Elucidate the international terrorism. How is the international community today trying to fight the menace of international terrorism? What is UNO’s contribution? [63th BPSC Mains Exam 2017]
एन.आर.सी. विवाद: राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एन.आर.सी.) एक कानूनी दस्तावेज है जिसमें देश के नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जाता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल उन लोगों को भारतीय नागरिक माना जाए जिनके पास भारत के नागरिक होने का कानूनी प्रमाण हो। यह विवाद असम में 1951 से शुरू हुआ था और 2019 मेंRead more
एन.आर.सी. विवाद:
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एन.आर.सी.) एक कानूनी दस्तावेज है जिसमें देश के नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जाता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल उन लोगों को भारतीय नागरिक माना जाए जिनके पास भारत के नागरिक होने का कानूनी प्रमाण हो। यह विवाद असम में 1951 से शुरू हुआ था और 2019 में असम के एन.आर.सी. को अपडेट करने के बाद यह राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख विवाद बन गया।
एन.आर.सी. विवाद की उत्पत्ति
- असम समझौता:
- एन.आर.सी. विवाद की जड़ असम समझौते में है, जिसे 1985 में राजीव गांधी सरकार के तहत असम में जातीय संघर्ष को शांत करने के लिए किया गया था। इसमें यह तय किया गया था कि असम में 1971 से पहले अवैध रूप से आए विदेशी नागरिकों को पहचान कर बाहर किया जाएगा।
- एन.आर.सी. का अद्यतन:
- 2019 में असम सरकार ने एन.आर.सी. का अद्यतन किया, जिससे कई लाख लोग नागरिकता से बाहर हो गए, जिनमें अधिकतर बंगाली मुस्लिम और अन्य समुदाय थे। यह अद्यतन विवाद का कारण बना, क्योंकि कई लोग इसे नागरिकता के अधिकार में कटौती के रूप में देख रहे थे।
राजनीतिक मंशाएँ
एन.आर.सी. विवाद को लेकर कई राजनीतिक मंशाएँ जुड़ी हुई हैं:
- धार्मिक अस्मिता और वोट बैंक:
- एक ओर जहां सरकार इसे देश के नागरिकों की पहचान करने का एक कानूनी तरीका मानती है, वहीं विपक्ष इसे धार्मिक और जातीय विभाजन का उपकरण मानता है। विशेषकर मुस्लिम समुदाय का आरोप है कि एन.आर.सी. को लागू करने के बहाने हिंदू धर्म के पक्ष में और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ राजनीतिक लाभ लिया जा रहा है।
- सांप्रदायिक ध्रुवीकरण:
- एन.आर.सी. विवाद को लेकर कुछ राजनैतिक दलों का आरोप है कि यह सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे सकता है, जिससे हिंदू-मुस्लिम तनाव और बढ़ेगा। कुछ राजनीतिक दलों के अनुसार, यह मुद्दा वोट बैंक की राजनीति से भी जुड़ा हुआ है, जिसमें कुछ दल मुसलमानों को डराकर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हैं।
- पार्टी विशेष रणनीति:
- कुछ राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे का लोकप्रियता बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया। उदाहरण के लिए, असम में एन.आर.सी. के विरोध में कांग्रेस और अन्य दलों ने भय का माहौल बनाने की कोशिश की, जबकि कुछ ने इसे संविधान और नागरिक अधिकारों के खिलाफ बताया।
अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव
- शरणार्थी मुद्दे पर दबाव:
- एन.आर.सी. विवाद का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव पड़ सकता है, खासकर भारत-बांगलादेश संबंधों पर। असम के नतीजों से बांगलादेश में चिंता बढ़ी है, क्योंकि अगर वहां के नागरिकों को भारत से बाहर किया जाता है तो यह एक शरणार्थी संकट का कारण बन सकता है।
- संसार भर में मानवाधिकार संगठन:
- अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन, जैसे एचआरडब्ल्यू और अम्नेस्टी इंटरनेशनल, ने इस मुद्दे पर चिंता जताई है। उनका मानना है कि एन.आर.सी. प्रक्रिया नागरिकता के अधिकार को चुनौती देती है और इससे नागरिकता के अभाव में लोग हाशिए पर आ सकते हैं। इससे भारत की मानवाधिकार की छवि प्रभावित हो सकती है।
- प्रभावित समुदायों के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया:
- विश्व समुदाय, विशेषकर संयुक्त राष्ट्र ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। यदि असम के बाहर भी एन.आर.सी. प्रक्रिया को लागू किया जाता है तो धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय विशेष रूप से मुसलमानों और बंगाली समुदाय के लिए यह गंभीर खतरा बन सकता है।
समाधान के लिए सुझाव
- मानवाधिकारों का सम्मान:
- किसी भी एन.आर.सी. प्रक्रिया को लागू करते समय मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नागरिकता का दावा करने वालों के पास पर्याप्त दस्तावेज़ हो और सभी को अपील करने का अवसर दिया जाए।
- संविधान की रक्षा:
- एन.आर.सी. प्रक्रिया को संविधान के तहत और सभी भारतीय नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए लागू किया जाना चाहिए। यह जरूरी है कि किसी को बिना उचित जांच के बाहर न किया जाए।
- दूसरी देशों के साथ सहयोग:
- भारत और बांगलादेश को इस मुद्दे पर सहयोग बढ़ाना चाहिए, ताकि कोई भी व्यक्ति जो भारत में अवैध रूप से प्रवेश कर चुका हो, उसे सही तरीके से पहुंचाया जा सके।
निष्कर्ष
एन.आर.सी. विवाद भारतीय राजनीति में संवेदनशील मुद्दा बन चुका है। इसके राजनीतिक और सांप्रदायिक प्रभावों को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है कि इसे सतर्कता और संवेदनशीलता के साथ सुलझाया जाए, ताकि सभी भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जा सके और भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
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International terrorism refers to acts of violence or threats of violence carried out by individuals, groups, or states across national borders with the intent to create fear, achieve political objectives, or disrupt international peace and security. Unlike domestic terrorism, it transcends nationalRead more
International terrorism refers to acts of violence or threats of violence carried out by individuals, groups, or states across national borders with the intent to create fear, achieve political objectives, or disrupt international peace and security. Unlike domestic terrorism, it transcends national boundaries in terms of its perpetrators, targets, or effects.
Key Characteristics:
The International Community’s Fight Against Terrorism
Global collaboration is critical to countering international terrorism as it affects multiple nations and requires a unified approach.
Key Strategies:
The Role of the United Nations
The United Nations (UN) plays a pivotal role in coordinating global efforts against terrorism.
Major Contributions:
Illustrations of Counterterrorism Efforts
Conclusion
International terrorism remains a pressing challenge, requiring a coordinated global approach. The international community combats it through military, legal, financial, and preventive measures.
The United Nations, through its frameworks and agencies, plays a central role in addressing this menace by fostering international cooperation, building capacities, and ensuring counterterrorism efforts respect human rights. Continued collaboration among nations and organizations will be key to creating a safer and more secure world.
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