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23 मार्च, 2019 को, किसे भारत का प्रथम लोकपाल नियुक्त किया गया था?
न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष को 23 मार्च, 2019 को भारत का पहला लोकपाल नियुक्त किया गया था।
न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष को 23 मार्च, 2019 को भारत का पहला लोकपाल नियुक्त किया गया था।
भ्रष्टाचार की पारिभाषिक जटिलता की विवेचना कीजिये।
भ्रष्टाचार की पारिभाषिक जटिलता: विवेचना परिचय भ्रष्टाचार एक जटिल और बहुपरकारी समस्या है, जिसकी पारिभाषिक जटिलता विभिन्न संदर्भों और प्रकारों के आधार पर उत्पन्न होती है। इस जटिलता को समझना आवश्यक है ताकि प्रभावी रूप से भ्रष्टाचार का निवारण किया जा सके। 1. परिभाषाओं की विविधता संदर्भानुसार भिन्नता: भ्Read more
भ्रष्टाचार की पारिभाषिक जटिलता: विवेचना
परिचय
भ्रष्टाचार एक जटिल और बहुपरकारी समस्या है, जिसकी पारिभाषिक जटिलता विभिन्न संदर्भों और प्रकारों के आधार पर उत्पन्न होती है। इस जटिलता को समझना आवश्यक है ताकि प्रभावी रूप से भ्रष्टाचार का निवारण किया जा सके।
1. परिभाषाओं की विविधता
2. भ्रष्टाचार के विभिन्न रूप
3. कानूनी और नैतिक दृष्टिकोण
4. वैश्वीकरण का प्रभाव
5. समय के साथ परिवर्तन
निष्कर्ष
भ्रष्टाचार की पारिभाषिक जटिलता विभिन्न सांस्कृतिक और कानूनी संदर्भों, विभिन्न रूपों, कानूनी और नैतिक दृष्टिकोण, वैश्वीकरण के प्रभाव और समय के साथ परिभाषाओं के विकास से उत्पन्न होती है। हाल के उदाहरण इन जटिलताओं को स्पष्ट करते हैं और भ्रष्टाचार के प्रभावी निवारण के लिए व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
See lessकेन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा विहित किये गये भ्रष्टाचार के कोई पाँच प्रकार बताइये।
केन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा विहित किये गये भ्रष्टाचार के पाँच प्रकार परिचय केन्द्रीय सतर्कता आयोग (CVC) भ्रष्टाचार को नियंत्रित और समाप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के भ्रष्टाचार की पहचान करता है। ये विभिन्न प्रकार भ्रष्टाचार के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं और उनकी पहचान से प्रभावी निवारण उपायोंRead more
केन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा विहित किये गये भ्रष्टाचार के पाँच प्रकार
परिचय
केन्द्रीय सतर्कता आयोग (CVC) भ्रष्टाचार को नियंत्रित और समाप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के भ्रष्टाचार की पहचान करता है। ये विभिन्न प्रकार भ्रष्टाचार के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं और उनकी पहचान से प्रभावी निवारण उपायों की योजना बनाई जा सकती है।
1. रिश्वतखोरी (Bribery)
2. धन की हेराफेरी (Embezzlement)
3. रिश्तेदारी और पक्षपात (Nepotism and Favoritism)
4. बलात्कारी गतिविधियाँ (Extortion)
5. धोखाधड़ी (Fraud)
निष्कर्ष
केन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा विहित भ्रष्टाचार के इन पाँच प्रकार—रिश्वतखोरी, धन की हेराफेरी, रिश्तेदारी और पक्षपात, बलात्कारी गतिविधियाँ, और धोखाधड़ी—को समझना और उनका मुकाबला करना महत्वपूर्ण है। हाल के उदाहरण इन प्रकारों की गंभीरता को दर्शाते हैं और भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए प्रभावी उपायों की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
See lessकेन्द्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति, राष्ट्रपति किनकी अनुशंसा पर करते हैं?
केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अनुशंसा पर राष्ट्रपति की नियुक्ति केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (CVC) की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह और चयन के आधार पर की जाए। नियुक्ति की प्रक्रिया चRead more
केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति
प्रधानमंत्री की अनुशंसा पर राष्ट्रपति की नियुक्ति
केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (CVC) की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह और चयन के आधार पर की जाए।
नियुक्ति की प्रक्रिया
हालिया उदाहरण
निष्कर्ष
केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसमें प्रधानमंत्री की भूमिका केंद्रीय होती है। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की अनुशंसा पर नियुक्ति करते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि एक सक्षम व्यक्ति इस महत्वपूर्ण पद के लिए चुना जाए।
See lessभ्रष्टाचार के विरूद्ध, संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन को किस वर्ष अंगीकार किया गया था?
संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का अवलोकन संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (United Nations Convention against Corruption - UNCAC) एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार को रोकना और उसकी जांच करना है। यह सम्मेलन सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रभावी कदम उठाने कRead more
संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का अवलोकन
संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (United Nations Convention against Corruption – UNCAC) एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार को रोकना और उसकी जांच करना है। यह सम्मेलन सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रभावी कदम उठाने के लिए सदस्य देशों को मार्गदर्शन प्रदान करता है।
अंगीकरण का वर्ष
संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी सम्मेलन को 2003 में अंगीकार किया गया था। यह सम्मेलन 15 दिसंबर 2003 को मैक्सिको सिटी में आयोजित एक विशेष सत्र के दौरान अपनाया गया। इसके अंगीकरण से भ्रष्टाचार के खिलाफ एक अंतर्राष्ट्रीय कानूनी ढांचा स्थापित हुआ, जिसने वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार से निपटने के प्रयासों को सशक्त बनाया।
सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ
हाल के उदाहरण और केस स्टडीज
निष्कर्ष
संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी सम्मेलन को 2003 में अंगीकार किया गया था, और यह सम्मेलन वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार की रोकथाम और उसकी जांच के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी ढांचा प्रदान करता है। इसके अंगीकरण ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को सशक्त किया है और सदस्य देशों को भ्रष्टाचार से निपटने के लिए आवश्यक दिशानिर्देश प्रदान किए हैं। हाल के वर्षों में, UNCAC ने भ्रष्टाचार विरोधी वैश्विक पहलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और कई देशों ने इसके दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रभावी कार्यवाही की है।
See lessलोकपाल की स्थापना का सुझाव सर्वप्रथम किसने दिया था?
लोकपाल की स्थापना का सुझाव: प्रारंभिक पहल और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि लोकपाल की अवधारणा लोकपाल एक स्वतंत्र और संवैधानिक संस्था है, जिसका उद्देश्य सरकारी अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करना और उन पर निर्णय लेना है। यह संस्था पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए स्थापितRead more
लोकपाल की स्थापना का सुझाव: प्रारंभिक पहल और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
लोकपाल की अवधारणा
लोकपाल एक स्वतंत्र और संवैधानिक संस्था है, जिसका उद्देश्य सरकारी अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करना और उन पर निर्णय लेना है। यह संस्था पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए स्थापित की गई है।
प्रारंभिक सुझाव
लोकपाल की स्थापना का सुझाव सबसे पहले राजीव गांधी ने दिया था। 1960 के दशक में, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक स्वतंत्र निगरानी तंत्र की आवश्यकता को महसूस किया। उन्होंने इस तंत्र के रूप में एक ऐसा संस्था स्थापित करने की सिफारिश की, जो सरकारी अधिकारियों और नेताओं के भ्रष्टाचार की जांच कर सके।
महत्वपूर्ण घटनाक्रम
हाल के उदाहरण
निष्कर्ष
लोकपाल की स्थापना का सुझाव सबसे पहले राजीव गांधी ने दिया था। उनके सुझाव ने भारतीय सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। आज, लोकपाल एक महत्वपूर्ण संवैधानिक संस्था है जो भ्रष्टाचार के मामलों की जांच और निराकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, और इसकी स्थापना से लेकर वर्तमान कार्यप्रणाली तक, इसका योगदान पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने में है।
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