्रॉन्सटेड क्षार: NH₃ (अमोनिया)
- संयुग्मी अम्ल: NH₃ में एक प्रोटॉन जोड़ने पर हमें अमोनियम आयन प्राप्त होता है:
NH3+H+→NH4+
- संयुग्मी अम्ल: NH₄⁺ (अमोनियम आयन)
- हालिया उदाहरण: NH₄⁺ का उपयोग कृषि में उर्वरक के रूप में और खाद्य उद्योग में नमक के रूप में किया जाता है, जैसे कि अमोनियम क्लोराइड (NH₄Cl)।
3. HCOO⁻ (फार्मेट आयन)
- ब्रॉन्सटेड क्षार: HCOO⁻ (फार्मेट आयन)
- संयुग्मी अम्ल: HCOO⁻ में एक प्रोटॉन जोड़ने पर फार्मिक एसिड प्राप्त होता है:
HCOO−+H+→HCOOH
- संयुग्मी अम्ल: HCOOH (फार्मिक एसिड)
- हालिया उदाहरण: फार्मिक एसिड का उपयोग औद्योगिक प्रक्रियाओं में और खाद्य परिरक्षक के रूप में किया जाता है। फार्मिक एसिड को कीटों से लड़ने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है।
निष्कर्ष
निम्नलिखित ब्रॉन्सटेड क्षारों के संयुग्मी अम्ल हैं:
- NH₂⁻ (अमाइड आयन) → NH₃ (अमोनिया)
- NH₃ (अमोनिया) → NH₄⁺ (अमोनियम आयन)
- HCOO⁻ (फार्मेट आयन) → HCOOH (फार्मिक एसिड)
इन संयुग्मी अम्लों की पहचान और उनके उपयोग विभिन्न रसायनिक प्रक्रियाओं और औद्योगिक अनुप्रयोगों में महत्वपूर्ण होती है। UPSC Mains aspirants के लिए, इन संयुग्मी अम्लों की समझ ब्रॉन्सटेड-लोरी सिद्धांत और रसायन विज्ञान की बुनियादी अवधारणाओं में सहायक होती है।
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शान्ति स्वरूप भटनागर पुरस्कार का उद्देश्य शान्ति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, जिसे CSIR (काउंसिल ऑफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च) द्वारा 1958 में स्थापित किया गया था, भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देने के लिए एक प्रमुख पुरस्कार है। यह पुरस्कार भारतीय वैज्Read more
शान्ति स्वरूप भटनागर पुरस्कार का उद्देश्य
शान्ति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, जिसे CSIR (काउंसिल ऑफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च) द्वारा 1958 में स्थापित किया गया था, भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देने के लिए एक प्रमुख पुरस्कार है। यह पुरस्कार भारतीय वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को उनकी उत्कृष्ट वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिए सम्मानित करता है। यहाँ शान्ति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के उद्देश्यों की विस्तृत जानकारी दी गई है, हाल के उदाहरणों के साथ:
1. उत्कृष्ट वैज्ञानिक उपलब्धियों की मान्यता
2. वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहित और बढ़ावा देना
3. वैज्ञानिक करियर का समर्थन और उन्नति
4. राष्ट्रीय वैज्ञानिक क्षमताओं को बढ़ाना
5. सहयोग और ज्ञान साझा करने को प्रोत्साहित करना
6. वैज्ञानिक संस्कृति को बढ़ावा देना
निष्कर्ष
शान्ति स्वरूप भटनागर पुरस्कार का उद्देश्य उत्कृष्ट वैज्ञानिक उपलब्धियों की मान्यता देना, अनुसंधान को प्रोत्साहित करना, वैज्ञानिक करियर का समर्थन करना, राष्ट्रीय वैज्ञानिक क्षमताओं को बढ़ाना, सहयोग और ज्ञान साझा करने को प्रोत्साहित करना, और वैज्ञानिक संस्कृति को बढ़ावा देना है। यह पुरस्कार भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए एक सम्मानित मानक स्थापित करता है।
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